गरीबों की झोपड़ी में शिक्षा की लौ जगा रहे हर्षित और तान्या, मलिन बस्ती में खोला फ्री स्कूल Kanpur News
बर्रा के 25 सदस्यीय युवाओं ने मलिन बस्ती के बच्चों को शिक्षा के साथ कपड़े किताबे भी मुहैया करा रहे हैं।
कानपुर, जेएनएन। गरीबों की झोपड़ी में शिक्षा की लौ जलाने की ललक में शहर के 25 युवाओं ने अपनी संस्था बना ली। ये युवा अब बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाने के साथ ही उनकी कापी-किताब का भी इंतजाम करते हैं। बर्रा के हर्षित सिंह और तान्या सिंह की 25 सदस्यीय टीम हर रोज बच्चों को पढ़ा रही है।
बर्रा 7 निवासी हर्षित ने बताया कि वह कानपुर विश्वविद्यालय से एमएसडब्ल्यू की पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं, बर्रा निवासी साथी तान्या बीबीए की पढ़ाई कर रही है। हर्षित ने बताया कि दो वर्ष पहले उन्होंने रामगोपाल चौराहे पर कुछ मासूम बच्चों को भीख मांगते हुए देखा। बच्चों की इस दशा को देखकर उन्होंने उनके भविष्य को संवारने की ठान ली। जनवरी 2018 को उन्होंने आकांक्षा, तान्या समेत 25 युवाओं की टीम तैयार कर एक द लर्निंग हर्ट फाउंडेशन बना कर बस्ती के बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देनी शुरू कर दी।
टीम ने बस्ती के बच्चों से पहले बनाई दोस्ती
टीम के सदस्य वरुण विहार कच्ची बस्ती की झुग्गी-झोपडिय़ों में घूमकर बच्चों से दोस्ती करने लगे। बच्चों से नजदीकियां बढ़ाने के बाद उनका पढ़ाई की ओर झुकाव कराने का प्रयास शुरू किया। फिर बस्ती के बीच आशा मां के मंदिर के सामने जमीन पर चटाई बिछाकर 10 बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया।
प्राथमिक स्कूल में 70 बच्चों का कराया दाखिला
हर्षित ने बताया कि जुलाई 2018 में बस्ती के करीब 70 बच्चें फाउंडेशन से जुड़कर शिक्षा लेने लगे। फिर सभी बच्चों का पास के प्राथमिक स्कूल में दाखिला कराया। स्कूल से बच्चों के आने के बाद शाम को तीन से पांच बजे तक मंदिर के पास पाठशाला लगाकर कोचिंग के तर्ज पर शिक्षा देने लगे। धीरे-धीरे आपस में पैसा एकत्र करके बोर्ड, चटाई व बच्चों के लिए कॉपी किताबे खरीदी।
शिक्षा की ओर रुझान बढ़ाने को प्रतियोगिता कराकर देते हैं पुरस्कार
हर्षित ने बताया कि बच्चों में पढ़ाई के प्रति लगन बढ़ाने के लिए हर माह के अंत में एक परीक्षा कराते हैं। परीक्षा में अच्छे अंक लाने वाले को पुरस्कार दिया जाता है। साथ सभी बच्चों को उत्साहित करने के लिए टॉफी बिस्किट वितरित किये जाते हैं।
शिक्षा के साथ बच्चों को टूर भी कराते
बच्चों के मानसिक वातावरण को शुद्ध करने के लिए टीम के सदस्य गर्मियों की छुट्टी पर बच्चों को चिडिय़ा घर व मेले की सैर भी कराते हैं। साथ ही उन्हें त्यौहारों पर मिठाई और कपड़े भी उपलब्ध कराते है।
कॉन्वेंट स्कूल के बच्चों से कम नहीं फाउंडेशन के बच्चे
वर्तमान में फाउंडेशन में बच्चों की संख्या 120 हो चुकी है। टीम के सदस्य अपने विषय के क्रम में पहुंचकर दो घंटे बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर शिक्षा दे रहे हैं। बस्ती के कूड़ा बीनने व भीख मांगने वाले बच्चें आज किसी कान्वेंट स्कूल के बच्चों से अपने को कम नहीं समझते।
युवाओं के जब्जे को देख लोगों ने किया सहयोग
फाउंडेशन के युवा टीम की निस्वार्थ सेवा को देख स्थानीय लोगों ने फाउंडेशन को मजबूत बनाने के लिए आर्थिक सहयोग भी करना शुरू कर दिया है। साथ ही क्षेत्रिय पार्षद ने बस्ती में जल्द एक टीनशेड डलवाकर हाल बनवाने का भी वादा किया है। ताकि बारिश के दौरान बच्चों की शिक्षा बाधित न हो।