सेवा का 'साथ' ही बेसहारा का सहारा
मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में आम आदमी की जिंदगी गुजर जाती है। न तो समस्यायें खत्म होती हैं और न ही जरूरतें कभी पूरी होती हैं। ऐसे भी लोग हैं जो जीतोड़ मेहनत तो करते हैं लेकिन बच्चों को उचित शिक्षा देने में पीछे रह जाते हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर : मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में आम आदमी की जिंदगी गुजर जाती है। न तो समस्यायें खत्म होती हैं और न ही जरूरतें कभी पूरी होती हैं। ऐसे भी लोग हैं जो जीतोड़ मेहनत तो करते हैं लेकिन बच्चों को उचित शिक्षा देने में पीछे रह जाते हैं। ऐसे ही गरीब व जरूरतमंदों की मदद के लिए महिलाओं का एक ग्रुप जुटा है। ये बच्चों को शिक्षित करने के साथ लोगों को राशन व कपड़े भी उपलब्ध कराता है।
सेवा के 'साथ' से तमाम बेसहारा लोगों का सहारा बनीं ये महिलाएं अपनी पूंजी का एक हिस्सा जरूरतमंदों की मदद के लिए खर्च करती हैं। इसके लिए इन्होंने साथ चैरीटेबल सोसायटी बनाई है। सोसायटी से जुड़ी महिलाएं बच्चों का भविष्य संवारने के साथ ही गरीबों को राशन भी उपलब्ध कराती हैं। प्रार्थना शुक्ला के साथ मीना कुमारी, सुधा गुप्ता, प्रीति गुलाटी सहित अन्य महिलाएं मिलकर दो साल से सेवा कार्य कर रही हैं। वर्तमान समय में इससे डेढ़ से ज्यादा महिलाएं जुड़ चुकी हैं।
किराए के कमरे में बच्चों को दे रही शिक्षा
संस्था ने सबसे पहले गरीब बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया। अपने खर्च पर रतनलाल नगर में किराए पर कमरा ले रखा है। यहां संजय नगर बस्ती, महादेव बस्ती समेत आस-पास रहने वाले 35 से ज्यादा बच्चे पढ़ने आते हैं। सदस्यों ने दिन बांट रखे हैं हर दिन के हिसाब से सदस्य जाकर इन्हें पढ़ाते हैं। इसके अलावा हर माह एलएलआर अस्पताल में इलाज करा रहे 30 परिवारों को आटा, दाल, चावल और अन्य जरूरत का सामान उपलब्ध कराया जाता है।
स्कूल में दिलाती हैं दाखिला
संस्था की पदाधिकारी प्रार्थना शुक्ला ने बताया कि न्यू आजाद नगर में स्थित आश्रय गृह में रहने वाले छह बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी संस्था उठाती है। बस्ती के बच्चों का स्कूल में दाखिला कराने और उनकी फीस भरने की जिम्मेदारी भी सोसायटी की है।