Lockdown में अजब-गजब शादी: इस दूल्हे ने 100 किमी साइकिल चलाई, मंदिर में शादी रचाई
दुल्हन की विदाई साइकिल से कराकर दूल्हा गांव आया और मंदिर में शादी रचा सात फेरे लिये।
हमीरपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन ने कई युवाओं के सपनों पर पानी फेर दिया है, सहालग के दिनों में कई परिवार रिश्ता तय करने के बाद शादी की तिथि आगे बढ़ा चुके हैं। हालांकि, कुछ लोग अपनी हठ नहीं छोड़ रहे हैं, ऐसा ही एक दूल्हा महोबा के पुनिया गांव में देखने को मिला। पुलिस ने परमीशन नहीं दी तो साइिकल चलाकर आ गया और मंदिर में शादी रचाने के बाद दुल्हन को साइकिल से ही विदा कराकर वापस ले गया। इसके बाद अपने गांव में वैदिक रीति रीवाज से फेरों की रस्म पूरी कराई।
बुंदेलखंड में अजब-गजब शादी
लॉक डाउन में अजब-गजब तरीके से शादियां संपन्न हो रहीं हैं। कोई पांच लोगों की बरात लेकर आ रहा है और लॉकडाउन नियमों का पालन कर रहा है तो कहीं शादी के समय बरात का स्वागत इत्र की जगह सैनिटाइजर डालकर किया जा रहा है और बरातियों को माला से पहले मास्क पहनाया जा रहा है। फिजिकल डिस्टेंसिंग में फेरे पड़ रहे हैं तो जयमाल को सैनिटाइज कराया जा रहा है। बुंदेलखंड में इस तरह शादी का सिलसिला जारी है, इन्हीं में मंगलवार को एक दूल्हा अकेले ही शादी रचाने साइकिल चलाकर हमीरपुर से महोबा जा पहुंचा।
समाचार पत्र पढ़कर शादी करने की ठानी
हमीरपुर के पौथिया गांव में रहने वाले कलकू प्रजापति की शादी महोबा के पुनिया गांव में रहने वाली युवती से 27 अप्रैल को तय थी। कार्ड बंटने के साथ विवाह संबंधी सभी तैयारी पूरी हो चुकी थी। कलकू ने बताया लॉक डाउन होने की वजह से शादी की तैयारी पर पानी फिर गया। उसने समाचार पत्र में पढ़ा कि अक्षय तृतीया के दिन कानपुर से आकर दूल्हे ने हमीरपुर के मंदिर में शादी रचाई है। इसके बाद उसने भी शादी करने की ठान ली।
पुलिस ने नहीं दी बाइक की परमीशन तो साइकिल से निकल पड़े
कलकू ने बताया कि थाने जाकर बाइक से महोबा जाने के लिए परमीशन मांगी लेकिन उसे नहीं मिली। तब उसने साइकिल से जाने की सोच ली ताकि रास्ते में कोई रोक-टोक न करे। कलकू ने बताया कि लॉकडाउन के कारण हाईवे पर सन्नाटा मिलता गया और उसने कहीं अाराम भी नहीं किया। वह साइिकल चलाकर बिना रुके सीधे महोबा के पुनिया गांव पहुंच गया। ससुराल में उसकी आवभगत हुई और सास ससुर का आशीर्वाद लेकर वह दुल्हन को साइकिल से विदा करकार गांव के लिए लौट पड़ा। उसी दिन शाम छह बजे गांव लौटकर आने के बाद ध्यानीदास आश्रम में दूल्हा दुल्हन ने एक-दूजे को वरमाला पहनाकर शादी की। कलकू ने बताया कि दुल्हन लाने के लिए उसने करीब सौ किमी साइकिल चलाई।
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