वाह रही व्यवस्था ! मरीजों को हकीकत में नहीं मिल पा रहा इलाज और डॉक्टर दुरूस्त करने में लगे सरकारी डायरी
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद अस्पताल प्रबंधन सीधे मरीजों को भर्ती कर रहे हैं या मरीज सीधे अस्पतालों में सिफारिश लगा रहे हैं। इस व्यवस्था के बाद अस्पताल भी अपने यहां वेंटीलेटर आइसीयू और बेड खाली होने की सूचना नहीं देते।
कानपुर, जेएनएन। कहने को इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर जरूरतमंदों का मददगार है, लेकिन वास्तविकता कुछ और है। यहां न तो शहर के अस्पतालों के खाली बेड की सूचना रहती है और न ही जरूरतमंद को वेंटीलेटर दिला सकते हैं। यहां के डॉक्टर ज्यादातर सरकारी आंकड़े जुटाने के लिए सूचनाएं एकत्रित करते रहते हैं, जिसकी वजह से फोन करने वालों की संख्या काफी घट गई है।
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद अस्पताल प्रबंधन सीधे मरीजों को भर्ती कर रहे हैं या मरीज सीधे अस्पतालों में सिफारिश लगा रहे हैं। इस व्यवस्था के बाद अस्पताल भी अपने यहां वेंटीलेटर, आइसीयू और बेड खाली होने की सूचना नहीं देते। ऐसे में कोविड कमांड सेंटर की भूमिका नाम मात्र की रह गई है। यह सेंटर एंबुलेंस मुहैया कराने और रेफरल लेटर बनाने तक ही सीमित रह गया है। नाम न छापने की शर्त पर यहां के एक जिम्मेदार ने बताया कि अस्पताल संचालकों को सरकारी पोर्टल पर सभी जानकारी अपलोड करनी होती है, पर वह ऐसा नहीं करते। इसकी वजह से हमारे पर सटीक जानकारी नहीं होती है।
अस्पताल से बात करने के बाद बनाते हैं रेफरल लेटर : अधिकारी बताते हैं कि रेफरल लेटर भी तभी बनाते हैं जब मरीज अस्पताल प्रबंधन से बेड की बात कर लेता है क्योंकि ऐसा न होने पर मरीज को अस्पताल के बाहर परेशान होना पड़ता है। कई बार बेड होने की सूचना मिलती भी है, पर मरीज को भेजने तक बेड फुल हो जाते हैं।
अब सीधे भेजते हैं सूचना : इन सबके बीच कमांड सेंटर से एक अच्छा काम भी हुआ है। अस्पताल में बेड या एंबुलेंस की जरूरत पर कमांड सेंटर से सीधे एक लिंक अस्पताल प्रबंधन या एंबुलेंस चालक के मोबाइल पर भेजा जाता है। इसे खोलते ही उनके पास मरीज का पूरा डाटा पहुंच जाता है। अस्पताल में बेड नहीं खाली हैं या एंबुलेंस चालक दूसरी जगह व्यस्त है तो वह ये सूचना कमांड सेंटर को देता है। इसके बाद कमांड सेंटर से दूसरे को यह जिम्मेदारी दे दी जाती है।
अस्पतालों से जुटाते मौतों का आंकड़ा : कोविड कमांड सेंटर में एक कर्मचारी को कोविड अस्पतालों में हुई मौतों का आंकड़ा जुटाने की जिम्मेदारी दी गई है। यह पूरा आंकड़ा लेकर मौजूद ड्यूटी डॉक्टर हर घंटे की रिपोर्ट बनाते हैं और प्रशासन को भेजते हैं।