राजकीय बालिका गृह मसले पर गर्म हुई राजनीतिक, सपा विधायक ने मामले को बताया शर्मनाक
राजकीय बालिका गृह की सात संवासिनियों के गर्भवती और 57 का कोरोना पॉजिटिव मिलने पर सपा विधायक ने राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर जांच की मांग की है।
कानपुर, जेएनएन। स्वरूप नगर स्थित बालिका संरक्षण एवं राजकीय बालिका गृह की सात संवासिनियों के गर्भवती होने तथा 57 कोरोना पॉजिटिव निकलने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा करने के बाद शहरी सपा विधायक ने भी विरोध दर्ज कराया है। इसके साथ ही मसले को शर्मनाक बताते हुए राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर प्रकरण की गहन जांच कराने की मांग उठाई है।
स्वरूप नगर के बालिका संरक्षण गृह की 18 संवासिनी तथा राजकीय बाल बालिका गृह की 15 किशोरियां में सबसे पहले कोरोना संक्रमण की पुष्ट हुई थी। इसके बाद 16 और संवासिनी संक्रमित मिली थीं। इसमें पांच संक्रमित संवासिनियों के गर्भवती होने की जानकारी के बाद प्रशासन में खलबली मच गई थी। वहीं दो अन्य संवासिनी भी गर्भवती मिली थी। सात गर्भवती संवासिनी में एक एचआइवी पॉजिटिव और दूसरी हेपेटाइटस सी से ग्रसित मिली थी। समाचार पत्रों में प्रकरण उजागर होने पर सपाइयों ने इसे राजनीतक तूल दिया तो प्रशासन स्पष्ट किया था कि सातों संवासिनी संरक्षण गृह में प्रवेश के समय से गर्भवती थीं। रेस्क्यू के बाद सभी को पॉक्सो एक्ट में संवासिनी गृह में रखा गया था।
इस मसले को लेकर अब समाजवादी पार्टी के नेताओं ने प्रदेश की योगी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान देने के बाद आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक अमिताभ बाजपेई ने घटना को शर्मनाक बताया है। उन्होंने राज्यपाल से मसले की गहन जांच कराने की मांग करते हुए ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट हिमांशु गुप्ता को सौपा। उन्होंने कहा कि संवासिनियों का कोरोना पॉजिटिव व गर्भवती मिलना गंभीर बात है। बिना जांच के यहां पर किस प्रकार का आना व जाना हुआ। इससे राजकीय संरक्षण गृह की गतिविधियां शंका के दायरे में हैं। इस अतिसंवेदनशील मसले की जांच हाईकोर्ट के रिटायर न्यायाधीश से कराई जानी चाहिए।