जेम से हलकान सरकारी विभाग, बुक आर्डर किए जा रहे रद
समय सीमा गुजरने के बाद भी सरकारी विभागों को नहीं मिल रहा बुक किया हुआ सामान।
By Edited By: Published: Sat, 24 Nov 2018 01:28 AM (IST)Updated: Sat, 24 Nov 2018 04:47 PM (IST)
केस 1 : वाणिज्य कर विभाग ने 25 अक्टूबर को बॉडी वॉर्न कैमरों का आर्डर किया था। अधिकतम नौ नवंबर तक कैमरे सप्लाई करने की बात कही गई थी। अभी तक कैमरे विभाग को नहीं मिले हैं।
केस 2 : वाणिज्य कर विभाग ने 12 नवंबर को ए 4 साइज पेपर का आर्डर किया। 28 नवंबर तक सप्लाई का वादा किया गया, लेकिन 17 नवंबर को बिना जानकारी दिए आर्डर रद कर दिया गया।
कानपुर (जागरण स्पेशल)। ये दो मामले बानगी हैं कि गवर्नमेंट ई मार्केट प्लेस (जेम) से जुड़ी सप्लाई कंपनियां सरकारी विभागों के लिए किस तरह सिरदर्द का कारण बन रही हैं। यह स्थिति तब है जब केंद्र सरकार ऑनलाइन कंपनियों की तरह जेम को खड़ा करना चाहती है। सरकारी विभागों के लिए जेम से खरीदारी अनिवार्य है, लेकिन समय सीमा गुजरने के बाद भी विभागों को सामान नहीं मिल रहा है। सप्लाई मिलने के 20 दिन के अंदर भुगतान करने की बाध्यता है। ऐसा न करने पर ब्याज लगाया जा सकता है। इसके अलावा विभाग को डिफाल्टर घोषित किया जा सकता है।
अधिकारियों में मुताबिक जिस तरह की व्यवस्था सरकारी विभाग के लिए है, उसी तरह की व्यवस्था सप्लाई फर्म के लिए भी होनी चाहिए। विलंब से माल देने या बिना जानकारी आर्डर रद करने वाली फर्मो को जेम से हटाया जाए। वाणिज्य कर विभाग कानपुर नगर के उपायुक्त प्रशासन चंद्रकांत रल्हन के मुताबिक छापों की कार्रवाई के दौरान बॉडी वॉर्न कैमरे पहनने के निर्देश हैं। इसके लिए पिछले माह आदेश किए गए थे, लेकिन अब तक इनकी आपूर्ति नहीं की गई। विभागों को हो रहीं समस्याएं एक-एक माह तक मंगाया गया सामान नहीं आता। अचानक आर्डर रद होने से विभाग के तमाम काम रुक जाते हैं। वाणिज्य कर विभाग में इस समय कागज का संकट खड़ा हो गया है। अधिकारी दोबारा प्रयास कर रहे हैं कि कैसे फिर आर्डर करें क्योंकि किसी लोकल वेंडर से खरीदने की अनुमति नहीं है।
ये हैं खरीदारी के नियम
- खरीद कमेटी की स्वीकृति के बाद वित्तीय स्वीकृति का पीडीएफअपलोड करना होता है।
- अधिकतम 15 दिन में माल देने का आश्वासन दिया जाता है।
- इसकी तारीख आर्डर का कांट्रैक्ट पूरा होते ही उसमें दिखने लगती है।
- सबसे कम रेट वाली फर्म को आर्डर देने की बाध्यता।
- आर्डर ओके करने के बाद ही पता लगता है कि सप्लाई करने वाली कंपनी कहां की है और क्या फोन नंबर है।
केस 2 : वाणिज्य कर विभाग ने 12 नवंबर को ए 4 साइज पेपर का आर्डर किया। 28 नवंबर तक सप्लाई का वादा किया गया, लेकिन 17 नवंबर को बिना जानकारी दिए आर्डर रद कर दिया गया।
कानपुर (जागरण स्पेशल)। ये दो मामले बानगी हैं कि गवर्नमेंट ई मार्केट प्लेस (जेम) से जुड़ी सप्लाई कंपनियां सरकारी विभागों के लिए किस तरह सिरदर्द का कारण बन रही हैं। यह स्थिति तब है जब केंद्र सरकार ऑनलाइन कंपनियों की तरह जेम को खड़ा करना चाहती है। सरकारी विभागों के लिए जेम से खरीदारी अनिवार्य है, लेकिन समय सीमा गुजरने के बाद भी विभागों को सामान नहीं मिल रहा है। सप्लाई मिलने के 20 दिन के अंदर भुगतान करने की बाध्यता है। ऐसा न करने पर ब्याज लगाया जा सकता है। इसके अलावा विभाग को डिफाल्टर घोषित किया जा सकता है।
अधिकारियों में मुताबिक जिस तरह की व्यवस्था सरकारी विभाग के लिए है, उसी तरह की व्यवस्था सप्लाई फर्म के लिए भी होनी चाहिए। विलंब से माल देने या बिना जानकारी आर्डर रद करने वाली फर्मो को जेम से हटाया जाए। वाणिज्य कर विभाग कानपुर नगर के उपायुक्त प्रशासन चंद्रकांत रल्हन के मुताबिक छापों की कार्रवाई के दौरान बॉडी वॉर्न कैमरे पहनने के निर्देश हैं। इसके लिए पिछले माह आदेश किए गए थे, लेकिन अब तक इनकी आपूर्ति नहीं की गई। विभागों को हो रहीं समस्याएं एक-एक माह तक मंगाया गया सामान नहीं आता। अचानक आर्डर रद होने से विभाग के तमाम काम रुक जाते हैं। वाणिज्य कर विभाग में इस समय कागज का संकट खड़ा हो गया है। अधिकारी दोबारा प्रयास कर रहे हैं कि कैसे फिर आर्डर करें क्योंकि किसी लोकल वेंडर से खरीदने की अनुमति नहीं है।
ये हैं खरीदारी के नियम
- खरीद कमेटी की स्वीकृति के बाद वित्तीय स्वीकृति का पीडीएफअपलोड करना होता है।
- अधिकतम 15 दिन में माल देने का आश्वासन दिया जाता है।
- इसकी तारीख आर्डर का कांट्रैक्ट पूरा होते ही उसमें दिखने लगती है।
- सबसे कम रेट वाली फर्म को आर्डर देने की बाध्यता।
- आर्डर ओके करने के बाद ही पता लगता है कि सप्लाई करने वाली कंपनी कहां की है और क्या फोन नंबर है।
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