Chitrakoot Jail Gangwar: चित्रकूट जेल में गैंगवार में दो बड़े सवाल, जो बन सकते जेल अफसरों के लिए बड़ी मुसीबत
चित्रकूट जेल में गैंगवार के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं। जेल में डकैतों और उनके गैंग के सदस्यों के बंद होने से अभेद्य सुरक्षा व्यवस्था की गई है। गेट से लेकर बैरक तक हर जगह सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाती है।
कानपुर, [अनुराग मिश्र]। जेल तो बनती ही माफिया और अपराधियों के लिए है, लेकिन चित्रकूट की हाई सिक्योरिटी जेल साल 2017 में खास तौर पर डकैतों और बड़े अपराधियों के लिए बनकर तैयार हो गई थी। चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में यहां माफिया, डकैत और उनके खास गुर्गे बंद हैं। शुक्रवार को जेल के अंदर गैंगवार में दो शातिर अपराधियों और पुलिस मुठभेड़ में एक अपराधी की मौत के बाद दो बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। यह सवाल जेल अफसरों के लिए मुसीबत बन सकते हैं। पहला यह कि पुख्ता सुरक्षा के बीच जेल के भीतर 9 एमएम की इटैलियन पिस्टल का पहुंचना बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। इसके साथ जांच में बिना नंबर की बैरक में गैंगवार हुई, जिससे भी सुरक्षा को लेकर सवालिया निशान लग रहा है। फिलहाल अधिकारी भी इस पूरे मामले में खुलकर कुछ कहने को तैयार नहीं हैं। उधर, आइजी न्यायिक जांच से ही सच सामने आने की बात कह रहे हैं।
अपराधियों को कौन दे रहा पनाह
जेलों में गैैंगवार की घटनाएं तो आएदिन सुनाई देती हैं, लेकिन चित्रकूट की जेल में जो हुआ, वह शायद कभी नहीं हुआ होगा। यहां बड़े अपराधी अंशु दीक्षित ने दो शातिरों मुकीम काला और मेराज की हत्या कर दी, हालांकि उसे भी वहीं मुठभेड़ में मार गिराया गया। जेल से छन-छनकर आ रही जानकारी के मुताबिक, हत्याकांड में 9 एमएम की पिस्टल इस्तेमाल की गई। ऐसे में बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि आखिर इतनी हाईटेक सुरक्षा वाली जेल में पिस्टल पहुंची तो पहुंची कैसे। इन अपराधियों को कौन पनाह दे रहा था। बदले में किसे क्या सुविधाएं मिल रहीं थीं। बहरहाल, इस घटना ने शासन तक खलबली मचा दी है और मुख्यमंत्री ने पूरी रिपोर्ट तलब कर ली है।
बिना नंबर की बैरक में खूनी खेल
चित्रकूट जेल में खूंखार अपराधी अंशु दीक्षित ने बिना नंबर की हाई सिक्योरिटी बैरक में शुक्रवार को खूनी खेल खेला। अंशु और मुकीम काला का शव बैरक के अंदर, जबकि मेराज का गेट के पास पड़ा मिला। आइजी के. सत्यनारायण ने शवों को देखकर मामले की पड़ताल कर बिंदुवार जांच के निर्देश दिए। पता चला है कि खूंखार बंदियों को जेल में अलग हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया था, जिसमें कोई नंबर नहीं पड़ा है। उसे जेल में बिना नंबर की बैरक के नाम से ही पहचान मिली हुई है। घटनाक्रम इसी बैरक के अंदर शुरू हुआ। इसमें पहले खूंखार अपराधी अंशु ने दोनों की हत्या की और फिर बंधक बंदियों को बचाने के लिए पुलिस की ओर से फायरिंग में वह मारा गया। आइजी ने बताया कि प्रथम दृष्टया मामला पहले अंशु की ओर से फायर किए गए। जेल की तलाशी कराई जा रही है, ताकि पिस्टल अंदर तक लाने या कोई अन्य असलहा छिपाए होने की बात सामने आ सके।
यहां बंद हैैं ददुआ से बबुुली गिरोह तक के सदस्य
उल्लेखनीय है कि 817 बंदियों-कैदियों की क्षमता वाली इस जेल में करीब 640 अपराधी बंद हैं। डकैत ददुआ का दाहिना हाथ रहा राधे सजा काट रहा है। इसके साथ ही डकैत बबुली कोल, रागिया, ठोकिया, बलखडिय़ा, गौरी यादव के तमाम मददगार व गैंग के सदस्य जेल में बंद हैं। इस वजह से यहां खासी एहतियात बरती जाती है और पहरा काफी सख्त रहता है। ऐसे में पिस्टल पहुंचना बड़ा सवाल है। जेल के अधिकारी चुप्पी साधे हैं और कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं। हालांकि, इसका उत्तर खोजना ही होगा।
न्यायिक जांच के बाद पता चलेगी सुरक्षा में चूक
आइजी चित्रकूटधाम परिक्षेत्र के.सत्यनारायण ने सुरक्षा में चूक के सवाल पर कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी। जिलाधिकारी न्यायिक जांच की सिफारिश करेंगे, जिसके बाद सुरक्षा में चूक के संबंध में पता चलेगा। न्यायिक अधिकारी पूरे मामले की जांच करके रिपोर्ट देंगे।