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Gandhi Jayanti 2022 : गांधी जी का कानपुर के तिलक हाल से भी गहरा नाता, यहां पढ़ें उनसे जुड़ी यादें

Gandhi Jayanti 2022 कानपुर में गांधी जी का तिलक हाल से भी गहरा नाता जुड़ा हैं। वर्ष 1934 में तिलक हाल का उद्घाटन किया था। राजनीतिक यात्रा के दौरान भावुकता संग मुखरता भी उनके चेहरे पर दिखी थी। उन्होंने खादी प्रसार के लिए भी काम किया था।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh MishraPublished: Sun, 02 Oct 2022 07:29 AM (IST)Updated: Sun, 02 Oct 2022 07:29 AM (IST)
Gandhi Jayanti 2022 : गांधी जी का कानपुर के तिलक हाल से भी गहरा नाता, यहां पढ़ें उनसे जुड़ी यादें
Gandhi Jayanti 2022 गांधी जी का तिलक हाल से भी जुड़ा है गहरा नाता।

कानपुर, जागरण संवाददाता। कोतवाली के पास बायीं ओर गली में स्थित तिलक हाल से गांधी जी का गहरा नाता है। यहां उनसे जुड़ी यादें अब भी हैं। वर्ष 1934 में उद्घाटन के दौरान लगाया गया शिलापट उनके जुड़ाव की कहानी बता रहा है। वह अपनी इस राजनीतिक यात्रा के दौरान भावुकता के साथ मुखर रूप से लोगों के बीच पहुंचे थे और उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ने के लिए जोश भरा था।

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तिलक हाल में होती रहतीं बापू की चर्चाएं

दो अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के दिन तिलक हाल में प्रत्येक वर्ष उनके यहां आगमन और कार्यक्रम से जुड़ी चर्चाएं अवश्य होती हैं। तिलक हाल के उद्घाटन को लेकर उनकी कानपुर की यात्रा कई अन्य गतिविधियों से भी जुड़ी रही। बुजुर्ग कांग्रेसी शंकर दत्त मिश्र का कहना है कि पुराने लोग व इतिहास के जानकार बताते थे कि उस समय महात्मा गांधी तमाम कुरीतियों को खत्म करके देश के लोगों को एक-दूसरे के पास लाकर राष्ट्रीय आंदोलन को धार देना चाहते थे।

जब भावुक हो गए थे गांधी जी

22 जुलाई, 1934 को यहां आए गांधी जी ने अपनी पांच दिवसीय यात्रा के दौरान ही 24 जुलाई, 1934 को तिलक हाल का उद्घाटन किया था। कांग्रेस की गतिविधियों के केंद्र बने इस कार्यालय का नाम लोकमान्य तिलक के नाम पर रखा गया था। वह बोलते समय इतने भावुक हो गए थे कि उन्होंने कहा कि 20 साल पहले जब वह स्टेशन पर उतरे थे तो तिलक जी का भव्य स्वागत दूर खड़े होकर देखा था। उन क्षणों की यादें अब भी मेरी स्मृतियों में हैं। हम सभी स्वराज के लक्ष्य को प्राप्त कर सकें, इसके लिए सभी को मिलकर लड़ना होगा।

खादी प्रसार के लिए भी किया था काम

गांधी जी ने अपनी पांच दिवसीय यात्रा में खादी प्रसार को लेकर भी काम किया था। 26 जुलाई को आर्य प्रतिनिधि सभा में संबोधन के दौरान अनुसूचित जाति के प्रति छुआछूत को खत्म करने पर जोर देकर कहा था कि अब समय एकजुटता का है। उन्होंने राष्ट्रीय भाषा समिति के प्रतिनिधि मंडल में शामिल ब्रज बिहारी मल्होत्रा, बालकृष्ण शर्मा नवीन, छैल बिहारी बाजपेयी कंटक व बाबा राघवदास से भी मुलाकात की थी।

शिलापट में ये लिखा

जमीन खरीदी गई सन 1925, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नींव रखी 24 सितंबर, 1931, महात्मा गांधी ने उद्घाटन किया 24 जुलाई, 1934, निरीक्षक-तुलसीदास कोचर, निर्माणकर्ता-मेसर्स धनीराम प्रेमसुख ठेकेदार, प्रबंधक-नारायण प्रसाद अरोड़ा।

-गांधी जी की याद में दो अक्टूबर को चरखा से सूत कातने की परंपरा है। तिलक हाल की माटी से उनकी स्मृतियों की खुशबू आती है। कांग्रेसी उनके बताए मार्ग पर चलकर अच्छा करने की कोशिश कर रहे हैं। -शंकर दत्त मिश्र, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, शहर कांग्रेस कमेटी उत्तर।


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