पत्नी के इलाज में उधारी से टूट चुके मजदूर को एेसे मिला मोदी का साथ, जानिए
उन्नाव के बहुराजमऊ (सिकंदरपुर) के ढीमरा गांव निवासी खेतिहर मजदूर राम आश्रय का बीपीएल कार्ड में नाम है। आयुष्मान भारत योजना शुरू होने पर गोल्डन कार्ड भी बनवा लिया। तभी एक हादसे में पत्नी सुशीला के कूल्हे की हड्डी टूट गई। एलएलआर अस्पताल (हैलट) के वार्ड आठ में बेड 15 पर भर्ती हैं। उनके कूल्हे का आपरेशन हुआ है।
ऋषि दीक्षित कानपुर
वह तो पत्नी का इलाज कराने में टूट चुके थे। 80 हजार रुपये उधार लेकर बच्चेदानी का आपरेशन कराया, जिसका ब्याज अभी तक भर रहे हैं। अचानक एक हादसे में पत्नी के कूल्हे की हड्डी टूट गई। ऐसे में मानो उस खेतिहर मजदूर पर बिजली गिर गई हो। मगर, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आयुष्मान भारत उनके लिए वरदान बन गई। इसके जरिये पत्नी का आपरेशन बिना रुपये खर्च किए ही हो गया। इसका जिक्र करते ही उनकी आंखों से आंसू छलक उठते हैं। ऐसा हो भी तो क्यों नहीं, जो वह दोबारा कर्ज लेने से बच गए।
उन्नाव के बहुराजमऊ (सिकंदरपुर) के ढीमरा गांव निवासी खेतिहर मजदूर राम आश्रय का बीपीएल कार्ड में नाम है। आयुष्मान भारत योजना शुरू होने पर गोल्डन कार्ड भी बनवा लिया। तभी एक हादसे में पत्नी सुशीला के कूल्हे की हड्डी टूट गई। एलएलआर अस्पताल (हैलट) के वार्ड आठ में बेड 15 पर भर्ती हैं। उनके कूल्हे का आपरेशन हुआ है। पत्नी की तीमारदारी कर रहे राम आश्रय मिल गए। उन्होंने बताया कि माली हालत ठीक नहीं है। महज 6 बिस्वा खेत हैं, पत्नी, दो बेटियों व दो बेटों का पेट पालने के लिए मजदूरी करते हैं। नौ फरवरी को सुबह पत्नी सड़क हादसे में घायल हो गईं। उन्हें लेकर बीघापुर (उन्नाव) के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए। वहां से उन्नाव जिला अस्पताल भेज दिया गया। डॉक्टरों ने बाहर से एक्सरे कराया, जिसमें पांच सौ रुपये खर्च हुए। फिर एलएलआर अस्पताल भेज दिया। नौ फरवरी को ही यहां आ गए। साथ में आयुष्मान पत्र और आधार कार्ड लेकर आए थे। वार्ड में आयुष्मान मित्र मिले जो उनको डॉ. एसके सिंह के पास ले गए। उसके बाद आपरेशन, इंप्लांट, दवाएं और जांच में एक भी पैसा नहीं लगा। खाने पीने का भी इंतजाम है।
आइसीयू में भर्ती है बच्ची
विजय नगर में रहने वाले ईंट-भट्ठा मजदूर राजेंद्र की चार वर्षीय पुत्री को एक सप्ताह पहले बुखार आया। मेडिकल स्टोर से दवा लेकर खिलाई। उसके दो-तीन दिन बाद से बच्ची की हालत बिगड़ती चली गई। उसकी सांस फूलने लगी और शरीर में सूजन होने लगी। दांत बंधने पर बेहोश होकर गिर गई, जिससे हाथ-पैर में चोटें भी आईं। वह बच्ची को एलएलआर अस्पताल के बाल रोग चिकित्सालय लेकर आए। राजेंद्र आयुष्मान लाभार्थी हैं, लेकिन पति-पत्नी व एक पुत्री का ही नाम आयुष्मान पत्र में है। उनके पास दूसरी पुत्री का जन्म प्रमाणपत्र भी नहीं था। ऐसे में नोडल अफसर ने पहल करते हुए बच्ची को आयुष्मान में पंजीकृत कराया। अब आइसीयू में बच्ची का इलाज चल रहा है। छह हजार रुपये की एमआरआइ जांच और 10-10 हजार रुपये की दवाएं मुफ्त मिल रही हैं। उनके खाने तक का इंतजाम कराया जा रहा है। डॉ. यशवंत राव ने बताया कि बच्ची की स्थिति गंभीर थी। जांच में मस्तिष्क ज्वर की पुष्टि हुई है।