सत्ता की हनक में भूल गए सदन की मर्यादा
नगर निगम सदन की गरिमा भी सोमवार को तार-तार हो गई। नियमों को ताक पर रख दिया गया।
जागरण संवाददाता, कानपुर : नगर निगम सदन की गरिमा भी सोमवार को तार-तार हो गई। नियमों को ताक पर रख दिया गया। पार्षदों व पदेन सदस्यों की कुर्सी पर भाजपा के दोनों जिलाध्यक्ष, कई पार्षद पतियों के अलावा बाहरी लोग बैठे रहे।
नगर निगम सदन पूर्वाह्न 11.13 बजे शुरू हुआ। महापौर प्रमिला पांडेय गाउन पहनकर सदन पहुंचीं। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के लिए अफसरों व कर्मचारियों को भी बुलाया गया था। सदस्यों की कुर्सी पर बैठे कर्मचारियों को जनसंपर्क अधिकारी राजीव शुक्ल ने हटाया। वहीं भाजपा के उत्तर जिलाध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी और दक्षिण जिलाध्यक्ष अनीता गुप्ता सदन में उन कुर्सियों पर बैठे रहे जहां पदेन सदस्य व पार्षद बैठते हैं। सदन के दौरान ही सांसद देवेंद्र सिंह भोले के साथ ही कई लोग अंदर आ गए। राहुल सिंह व राजवीर सिंह खुद को सांसद का रिश्तेदार बताते हुए बैठ गए। उनको सदस्यों की कुर्सी से हटाकर दूसरी जगह बैठाया गया। भाजपा स्थानीय निकाय प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय संयोजक राजेश सिंह भी चले आए उन्होंने कहा कि उनको पता नहीं था। किसी ने रोका भी नहीं। इसके अलावा पार्षद पति व पूर्व पार्षद राकेश साहू, मनोज यादव भी अपनी पत्नियों के साथ बैठे रहे। यहीं नहीं सदन में रखे गए प्रस्तावों को भी मेज थपथपाकर मंजूरी दी। पूरे सदन के दौरान कोई रोक-टोक नहीं थी, हर व्यक्ति अंदर चला आ रहा था। सदन में पदेन सदस्य विधायक इरफान सोलंकी व अरुण पाठक मौजूद थे। कुल 45 पार्षद सदन में आए।
जनता को बैठाने के लिए अलग दीर्घा
जनता को बैठाने के लिए सदन के ऊपर अलग दीर्घा बनी है। नगर निगम अधिनियम 1959 के अध्याय तीन की धारा 88 की उपधारा तीन के तहत सदन जनता के लिए खुला रहेगा। पीठासीन अधिकारी तय करेंगे कि जनता के समक्ष प्रस्ताव पर चर्चा करें या नहीं लेकिन पार्षद और पदेन सदस्यों की कुर्सी पर उनके अलावा कोई नहीं बैठ सकता।
महापौर ने दी सफाई
भाजपा जिलाध्यक्षों को बुलाया था। सभी पार्टी के जिलाध्यक्षों का स्वागत था। उनके बैठने के लिए अलग से व्यवस्था की गई थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देनी थी, ऐसे माहौल में इस पर ध्यान नहीं दिया गया। भविष्य में इसका ध्यान रखा जाएगा। - प्रमिला पांडेय, महापौर