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Defence Corridor: यूपी में देसी और विदेशी कंपनियां करेंगी निवेश, खुलेंगे रोजगार के रास्ते

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ आगरा झांसी चित्रकूट कानपुर व लखनऊ में डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना की जा रही है। कानपुर में एक और अलीगढ़ में 15 कंपनियों को भूमि आवंटित कर दी गई है। यहां पर सेना को आसानी से रक्षा उत्पाद मिल सकेंगे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 11:17 AM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 11:17 AM (IST)
Defence Corridor: यूपी में देसी और विदेशी कंपनियां करेंगी निवेश, खुलेंगे रोजगार के रास्ते
यूपी में औद्योगिक विकास के रास्ते भी खुलेंगे।

कानपुर, [दिग्विजय सिंह/हेमराज कश्यप]। प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर में देसी और विदेशी कंपनियां निवेश करेंगी, जबकि करीब ढाई से तीन लाख रोजगार सृजित होंगे। देश को रक्षा उत्पादों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए मेक इन इंडिया के तहत बड़े पैमाने पर बुलेट प्रूफ जैकेट, ड्रोन, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, तोप और उसके गोले, मिसाइल, विभिन्न तरह की बंदूकें आदि बनाने के लिए केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय ने अलग-अलग जिलों में डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना का फैसला दो साल पहले लिया था। इसके तहत राज्य सरकार अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट, कानपुर और लखनऊ में डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना कर रही है। इनकी स्थापना की जिम्मेदारी उप्र एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) को दी गई है। प्राधिकरण ने अलीगढ़ में 15 और कानपुर के साढ़ में एक कंपनी को भूमि आवंटित कर दी है।

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50 हजार करोड़ से ज्यादा के निवेश का हो चुका करार

डिफेंस कॉरिडोर में निवेश के लिए सौ से अधिक कंपनियां तैयार हैं। 30 से अधिक कंपनियों से करार भी हो चुका है। ये कंपनियां 50 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश करेंगी। अलीगढ़ में 15 कंपनियों को भूमि का आवंटन भी हो चुका है। कानपुर के साढ़ में प्रस्तावित कॉरिडोर में कुंग आर्मर कंपनी को भूमि आवंटित हो चुकी है। साढ़ में निवेश के लिए छह कंपनियों को जल्द भूमि आवंटित की जाएगी। अंशुल मेटल एंड पॉलीमर्स ने दो हेक्टेयर भूमि लेने की इच्छा जताई है। कंपनी यहां छह हजार करोड़ रुपये का निवेश करके करीब डेढ़ सौ लोगों को रोजगार देगी।

डाटुम एडवांस कंपोसिट््स ने 18 करोड़ रुपये के निवेश के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। कानपुर की प्रतिष्ठित रक्षा उत्पाद कंपनी एमकेयू लिमिटेड ने पांच हेक्टेयर में इकाई स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इसमें 200 करोड़ रुपये का निवेश होगा और करीब तीन सौ लोगों को रोजगार मिलेगा। कानपुर में निवेश करने वाली कंपनियों ने बेंगलूरु में आयोजित एयरो इंडिया-2021 में प्राधिकरण के साथ करार किया था।

रक्षा मंत्रालय कराना चाहता है उत्पादन

रक्षा मंत्रालय 101 रक्षा उत्पादों का उत्पादन आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के तहत कराना चाहता है। नौसेना की जरूरतों के हिसाब से रक्षा उत्पाद बनाने के लिए प्राधिकरण ने नौसेना की नेवल इनोवेशन एंड इंडिजिनाइजेशन आर्गनाइजेशन से भी अनुबंध किया है। कॉरिडोर में सिर्फ निजी क्षेत्र की कंपनियां ही नहीं, बल्कि रक्षा मंत्रालय के अधीनस्थ उपक्रम भी निवेश करेंगे।

शहरों की ओर पलायन रुकेगा

डिफेंस कॉरिडोर रोजगार और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में अहम भूमिका अदा करेंगे। पढ़े-लिखे युवाओं को नौकरी की तलाश में शहरों की ओर पलायन नहीं करना पड़ेगा। सबसे बड़ा लाभ बुंदेलखंड के युवाओं को मिलेगा, क्योंकि वहां ज्यादा बेरोजगारी है। अभी बुंदेलखंड के युवा दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में नौकरी के लिए जाते हैं।

छोटी-छोटी यूनिटें भी लगेंगी

लड़ाकू विमान, तोप, टैंक, पनडुब्बी, युद्धपोत, हेलीकाप्टर, सैनिकों के लिए बूट, बुलेट प्रूफ जैकेट, पैराशूट, ग्लब्स आदि के उत्पादन से जुड़ी इकाइयां इन कॉरिडोर में स्थापित होंगी। इन्हें छोटे-छोटे उपकरणों की जरूरत भी होगी, जिसे पूरा करने के लिए छोटी- छोटी इकाइयां भी स्थापित होंगी। इससे अप्रत्यक्ष तौर पर भी रोजगार मिलेंगे।

सेना को आसानी से मिल जाएंगे जरूरत के सामान

कानपुर में तीन दर्जन से अधिक इकाइयां हैं, जो रक्षा उत्पाद बनाती हैं। इनमें आधा दर्जन रक्षा मंत्रालय के अधीन हैं। डिफेंस कॉरिडोर में निवेश होगा तो भारतीय सेना को बड़े पैमाने पर सस्ते और कम समय में उत्पाद मिलेंगे। रक्षा उत्पादों का निर्यात करने में भी भारत की भूमिका अग्रणी होगी।

कानपुर में स्थापित होंगी 94 इकाइयां

कानपुर के साढ़ में प्रस्तावित कॉरिडोर की स्थापना 213.5304 हेक्टेयर में हो रही है। यहां 94 औद्योगिक इकाइयां होंगी। कानपुर की कुंग आर्मर कंपनी ने भूमि लेने के बाद निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। यहां एक हेक्टेयर से लेकर पांच हेक्टेयर तक के भूखंड हैं। आवंटियों को भूखंड की कुल कीमत पर 25 फीसद की छूट दी जाएगी।

आइआइटी कानपुर और बीएचयू भी मददगार

आइआइटी कानपुर और आइआइटी बीएचयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान कॉरिडोर स्थापना में मददगार हैं। दोनों तकनीकी शिक्षण संस्थानों के साथ प्राधिकरण ने सेंटर फॉर एक्सीलेंस बनाने के लिए करार किया है। कॉरिडोर में तकनीक विकसित करने में मदद करने के लिए करीब 150 कंपनियां आइआइटी कानपुर के साथ जोडऩे का लक्ष्य है। कई कंपनियां जुड़ भी गई हैं। आइआइटी में बने टेक्नोपार्क में कंपनियां अपने कार्यालय खोलकर अनुसंधान और विकास सेल गठित कर सकेंगी। कुछ कंपनियां यहां कार्यालय खोल भी चुकी हैं। इसके साथ ही प्राधिकरण की मदद से कानपुर के बारा सिरोही के पास टेक्नोपार्क की स्थापना भी की जाएगी। आइआइटी में स्टील्थ विमान, वायरलेस सिस्टम, रोबोट््स, सर्विलांस सिस्टम, फाइव जी नेटवर्क, मानव रहित विमान, साइबर सिक्योरिटी पर शोध का काम चल रहा है। ऐसे में यहां अनुसंधान और विकास सेल खोलने वाली कंपनियों को आइआइटी के विशेषज्ञों से तकनीकी मदद आसानी से मिलती रहेगी।

चित्रकूट में जमीन पर लगे बोर्ड

चित्रकूट में कुल 500 हेक्टेयर जमीन पर डिफेंस कॉरिडोर बनना है। पहले चरण में कर्वी ब्लॉक अंतर्गत कर्वी-पहाड़ी मार्ग पर बक्टा गांव के पास डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहीत की जा चुकी है। किसानों को मुआवजा देकर रजिस्ट्री भी कराई जा चुकी है। बोर्ड भी लग गए हैं। लखनऊ से टीम को जमीन देखने आना था, लेकिन अब पंचायत चुनाव के बाद आएगी।

  • डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। अलीगढ़ और कानपुर में भूखंडों के आवंटन का काम शुरू हो चुका है। बाकी जगहों पर भी जल्द ही आवंटन की प्रक्रिया शुरू होगी। कॉरिडोर में निवेश को कई देशी-विदेशी कंपनियों ने तैयारी की है। -ओमप्रकाश पाठक, ओएसडी, उप्र एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण।
  • डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना से रक्षा उत्पादों के निर्यात में भारत की भागीदारी बढ़ेगी और रोजगार मिलेंगे। विदेशी निवेश बड़े पैमाने पर होगा। निवेश के लिए इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से प्राधिकरण को पूरी मदद की जा रही है। -सुनील वैश्य, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
  • डिफेंस कॉरीडोर बनने से अपने देश में वह सैन्य उपकरण बनने लगेंगे, जिनके लिए अभी तक हम विदेश पर निर्भर हैं। निर्यात बढ़ेगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। -रामजी सेठ, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की डिफेंस कॉरीडोर विंग के प्रभारी।
  • छोटे उद्योगों को एक छत के नीचे सैन्य उपकरण बनाने व उनके टेंडर के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इसके साथ उत्पादों की टेस्टिंग भी आसान हो जाएगी। -मयंक श्रीवास्तव, सैन्य उपकरण उद्यमी।
  • कहां-कितनी ली गई भूमि

जिला भूमि चाहिए उपलब्ध है

झांसी : प्रथम चरण 889.0238- 861.2040, द्वितीय चरण 197.1420- 168.7937

चित्रकूट : 102.8060- 98.4580

अलीगढ़ : प्रथम चरण 52.9894- 51.7820, द्वितीय चरण 23.3080- 21.9300

कानपुर नगर : 213.5304- 174.2960

(नोट : भूमि का क्षेत्रफल हेक्टेयर में)


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