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कोरोना नियंत्रित करने पर फोकस, डेंगू बेलगाम

- निजी अस्पतालों एवं नर्सिंग होम में बड़ी संख्या में संक्रमित करा रहे इलाज - मई-जून में जार

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 06:42 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 06:42 AM (IST)
कोरोना नियंत्रित करने पर फोकस, डेंगू बेलगाम
कोरोना नियंत्रित करने पर फोकस, डेंगू बेलगाम

- निजी अस्पतालों एवं नर्सिंग होम में बड़ी संख्या में संक्रमित करा रहे इलाज

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- मई-जून में जारी होने वाला अलर्ट इस बार अक्टूबर माह में किया गया जारी

जागरण संवाददाता, कानपुर : स्वास्थ्य महकमा कोरोना नियंत्रण के फेर में डेंगू को भूल गया है। महकमे की पूरी मशीनरी कोरोना वायरस से निपटने में लगा दी है। इसका नतीजा है कि कोरोना नियंत्रित होते दिख रहा है, लेकिन डेंगू आक्रामक हो गया है। जून में डेंगू से निपटने और तैयारी के लिए डेंगू माह कागजों पर ही मनाया गया। न एंटी लार्वा का छिड़काव कराया गया, न रोकथाम के उपाए किए गए। अब डेंगू कहर बरपा रहा है। हद तो यह है कि मई-जून में जारी होने वाला अलर्ट इस बार अक्टूबर माह में जारी किया गया।

डेंगू को लेकर शहर में आठ मौतें हो चुकी हैं। हैलट एवं निजी अस्पतालों में डेंगू के लक्षण वाले मरीज इलाज के लिए पहुंचने लगे हैं। जांच के लिए उन्हें मेडिकल कॉलेज एवं निजी लैब में भेजा जा रहा है। मेडिकल कॉलेज के माइक्रो बायोलॉजी विभाग की लैब में में रोजाना 40-50 मरीज जांच कराने पहुंच रहे हैं। हालांकि अभी एक दिन छोड़कर जांच हो रही है। उर्सला में जांच न होने से वहां के सैंपल भी मेडिकल कॉलेज भेजे जा रहे हैं। मेडिकल कॉलेज की जांच में 10-15 में डेंगू की पुष्टि हो रही है। इसी तरह निजी लैब की जांच में भी 20-25 केस रोज आ रहे हैं।

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नर्सिग होम में इलाज

हैलट, उर्सला एवं केपीएम हॉस्पिटल के अलावा शहर के प्रमुख निजी अस्पतालों एवं नर्सिंग होम में डेंगू संक्रमित एवं डेंगू के लक्षण वाले मरीज बड़ी संख्या में भर्ती हैं। इसका कोई आंकड़ा स्वास्थ्य महकमे के पास नहीं है। न महकमे के अधिकारी जानने की जहमत उठा रहे हैं।

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प्लेटलेट्स के लिए मारामारी

विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार डेंगू आक्रामक है। संक्रमण के बाद तेजी से प्लेटलेट्स काउंट कम हो रहा है। पांच-छह दिन के संक्रमण के मरीजों की प्लेटलेट्स काउंट 15-20 हजार पहुंच रही है। ऐसे मरीजों के स्वजन प्लेटलेट्स के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक, उर्सला अस्पताल एवं आइएमए ब्लड बैंक का चक्कर लगा रहे हैं।

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आधे-अधूरे कर्मचारी

मलेरिया विभाग के लगभग 250 कर्मचारी हैं। उसमें से कइयों की ड्यूटी कोरोना में लगाई गई थी, जबकि कुछ को फील्ड में लगाया गया है। फील्ड में लगाए गए कर्मचारी भी दवा छिड़काव करते नजर नहीं आते हैं। आउटसोर्सिंग पर भी सितंबर माह में कुछ कर्मचारियों को रखा गया है। सही ढंग से मानीटरिग न होने से आधे कर्मचारी ही काम कर रहे हैं।

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इन क्षेत्रों में कहर

पनकी, कल्याणपुर, नौबस्ता, मछरिया, जरौली, बर्रा, श्याम नगर, रामपुरम, दहेली सुजानपुर, चकेरी, जाजमऊ, लाल बंगला, इंदिरा नगर।

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डेंगू के मरीज अब आने लगे हैं। जिनकी प्लेटलेट्स 25-30 हजार तक पहुंच जाती है, वैसे गंभीर मरीजों को भर्ती कर इलाज करना पड़ता है। चार-पांच गंभीर मरीज सभी जगह भर्ती हो रहे हैं।

डॉ. महेंद्र सरावगी, अध्यक्ष नर्सिंग होम एसोसिएशन

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प्लेटलेट्स की डिमांड बढ़ गई है। पहले 20-25 यूनिट थी, जो बढ़कर 70-75 यूनिट तक पहुंच गई है। प्लेटलेट्स लेने के लिए आने वाले मरीजों के स्वजन तेजी से प्लेटलेट्स गिरने की बात बताते हैं। इससे यह तय है कि इस बार डेंगू की स्थिति गंभीर है।

प्रो. लुबना खान, विभागाध्यक्ष ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन एवं ब्लड बैंक प्रभारी, जीएसवीएम

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डेंगू को लेकर स्थिति सामान्य है। कहीं से फिलहाल कोई शिकायत नहीं मिल रही है। 1400 रैपिड कार्ड मंगाए हैं, उससे उर्सला एवं सीएचसी में जांच शुरू की जाएगी।

डॉ. एपी मिश्रा, एसीएमओ एवं नोडल अफसर वेक्टर बार्न डिजीज


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