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परिवर्तन की नजीर बने कानपुर के पांच गांव, देखते ही बनती है यहां की तस्वीर

स्वच्छ भारत मिशन के बाद शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास की भी बढ़ी गति, शासन तक पहुंची सफलता की कहानी, मुख्यमंत्री देंगे पुरस्कार।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 01:48 PM (IST)Updated: Sun, 10 Feb 2019 10:56 AM (IST)
परिवर्तन की नजीर बने कानपुर के पांच गांव, देखते ही बनती है यहां की तस्वीर
परिवर्तन की नजीर बने कानपुर के पांच गांव, देखते ही बनती है यहां की तस्वीर

कानपुर, जागरण संवाददाता। गांव... यह शब्द सुनते ही दिमाग में तस्वीर बनती है कच्चे-ऊबड़ खाबड़ रास्ते, एक-दो कमरे का टूटा-फूटा सा स्कूल, गंदगी का ढेर और बीमारियां। इस तस्वीर को बदलने के लिए सरकारी योजनाएं आती हैं। कई गांवों में काफी सुधार हुआ भी है। मगर, सरकार की मुहिम को मौका बनाकर कानपुर के पांच गांवों ने दिखा दिया है कि ग्रामीण जागरूक हों तो बदहाली की तस्वीर ही बदली जा सकती है।

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स्वच्छ भारत मिशन और स्वच्छता ही सेवा से सफाई के लिए जागरूकता की बयार चली जो शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के हर पहलू को छूकर ही शांत हुई। इन पांच गांवों की सफलता व परिवर्तन की कहानी जिला पंचायती राज विभाग ने शासन को भेज दी है। जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन ग्राम पंचायतों को पुरस्कृत करने जा रहे हैं।

ग्राम पंचायत- ईश्वरीगंज

- विकासखंड- कल्याणपुर

- प्रधान- आकाश वर्मा

- सचिव- राकेश झा

- जनसंख्या- 1947

- परिवार- 379

- शौचालय- 379

- शिशु मृत्यु दर- शून्य

- टीकाकरण- 100 फीसद

- कुपोषित बच्चे- शून्य

यूं बदली स्थिति

-2014 तक मात्र 29 शौचालय थे। गंदगी, टूटे और जलमग्न रास्ते थे। कटरी के असामाजिक तत्व महिलाओं से अभद्रता करते थे। स्वच्छ भारत मिशन के बाद महिलाओं ने जागरूकता की मुहिम छेड़ी। मात्र 90 दिन में गांव खुले में शौचमुक्त हुआ। जिले का पहला ओडीएफ गांव घोषित होने के बाद 2017 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसी गांव से 'स्वच्छता ही सेवाÓ अभियान की शुरुआत की।

ग्राम पंचायत- दूल

-विकासखंड- कल्याणपुर

- प्रधान- संतोष कुमार

- सचिव- अरविंद पाल

- जनसंख्या- 4985

- परिवार- 964

- शौचालय- 964

- शिशु मृत्यु दर- 1 फीसद

- टीकाकरण- 90 फीसद

- साक्षरता दर- 85 फीसद

- कुपोषित बच्चे- शून्य

यूं बदली स्थिति

- 2014 तक 964 परिवारों में मात्र 110 के पास शौचालय थे। सड़कों और गलियों की हालत इतनी खराब थी कि शादी-विवाह तक होना बंद हो गए थे। अब गांव पूरी तरह समृद्ध नजर आता है।

ग्राम पंचायत- शाहपुर मझावन

- विकासखंड- बिधनू

- प्रधान- बबली

- सचिव- अतुल शुक्ला

- जनसंख्या- 1031

- शौचालय- शत-प्रतिशत

- शिशु मृत्यु दर- 0.1 फीसद

- टीकाकरण- 100 फीसद

- साक्षरता दर- 92 फीसद

यूं बदली स्थिति

-2015-16 में ग्राम पंचायत का सृजन हुआ। खुले में शौच और गंदगी के कारण सर्पदंश की बहुत घटनाएं होती थीं। रास्ते खराब थे। अब हर घर तक सड़क, बिजली व गैस कनेक्शन की सुविधा है।

ग्राम पंचायत- शीशूपुर

- विकासखंड- सरसौल

- प्रधान- मंजू सिंह

- सचिव- अजेंद्र कुमार तिवारी

- जनसंख्या- 3640

- शौचालय- शत-प्रतिशत

- शिशु मृत्यु दर- शून्य

- टीकाकरण- 100 फीसद

- साक्षरता दर- 95 फीसद

यूं बदली स्थिति

- गांव ओडीएफ हुआ। सामाजिक जागरूकता के लिए अभियान चलाए गए। नया पंचायत घर बना। शिक्षा के क्षेत्र में गांव बहुत मजबूत है। यहां प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय, इंटर कॉलेज के साथ ही आइटीआइ भी है।

ग्राम पंचायत- घिमऊ

- विकासखंड- शिवराजपुर

- प्रधान- गणेश कुमार बाजपेयी

- सचिव- सुरेश कुमार

- जनसंख्या- 2363

- शौचालय- शत-प्रतिशत

- शिशु मृत्यु दर- 0.2 फीसद

- टीकाकरण- 100 फीसद

- साक्षरता दर- 89 फीसद

यूं बदली स्थिति

-करीब पांच साल पहले गांव के ही रामअवतार की पत्नी अपने दो वर्ष के पुत्र के साथ शौच के लिए जंगल गई थीं। भेडिय़े ने हमला कर बच्चे को मार डाला तभी से घर-घर शौचालय बनवाने की ठानी थी। सरकार की योजना आई तो फिर स्थिति बदलती चली गई।

क्या बोले अधिकारी

स्वच्छ भारत मिशन और स्वच्छता ही सेवा से कई गांव सुधरे हैं, लेकिन ये पांच गांव बेहतर उदाहरण हैं। प्रधान, सचिव सहित ग्रामीणों ने जागरूकता और सक्रियता दिखाई। इन्हें मुख्यमंत्री द्वारा पुरस्कृत किया जाना है।

-सर्वेश कुमार पांडेय, जिला पंचायती राज अधिकारी 


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