गंगा सफाई में बछेंद्री के साथ जुटा जनसमूह
यह गंगा की पीड़ा का अहसास था कि गंदगी से मैला हो रहा पतित पावनी का आंचल साफ करने की मुहिम में लोग जुड़ते चले गए।
जागरण संवाददाता, कानपुर :
यह गंगा की पीड़ा का अहसास था कि गंदगी से मैला हो रहा पतित पावनी का आंचल साफ करने की मुहिम में लोग जुड़ते चले गए। एवरेस्ट फतह करने वालीं प्रथम महिला बछेंद्री पाल मंगलवार को अपनी 40 सदस्यीय टीम के साथ परमट और सरसैया घाट पर जब सफाई में जुटीं तो सहयोग करने के लिए जनसमूह उमड़ पड़ा। गंगा मैय्या की जय के उद्घोष से घाट गूंज उठे। हर कोई गंदगी साफ करने में बढ़-चढ़कर शामिल हुआ। तेज धूप के बावजूद लोगों ने सफाई कार्य को अंजाम दिया। कुछ घंटे की मेहनत का नतीजा था कि कूड़ा-करकट हटने के बाद घाट साफ-सुथरे, चकाचक नजर आने लगे। नदी में गिरने वाले गंदी नालियों में जमा सिल्ट को भी साफ किया गया।
हालांकि, सफाई से पहले वहां की हालत और गंगा में जाता दूषित पानी देखकर बछेंद्री ने गहरी चिंता जताई। कहा कि जब तक गंगा में गंदगी जाने का सिलसिला नहीं रुकता, तब तक पतित पावनी साफ नहीं हो सकती हैं। चाहे नाले-नालियों का गंदा पानी हो या घरों व अन्य स्थानों से फेंका जाने वाला कूड़ा, इस पर रोक लगे। बछेंद्री और उनकी टीम ने स्थानीय लोगों से गंगा को साफ रखने की अपील की। इस मौके पर गंगा विचार मंच के प्रांतीय संयोजक राघवेंद्र सिंह, अनिल सिंह, वन रेंजर डीएन सिंह समेत नगर निगम व वन विभाग के अफसर व कर्मी मौजूद रहे।
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गंगा के किनारे बने मकानों के लिए सोचे प्रशासन
बछेंद्री पाल ने कहा कि गंगा के किनारे जो मकान बने हैं, उनसे भी दूषित पानी सीधे गंगा में जाता है। इसलिए इन मकानों के लिए जिला प्रशासन को सोचना चाहिए कि आखिर इस समस्या का निदान कैसे हो सकता है। उन्होंने कहा कि गंगा को साफ रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।