Move to Jagran APP

कोणार्क में पहला, पाकिस्तान में दूसरा और तीसरा सूर्य मंदिर है यहां, श्रीकृष्ण के पौत्र ने की थी स्थापना

उरई के कालपी मदरा लालपुर गांव में यमुना नदी किनारे मंदिर व सूरज कुंड अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गया है।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 11:35 AM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 11:35 AM (IST)
कोणार्क में पहला, पाकिस्तान में दूसरा और तीसरा सूर्य मंदिर है यहां, श्रीकृष्ण के पौत्र ने की थी स्थापना
कोणार्क में पहला, पाकिस्तान में दूसरा और तीसरा सूर्य मंदिर है यहां, श्रीकृष्ण के पौत्र ने की थी स्थापना

उरई, [धनंजय त्रिवेदी]। एक सूर्य मंदिर कोणार्क ओडिशा में, दूसरा मुल्तान पाकिस्तान में और तीसरा मंदिर कालपी मदरा लालपुर गांव में है। विश्व के खगोल शास्त्री भी यहां आकर परीक्षण करते हैं। यमुना नदी के किनारे स्थित सूर्य मंदिर की हूबहू कोणार्क के सूर्य मंदिर जैसी बनावट है और सैकड़ों साल पुराने मंदिर के पास ही सूरज कुंड भी है। कहा जाता है, श्रीकृष्ण के पौत्र साम्ब ने इसकी स्थापना की थी।

loksabha election banner

सूर्य कुंड में स्नान कर शाप से मुक्त हुए साम्ब

भविष्य पुराण के अनुसार श्री कृष्ण के पौत्र साम्ब ने यहां सूर्य उपासना की थी तो ज्योतिषाचार्य वाराहमिहिर ने यहीं पर विश्व प्रसिद्ध सूर्य सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। कन्नौज के इतिहास पर आधारित पुस्तक कान्यकुब्ज महात्म्य में वर्णित है कि दुर्वासा ऋषि के शापवश साम्ब कुष्ठ रोगी हो गए थे और कन्नौज के मकरंज नगर में स्थित सूर्य कुंड में स्नान कर शाप से मुक्त हुए थे। इसके बाद उन्होंने यमुना नदी के तट पर कालप्रिय नाथ सूर्यदेव का मंदिर बनवाया था। बाद में इस स्थान का नाम कालप्रिय से कालपी हो गया। उस समय कन्नौज की दक्षिणी सीमा कालपी तक थी।

यह भी है एक किवदंती

दूसरी ओर, किवदंतियों के मुताबिक चौथी शताब्दी में वासुदेव ने कालपी नगर बसाया था। महर्षि वेदव्यास का जन्म भी यमुना किनारे किसी द्वीप पर होना बताते हैं। मान्यता है कि कालपी उनकी तपोस्थली भी रही है। भले ही यह मंदिर खुद में प्राचीनता को समेटे हुए है, बावजूद इसके संरक्षण के सार्थक प्रयास नहीं हुए। अब यह जीर्ण-शीर्ण हालत में है।

नागर शैली में बना है मंदिर

चूने और लाल पत्थर से नागर शैली में मंदिर का निर्माण कराया गया था। बुंदेलखंड संग्रहालय के संस्थापक हरिमोहन पुरवार के मुताबिक सूर्य मंदिर नागर शैली में बना है। मंदिर में सात सूर्य मठिया भी हैं। पहले यहां भगवान सूर्य की प्रतिमा थी। कालांतर में यमुना नदी में आई बाढ़ के चलते प्रतिमा बह गई। अब मंदिर के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।

कुछ समय पूर्व आगरा के पुरातत्व सर्किल कार्यालय व पर्यटन विभाग की टीम ने दौरा किया था, मगर मंदिर के संरक्षण को लेकर कोई प्रयास नहीं किए गए। सांसद भानुप्रताप वर्मा ने कहा कि केंद्रीय पर्यटन के मानचित्र पर जिले को लाने की मांग सदन में कर चुके हैं। पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के उद्घाटन पर मुख्यमंत्री को ऐतिहासिक धरोहरों के वीडियो दिखाकर जिले को पर्यटन के मानचित्र पर लाने की मांग की थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.