कानपुर में बन रही टैंक पर लगने वाली पहली गन
ऑर्डिनेंस डे के मौके पर लगी प्रदर्शनी में तरह-तरह के आयुधों का प्रदर्शन किया गया।
जागरण संवाददाता, कानपुर : जोशो-खरोश से ऑर्डनेंस डे मना रहीं कानपुर की आयुध निर्माणियों के खाते में इस बार तमाम उपलब्धियां हैं। अंतरराष्ट्रीय मानक की तोप 'शारंग' बना चुकी आर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर (ओएफसी) अब फील्डगन फैक्ट्री कानपुर (एफजीके) के साथ मिलकर पहली बार टैंक पर लगने वाली एसपी गन बना रही है, इसे कोरिया से आयात किया जा रहा है वहीं, फील्ड गन फैक्ट्री ने नेवी के लिए स्पेशल रैपिड गन माउंट बना दी है, जो अब तक इटली से आयात करनी पड़ती थी।
रविवार को आयुध दिवस है। इस उपलक्ष्य में अर्मापुर एस्टेट स्थित समाज सदन में ऑर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर, फील्ड गन फैक्ट्री और स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री के उत्पादों की दो दिवसीय प्रदर्शनी लगाई गई है। उद्घाटन समारोह के दौरान ओएफसी के वरिष्ठ महप्रबंधक अरुण कुमार जैन, फील्डगन फैक्ट्री के महाप्रबंधक शैलेंद्र नाथ और स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री के महाप्रबंधक एचआर दीक्षित ने संयुक्त प्रेसवार्ता की। अधिकारियों ने बताया कि स्पेशल रैपिड गन माउंट (एसआरजीएम) अभी तक भारत की किसी फैक्ट्री में नहीं बन रही थी। बैरल बनाने का ऑर्डर बीएचईएल को मिला था, जो बना नहीं सकी। वह महंगी कीमत पर इटली से आयात कर रही थी। मगर, फील्ड गन फैक्ट्री ने यह गन बनाने में सफलता हासिल कर ली। यह सिर्फ नेवी के लिए है। इसका सफल परीक्षण हो चुका है। कुछ ऑर्डर मिले हैं। अब बल्क ऑर्डर का इंतजार है। यह गन प्रति मिनट 120 राउंड फायर करने में सक्षम है। बैरल गर्म न हो, इसलिए वाटर जैकेट की तकनीक इस्तेमाल की गई है।
इसी तरह बड़े प्रोजेक्ट पर ओएफसी और फील्ड गन फैक्ट्री ने संयुक्त रूप से काम शुरू किया है। आर्डनेंस डेवलपमेंट सेंटर (ओडीसी) के निदेशक रितुराज द्विवेदी ने बताया कि हम सेल्फ प्रिपेल्ड गन (एसपी गन) बना रहे हैं। यह टैंक पर लगाई जाने वाली गन है, जिसका निर्माण अभी भारत में नहीं होता है। सेना के लिए कोरिया से आयात होता है, जो बहुत महंगी पड़ती है। वरिष्ठ महाप्रबंधक एके जैन ने बताया कि इसका आधा काम हो चुका है। उम्मीद है कि 26 जनवरी या अगले 18 मार्च तक इसकी लांचिंग कर दी जाएगी। इसकी मारक क्षमता चार से पांच किलोमीटर की होगी।