आइआइटी में आरोपित प्रोफेसरों पर एफआइआर का मामला टला
आइआइटी के कार्यवाहक निदेशक ने कहा कि मामले में वरिष्ठ प्रोफेसरों ने हस्तक्षेप किया है। हालांकि उन्होंने कहा कि इसपर 20 से पहले निर्णय ले लिया जाएगा।
जागरण संवाददाता, कानपुर : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के एयरोस्पेस विभाग में प्रोफेसर के साथ जातिगत भेदभाव मामले में आरोपित प्रोफेसरों पर एफआइआर का मामला फिलहाल टल गया है। हालांकि अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग ने चारों आरोपित प्रोफेसरों पर एफआइआर कराने के आदेश दिए थे।
संस्थान के कार्यवाहक निदेशक प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने सीनियर सेक्शन के तमाम विभागाध्यक्षों के साथ बैठक की। प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि बैठक के दौरान सीनियर प्रोफेसरों ने फिलहाल एफआइआर का मामला टाल दिया है। सभी का कहना था कि मामले पर कुछ अन्य लोगों से राय ली जाए। हालांकि कार्यवाहक निदेशक ने यह भी कहा कि एससी-एसटी आयोग को 20 अप्रैल तक रिपोर्ट भेजी जानी है, इसलिए उससे पहले ही आरोपित प्रोफेसरों के खिलाफ एक्शन लेंगे। सूत्रों के मुताबिक कैंपस में इस मामले पर सीनियर प्रोफेसरों के बीच घमासान की स्थिति रही। बता दें, कार्यवाहक निदेशक की ओर से मामले की निष्पक्ष जांच रिटायर्ड जज से कराने की बात कही जा चुकी है।
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बैठक के दौरान दो अहम फैसले
वरिष्ठ प्रोफेसरों के साथ मंथन करने के बाद आइआइटी के प्रशासनिक अफसरों की ओर से दो अहम फैसले लिए गए। एक ओर जहां लाइजन ऑफिसर कमल पोद्दार को हटाया गया, वहीं एयरोस्पेस विभाग के दो प्रोफेसरों सीएस उपाध्याय व देवोपम दास को डिपार्टमेंट, फैकल्टी, एडवाइजरी कमेटी से हटा दिया गया।
सोशल मीडिया पर मामले की चर्चा जोरों पर
आइआइटी कैंपस में इस मामले की चर्चा सोशल मीडिया पर जोरों पर है। प्रोफेसरों की ओर से वाट्सएप ग्रुप, फेसबुक आदि पर प्रतिक्रियाएं पोस्ट की जा रही हैं।