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कानपुर में बाबा बिरयानी के मालिक मुख्तार और बैंक अफसरों समेत 12 लोगों पर मुकदमा, शत्रु संपत्ति पर लोन का मामला

कानपुर में मुख्तार बाबा ने परिवार के सदस्यों के नाम से शत्रु संपत्ति को बंधक रखकर बैंक आफ बड़ौदा से 1.66 करोड़ रुपये का लोन लिया था। जानकारी होने पर बैंक ने ऋण खाता बंद कर दिया था। लेखपाल की तहरीर पर धोखाधड़ी कूटरचना साजिश की एफआइआर दर्ज कराई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 21 Nov 2022 11:05 AM (IST)Updated: Mon, 21 Nov 2022 11:05 AM (IST)
कानपुर में बाबा बिरयानी के मालिक मुख्तार और बैंक अफसरों समेत 12 लोगों पर मुकदमा, शत्रु संपत्ति पर लोन का मामला
कानपुर में मुख्तार बाबा पर कसता जा रहा शिकंजा।

कानपुर, जागरण संवाददाता। शत्रु संपत्ति को बंधक बनाकर 1.66 करोड़ रुपये का लोन लेने के मामले में बाबा बिरयानी के मालिक बाबा मुख्तार, उसके परिवार के दस सदस्यों और बैंक आफ बड़ौदा के अधिकारियों के खिलाफ थाना बेकनगंज में मुकदमा दर्ज कराया गया है। यह मुकदमा जिलाधिकारी के आदेश पर लेखपाल की ओर से दर्ज कराया गया है, जिसमें आरोपित पक्ष पर धोखाधड़ी, कूटरचना, साजिश का आरोप लगाया गया है। इसमें बैंक अधिकारियों समेत 12 लोगों को आरोपित किया गया है।

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लेखपाल ने दर्ज कराया मुकदमा

लेखपाल विपिन कुमार की ओर से जो मुकदमा दर्ज कराया गया है, उसके मुताबिक तलाक महल स्थित मेसर्स शाहिद सिल्क हाऊस के नाला रोड निवासी प्रोपराइटर शाहिद आलम ने बैंक आफ बड़ौदा की किदवई नगर शाखा से 27 दिसंबर 2006 को 75 लाख की सीमा का ओवर ड्राफ्ट खाता स्वीकृत किया गया था।

पांच सितंबर 2009 को बैंक की ओर से 1.57 करोड रुपये की ओवरड्राफ्ट सीमा स्वीकृत कर दी गयी। इसके साथ ही 23 सितंबर 2029 को 9.12 लाख रुपये मियादी ऋण भी बैंक द्वारा शाहिद सिल्क हाऊस को दे दिया गया। इस ओवर ड्राफ्ट ऋण की स्वीकृति के लिए प्रोपराइटर शाहिद आलम ने 8 संपत्तियां बैंक में बंधक बनाई थीं।

शत्रु संपत्तियों पर बैंक ने जारी किया ऋण

जांच में सामने आया कि जो संपत्तियां बैंक में बंधक रखी गईं, उसमें 91/146 हीरामन का पुरवा शत्रु संपत्ति घोषित है, जो कि सरकार की संपत्ति मानी जाती है। जिसे विक्रय या बंधक नहीं रखा जा सकता है। इसके अलावा दो अन्य संपत्तियां 99/14ए, बेकनगंज एवं 88/21 नाला रोड, चमनगंज को भी शत्रु संपत्ति घोषित करने की प्रक्रिया वर्तमान समय में चल रही है। आरोप है कि बैंक आफ बडौदा ने जब इस संबंध में पूछा गया तो उनके द्वारा अपने पैनल अधिवक्ता के माध्यम से इन संपत्तियाें के संबंध में क्लियरेंस रिपोर्ट प्राप्त करके ऋण जारी करने का दावा किया गया।

बैंक ने राजस्व विभाग से नहीं ली आख्या

इस संबंध में बैंक द्वारा राजस्व विभाग से बंधक संपत्तियों के संबंध में आख्या ही नहीं ली गई थी। यदि राजस्व विभाग/नगर निगम से इनके स्वामित्व के संबंध में आख्या ली गयी होती तो सही स्थिति का पता चल पाता। पर बैंक प्रबंधन द्वारा ऐसा नहीं किया गया। आरोप यह भी है कि शाहिद आलम ने संपत्ति संख्या 91/146 हीरामन का पुरवा का स्वामित्व अपना दर्शाने के लिए कूटरचित दस्तावेजों का प्रयोग किया।

जांच नहीं की बल्कि ऋण खाता ही बंद कर दिया

एफआइआर में आरोप लगाया गया है कि शत्रु संपत्ति पर ऋण सुविधा प्रदान करने की जानकारी जब प्रभारी अधिकारी शत्रु संपत्ति को हुई तो उन्होंने एक पत्र 20 दिसंबर 2021 को बैंक आफ बड़ौदा को लिखा। आरोप है कि जांच या कार्रवाई के स्थान पर बैंक ने 25 अप्रैल 2022 को ऋण खाता ही बंद कर दिया और ऋणी को बंधक संपत्ति के कागजात वापस कर दिए। आरोप है कि इससे स्पष्ट है कि बैक आफ बड़ौदा इस अपराध में पूरी तरह शामिल है।

इन्हें बनाया गया है आरोपित

तहरीर के मुताबिक इस प्रकरण में शत्रु संपत्ति संरक्षण संघर्ष समिति के मुख्य संगठक शफीउल्लाह गाजी द्वारा शिकायत की गई और उनकी जानकारियों के आधार पर इस खेल में मुख्तार बाबा समेत उसमें दस अन्य परिजनों के नाम सामने आए हैं।

इनके नाम कामना बेगम पिता नादिर शाह निवासी हीरामन का पुरवा, नाज आयशा पत्नी शाहिद आलम निवासी नाला रोड, मिराज आयसा पिता फबरूल इस्लाम निवासी नाला रोड, इरशाद अहमद पिता कल्लन खां निवासी बशीर स्टेट, इकबाल अहमद पिता इश्तियाक अहमद निवासी बशीर स्टेट, इमरान अहमद पिता इश्तियाक अहमद बशीर स्टेट, सुफीया पिता नूरूल खां निवासी बशीर स्टेट, गुलशन जहां पत्नी मुख्तार अहमद व मुख्तार अहमद निवासी बेकनगंज, अंजुम आरा पत्नी परवेज निवासी सीसामऊ और शाहिद आलम निवासी नाला रोड।

गौरतलब है कि दस्तावेजों में संपत्ति संख्या 91/146 हीरामन का पुरवा पाक नागरिक शाहिद हलीम की पायी गयी थी, जिसे 18 मई 2001 को तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा शत्रु सम्पत्ति घोषित किया गया था। इस संपत्ति को मुख्तार बाबा की पत्नी गुलशन जहां ने फर्जी हिबा के नाम पर अपने नाम करवाया था। जिसे बाद में उसने अपनी दोनों पुत्रियों नाज आयशा और अंजुम आरा के नाम कर दिया।


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