आइआइटी के चार प्रोफेसरों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट का मुकदमा
एयरोस्पेस विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर ने मामला दर्ज कराया है। दुव्र्यवहार, प्रताडऩा, ई-मेल से पीएचडी डिग्री के प्रति भ्रांति फैलाने का आरोप है।
By AbhishekEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 11:48 AM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 02:16 PM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। आइआइटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुब्रह्मण्यम सडरेला ने चार प्रोफेसरों पर कल्याणपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया। उन्होंने प्रो. ईशान शर्मा, प्रो. संजय मित्तल, प्रो. राजीव शेखर, प्रो. चंद्रशेखर उपाध्याय व एक अज्ञात व्यक्ति पर उत्पीडऩ व ई-मेल के जरिए उनकी पीएचडी डिग्री के प्रति भ्रांतियां फैलाने का आरोप लगाया है। आइआइटी की बोर्ड ऑफ गवर्नेंस (बीओजी) इन चारों को गंभीर दुव्र्यवहार, उपहास, प्रताडऩा का दोषी पाया है।
अपमानजनक टिप्पणी का लगाया आरोप
डॉ. सडरेला ने अपनी शिकायत में कहा है कि जुलाई 2017 में उन्होंने आइआइटी में नौकरी के लिए आवेदन किया। 26 दिसंबर को बाहरी विशेषज्ञों ने जांच के बाद उनकी नियुक्ति की सिफारिश की और 28 दिसंबर 2017 को उन्हें नियुक्ति पत्र मिला। एक जनवरी 2018 को उन्होंने एयरोस्पेस विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर ज्वाइन किया। आरोप है कि चार जनवरी को एक संगोष्ठी के दौरान प्रो. संजय मित्तल ने व्यंगात्मक व अपमानजनक टिप्पणी की। इसके बाद उनकी नियुक्ति को अनुपयुक्त करार करते हुए परिसर में इस बात को फैलाया जाने लगा। अपमानजनक टिप्पणी की शिकायत पर एससी-एससी आयोग से की थी।
आयोग ने दिए थे कार्रवाई के आदेश
उनकी शिकायत पर दस अप्रैल 2018 को आयोग के अध्यक्ष की अध्यक्षता में सुनवाई हुई और उसी दिन कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए गए। इस पर चारों प्रोफेसर हाईकोर्ट चले गए जहां से उन्हें स्टे मिल गया लेकिन दूसरी ओर इसकी अनुमति उन्हें मिल गई कि आइआइटी इस विषय पर जांच करे। बीओजी की रिपोर्ट में उनकी नियुक्ति सही व चारों प्रोफेसर को दोषी पाया गया पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। टिप्पणी व फर्जी तथ्यों के आधार पर ई-मेल करने से स्वाभिमान व सामाजिक सम्मान को ठेस पहुंची है।
इन विभागों के प्रोफेसरों पर है आरोप
प्रो.राजीव शेखर : आइआइटी कानपुर में मैटीरियल साइंस एंड इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर रहे व वर्तमान में आइआइटी आइएसएम के निदेशक हैं।
प्रो.चंद्रशेखर उपाध्याय : आइआइटी कानपुर में एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर।
प्रो.संजय मित्तल : एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर
प्रो. ईशान शर्मा : मैकेनिकल इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर
यह है मामला
जनवरी में एयरोस्पेस के पूर्व छात्र डॉ. सुब्रह्मण्यम सडरेला की नियुक्ति पर इन चार प्रोफेसर सहित दस से भी अधिक प्रोफेसरों ने नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। उन्होंने तत्कालीन निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल से नियुक्ति की निंदा की। इसके कुछ दिन बाद ही प्रो. सडरेला ने इन प्रोफेसरों पर जातिगत टिप्पणी व उत्पीडऩ का आरोप लगाया था।
बच्चों की जिंदगी पर पड़ रहा बुरा असर
आइआइटी के चार प्रोफेसरों के खिलाफ एफआइआर दर्ज होने से कैंपस में अफरा तफरी जैसा माहौल बना है। सोमवार सुबह से निदेशक, डीन व बोर्ड के सदस्यों की बैठक शुरू हो गई। इसके साथ ही आरोपी प्रोफेसरों की पत्नियों ने निदेशक प्रो. अभय करन्दीकर से मिलकर मामले को खत्म करने के लिए कहा। एक घंटे तक चली बैठक में निदेशक ने मामले में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया। प्रोफेसरों की पत्नियों ने बताया कि पिछले छह महीने से उनका परिवार परेशान है। घर, नौकरी व बच्चों का जीवन प्रभावित हो गया है। जिन प्रोफेसरों के खिलाफ शिकायत की गई है, उन्हें शांति स्वरूप भटनागर व राष्ट्रपति अवार्ड मिल चुका है। झूठी शिकायत पर कार्रवाई कैसे की जा सकती है।
आइआइटी परिसर में गहमागहमी
प्रोफेसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद से आइआइटी परिसर में गहमागहमी का माहौल बना है। मामले के विरोध में सौ से अधिक प्रोफेसर सामने आये हैं। उन्होंने घटना की निंदा करते हुए पठन पाठन का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है। विभिन्न विभागों में भी पूरे दिन कक्षा व शोध कार्य प्रभावित रहे और मामले की चर्चा होती रही।
अपमानजनक टिप्पणी का लगाया आरोप
डॉ. सडरेला ने अपनी शिकायत में कहा है कि जुलाई 2017 में उन्होंने आइआइटी में नौकरी के लिए आवेदन किया। 26 दिसंबर को बाहरी विशेषज्ञों ने जांच के बाद उनकी नियुक्ति की सिफारिश की और 28 दिसंबर 2017 को उन्हें नियुक्ति पत्र मिला। एक जनवरी 2018 को उन्होंने एयरोस्पेस विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर ज्वाइन किया। आरोप है कि चार जनवरी को एक संगोष्ठी के दौरान प्रो. संजय मित्तल ने व्यंगात्मक व अपमानजनक टिप्पणी की। इसके बाद उनकी नियुक्ति को अनुपयुक्त करार करते हुए परिसर में इस बात को फैलाया जाने लगा। अपमानजनक टिप्पणी की शिकायत पर एससी-एससी आयोग से की थी।
आयोग ने दिए थे कार्रवाई के आदेश
उनकी शिकायत पर दस अप्रैल 2018 को आयोग के अध्यक्ष की अध्यक्षता में सुनवाई हुई और उसी दिन कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए गए। इस पर चारों प्रोफेसर हाईकोर्ट चले गए जहां से उन्हें स्टे मिल गया लेकिन दूसरी ओर इसकी अनुमति उन्हें मिल गई कि आइआइटी इस विषय पर जांच करे। बीओजी की रिपोर्ट में उनकी नियुक्ति सही व चारों प्रोफेसर को दोषी पाया गया पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। टिप्पणी व फर्जी तथ्यों के आधार पर ई-मेल करने से स्वाभिमान व सामाजिक सम्मान को ठेस पहुंची है।
इन विभागों के प्रोफेसरों पर है आरोप
प्रो.राजीव शेखर : आइआइटी कानपुर में मैटीरियल साइंस एंड इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर रहे व वर्तमान में आइआइटी आइएसएम के निदेशक हैं।
प्रो.चंद्रशेखर उपाध्याय : आइआइटी कानपुर में एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर।
प्रो.संजय मित्तल : एयरोस्पेस इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर
प्रो. ईशान शर्मा : मैकेनिकल इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर
यह है मामला
जनवरी में एयरोस्पेस के पूर्व छात्र डॉ. सुब्रह्मण्यम सडरेला की नियुक्ति पर इन चार प्रोफेसर सहित दस से भी अधिक प्रोफेसरों ने नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। उन्होंने तत्कालीन निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल से नियुक्ति की निंदा की। इसके कुछ दिन बाद ही प्रो. सडरेला ने इन प्रोफेसरों पर जातिगत टिप्पणी व उत्पीडऩ का आरोप लगाया था।
बच्चों की जिंदगी पर पड़ रहा बुरा असर
आइआइटी के चार प्रोफेसरों के खिलाफ एफआइआर दर्ज होने से कैंपस में अफरा तफरी जैसा माहौल बना है। सोमवार सुबह से निदेशक, डीन व बोर्ड के सदस्यों की बैठक शुरू हो गई। इसके साथ ही आरोपी प्रोफेसरों की पत्नियों ने निदेशक प्रो. अभय करन्दीकर से मिलकर मामले को खत्म करने के लिए कहा। एक घंटे तक चली बैठक में निदेशक ने मामले में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया। प्रोफेसरों की पत्नियों ने बताया कि पिछले छह महीने से उनका परिवार परेशान है। घर, नौकरी व बच्चों का जीवन प्रभावित हो गया है। जिन प्रोफेसरों के खिलाफ शिकायत की गई है, उन्हें शांति स्वरूप भटनागर व राष्ट्रपति अवार्ड मिल चुका है। झूठी शिकायत पर कार्रवाई कैसे की जा सकती है।
आइआइटी परिसर में गहमागहमी
प्रोफेसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद से आइआइटी परिसर में गहमागहमी का माहौल बना है। मामले के विरोध में सौ से अधिक प्रोफेसर सामने आये हैं। उन्होंने घटना की निंदा करते हुए पठन पाठन का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है। विभिन्न विभागों में भी पूरे दिन कक्षा व शोध कार्य प्रभावित रहे और मामले की चर्चा होती रही।
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