रासायनिक खादों का दिखने लगा असर, उर्वरक क्षमता घटने से बंजर होने लगे खेत Kanpur News
कृषि विभाग के परीक्षण में शहर में चौबेपुर ककवन और घाटमपुर ब्लॉक की स्थिति सबसे खराब आसपास के जनपद भी प्रभावित।
कानपुर, जेएनएन। रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक इस्तेमाल से धरती की 'गोद' बंजर हो रही है। चौबेपुर, ककवन और घाटमपुर ब्लॉक की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। यहां कई खेत ऊसर होने के कगार पर पहुंच गए हैं। कृषि विभाग ने मिट्टी की जांच के बाद ये चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है।
परीक्षण के लिए 3218 खेतों से ली गई थी मिट्टी
परीक्षण के लिए कृषि विभाग ने 10 ब्लॉकों के 3218 खेतों की मिट्टी ली थी। रावतपुर स्थित मंडलीय लैब में इनका परीक्षण कराया गया। जांच में सामने आया कि मिट्टी में उन पोषक तत्वों की भारी कमी है, जो पौधों के विकास में सहायक होते हैं। रासायनिक खाद की अधिकता मिट्टी के लिए घातक सिद्ध हो रही है। जैविक खाद और हरी खाद की कमी से पोटेशियम, फॉस्फोरस, सल्फर, जिंक आदि तत्व घट रहे हैं। पहले उर्वरता का स्तर मद्धिम था अब वह निम्न स्तर पर पहुंच गया है। आयरन और बोरोन का स्तर भी पांच फीसद कम मिला। सिर्फ मैगनीज और कॉपर की मात्रा सही थी। कृषि विशेषज्ञों ने इन क्षेत्रों में किसानों को जागरूक करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के विशेषज्ञों की मदद ली जा सकती है।
इन ब्लॉकों से लिये गए नमूने
कल्याणपुर, सरसौल, बिधनू, घाटमपुर, पतारा, भीतरगांव, बिल्हौर, शिवराजपुर, चौबेपुर, ककवन।
ऐसे ऊसर हो रही मिट्टी
कृषि विभाग के मृदा विशेषज्ञ सुनील प्रकाश भारद्वाज के मुताबिक पीएच की मात्रा से अम्लीय और क्षारीय होने का पता चलता है। 7 से नीचे अम्लीय और 8 से ऊपर क्षारीय हो जाती है। चौबेपुर, ककवन, घाटमपुर में पहले पीएच की मात्रा पहले 7.78 से 7.79 के बीच थी। अब 8.03 से 8.04 के बीच आई है। 8.05 से अधिक पीएच की मात्रा मिलने से जमीन ऊसर कहलाती है। अन्य ब्लॉकों की मिट्टी भी 8 पीएच पार करने वाली है।
अन्य जनपद भी प्रभावित
- कन्नौज के खेतों में फास्फोरस और सल्फर की मात्रा कम मिली।
- कानपुर देहात में पोटेशियम और नाइट्रोजन में कमी पाई गई।
- औरैया में जिंक और सल्फर की मात्रा कम मिली।
- इटावा और फर्रुखाबाद के खेतों में जिंक बेहद कम हो गया है।
इनका ये है कहना
खेतों में लगातार पोषक तत्व घटते जा रहे हैं। कई जनपदों की मिट्टी खराब हो चुकी है। खेतों में जैविक खाद का प्रयोग करने से ही मिट्टी की उर्वरता बचाई जा सकती है।
- धीरेंद्र सिंह, उप निदेशक कृषि विभाग