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फतेहपुर में अंतरप्रांतीय टप्पेबाज गिरोह के सरगना समेत तीन हत्थे चढ़े, यूपी, हरियाणा समेत कई प्रांतों कर चुके वारदात

कोतवाली प्रभारी रवींद्र श्रीवास्तव ने बताया कि सरगना नीरज समेत तीनों अंतरप्रांतीय गिरोह जिस गांव के रहने वाले हैं। वहां के लोगों का टप्पेबाजी ही पेशा है। यूपी समेत अन्य राज्यों में गिरोह सक्रिय है और सौ से अधिक टप्पेबाजी की घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं।

By Akash DwivediEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 08:02 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 08:02 PM (IST)
फतेहपुर में अंतरप्रांतीय टप्पेबाज गिरोह के सरगना समेत तीन हत्थे चढ़े, यूपी, हरियाणा समेत कई प्रांतों कर चुके वारदात
गिरोह सक्रिय है और सौ से अधिक टप्पेबाजी की घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं

कानपुर, जेएनएन। पुलिस ने शनिवार को फरीदपुर मोड़ के पास से अंतरराज्यीय टप्पेबाज गिरोह के सरगना समेत तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इसमें एक नाबालिग है। उनसे कार, नकदी, तमंचा, कई बैंक पासबुक बरामद हुई हैं। गिरोह के सदस्य मध्यप्रदेश के राजगढ़ के थाना बोड़ा अंतर्गत कडिय़ा सासी के निवासी हैं। पूरे गांव के लोग टप्पेबाजी के धंधे में लिप्त हैं। दूसरे प्रांतों तक जाकर वारदातें करते हैं।

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बिंदकी कोतवाली के लाल का पुरवा गांव निवासी अधिवक्ता कैलाश चंद्र पटेल के बिंदकी तहसील परिसर स्थित बस्ते से एक लाख रुपये की टप्पेबाजी हुई थी। इसके पहले भी दो घटनाएं होने से पुलिस उनकी खोजबीन में जुटी थी। बैंक शाखा के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखने के बाद एक किशोर की पहचान हुई तो उसे दबोचा गया। उसकी निशानदेही पर सरगना नीरज सिसौदिया और शक्ति सिंह सिसौदिया की फरीदपुर मोड़ के पास से शनिवार सुबह 8:30 बजे गिरफ्तारी हुई। कोतवाली प्रभारी रवींद्र श्रीवास्तव ने बताया कि सरगना नीरज समेत तीनों राजगढ़ के कडिय़ा सासी गांव के निवासी है। गैंग सौ से अधिक टप्पेबाजी की घटनाएं कर चुका है। उप्र, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़ आदि प्रांतों में वारदातें करते हैं।

यह हुई बरामदगी : एक कार, दो मोबाइल फोन, टप्पेबाजी के 22 हजार रुपये, दो बैंक पासबुक, दो चेक बुक, एक आधार कार्ड, दो 315 बोर के तमंचे और दो कारतूस।

नाबालिग करता रेकी, बाकी सदस्य उड़ाते रकम : मध्यप्रदेश के राजगढ़ के थाना बोड़ा अंतर्गत कडिय़ा सासी गांव निवासी ज्यादातर टप्पेबाज सासी जाति के हैं। गैंग में शामिल नाबालिग बैंक शाखाओं के बाहर रेकी करता था। इसके बाद बाकी सदस्य मिलकर रुपये पार करते थे। कई बार नाबालिग लोगों का ध्यान भटकाने का काम करता था, जबकि बाकी रुपयों से भरा बैग या झोला लेकर भाग जाते थे।


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