फर्रुखाबाद में दीवार बनाने के विरोध में ग्रामीण की पीटकर कर दी थी हत्या, दोषी दंपती को 10 साल की सजा
फर्रुखाबाद में दीवार बनाने के विरोध में एक ग्रामीण की हत्या के मामले में अदालत ने एक दंपती को 10 साल की सजा सुनाई है। दीवार के निर्माण को लेकर हुए विवाद में मारपीट हुई, जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण की जान चली गई। अदालत का यह फैसला न्याय की जीत माना जा रहा है।
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जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद। दीवार बनाने का विरोध करने पर सात साल पहले ग्रामीण के साथ मारपीट की गई थी। अस्पताल में चिकित्सक ने ग्रामीण को मृत घोषित कर दिया था। इस मामले में अपर जिला सत्र न्यायाधीश ने बुधवार को दंपती को दोषी करार देते हुए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा था। शुक्रवार को न्यायाधीश ने दंपती को 10 वर्ष का कारावास व 10 - 10 हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया है।
अमृतपुर थाना क्षेत्र के गांव कोलासोता हरपालपुर निवासी रामदेवी ने 15 जून 2018 को गांव के ही रामबरन व उसकी पत्नी गुड्डी देवी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें कहा था कि रामबरन उनकी जगह में दीवार बना रहा था। पति रामकुमार ने विरोध किया तो रामबरन व गुड्डी गालीगलौज कर मारपीट करने लगे। जिससे पति रामकुमार गंभीर रूप से घायल हो गए। अस्पताल लेकर पहुंचे तो डाक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
इस मामले में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद सुनवाई के दौरान एडीजीसी केके पांडेय, संजीव कुमार पाल व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अपर जिला सत्र न्यायाधीश शैली राय ने रामबरन व गुड्डी देवी को गैर इरादतन हत्या में दोषी करार दिया था। शुक्रवार को न्यायाधीश ने दोषी दंपती को 10 साल का कारावास व 10 - 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा न करने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद के आदेश दिए हैं।
इधर, पीटकर घायल करने में चार दोषी करार, 18 को होगी सजा
कच्ची शराब पकड़वाने के शक में घर में घुसकर महिला को मारपीट कर घायल कर दिया गया था। इस मामले में एंटी डकैती न्यायालय के विशेष न्यायाधीश ने चार लोगों को दोषी करार दिया है। सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 18 नवंबर की तिथि नियत की गई है। वहीं लूट के आरोप में सभी आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
मऊदरवाजा थाना क्षेत्र के गांव हरसिंहपुर निवासी सुमन ने 28 अगस्त 1998 को न्यायालय में परिवाद दर्ज कराया था। जिसमें कहा था कि पड़ोस के ही रहने वाले रामनरेश व उनके परिवारीजन को शक था कि उनके कहने पर पुलिस ने छापा मारकर उनके यहां से शराब पकड़ी थी। इसी को लेकर वह रंजिश मानते थे। 28 अगस्त 1998 को रामनरेश, पप्पी, सावित्री उर्फ अनारकली, छुन्नी देवी उर्फ पूनम उनके घर में घुस आए तथा लाठी-डंडों से मारपीट करने लगे। बक्से में रखे पांच हजार रुपये व गले में पहनी चेन लूट ली।
आरोपित उन्हें मरा समझकर चले गए। इस मामले में सुनवाई के दौरान एडीजीसी अनुज प्रताप सिंह व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद एंटी डकैती न्यायालय के विशेष न्यायाधीश शैलेंद्र सचान ने चारों आरोपितों को मारपीट व घायल करने में दोषी करार दिया है। सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 18 नवंबर की तिथि नियत की है। वहीं लूट के आरोप में सभी आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।

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