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रबी की दलहनी फसलों का टीकाकरण कर किसान प्राप्त कर सकते हैं सौ फीसद पैदावार

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने रबी की फसल के जारी की सलाह उकठा जड़ सडऩ झुलसा रतुआ चूर्णित और आशिता जैसे कई रोग से बचाव करने का समय किसानों को चाहिए कि बोआई से पहले अवश्य करें मृदा शोधन

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 10:31 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 01:44 PM (IST)
रबी की दलहनी फसलों का टीकाकरण कर किसान प्राप्त कर सकते हैं सौ फीसद पैदावार
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का चित्र

कानपुर, जेएनएन। मंगलवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डीआर सिंह के निर्देशन में विशेषज्ञों ने रबी की फसल के अंतर्गत आने वाली दलहनी फसलों की सुरक्षा के लिए सलाह जारी की। उन्होंने बताया कि सभी किसान अपने खेतों में रबी की शानदार फसल पैदा करना चाहते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि वे एहतियात बरतें और उकठा, जड़ सडऩ, झुलसा, रतुआ, चूर्णित व आशिता रोग से बचाव करके सौ फीसद पैदावार प्राप्त करें।

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पादप रोग विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉ. यूके त्रिपाठी ने चना, मसूर व मटर में लगने वाले रोगों की रोकथाम के लिए टीकाकरण को जरूरी बताया है। उन्होंने कहा है कि इन दिनों दलहनी फसलों में फफूंदी व जीवाणु जनित रोग जैसे उकठा, जड़ सडऩ, झुलसा, रतुआ, चूर्णित व आशिता रोगों का प्रकोप रहता है। किसानों को चाहिए कि बोआई से पहले मृदा शोधन अवश्य करें। इसके लिए एक किलो ट्राइकोडर्मा को 25 किलो गोबर की खाद में मिलाकर बोआई के 15 दिन पूर्व शाम के समय खेत में मिलाकर हल्की सिंचाई करें। यह मात्रा एक हेक्टेयर फसल के लिए पर्याप्त होगी।

उकठा रोग के प्रबंधन के लिए गहरी जोताई करें। बोआई के पूर्व पांच ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिट्टी में छिड़कें। झुलसा रोग के प्रबंधन के लिए दो ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधित कर बोआई करें। मसूर की फसल में रतुआ रोग की नियंत्रण के लिए खड़ी फसल में दो ग्राम मैनकोजेब सात सौ लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। इसके अलावा मटर की फसल में चूर्णित आसिता रोग के नियंत्रण के लिए कैराथीन तीन ग्राम सात सौ लीटर पानी में घोलकर खड़ी फसल में प्रयोग करने से लाभ होगा। 


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