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फर्जी स्टांप मामले में वाराणसी और मुगलसराय से भी कनेक्शन, शातिरों का कारनामा सुन पुलिस भी दंग

कानपुर के बर्रा में जाली स्टांप और टिकट बिक्री का पर्दाफाश करने के बाद शातिरों से पूछताछ में कई रहस्य उजागर हुए हैं। पुलिस अब मुख्य सप्लायर की तलाश में जुट गई है और संदिग्ध नंबरों को सर्विलांस पर लगाया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 08:43 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 08:43 AM (IST)
फर्जी स्टांप मामले में वाराणसी और मुगलसराय से भी कनेक्शन, शातिरों का कारनामा सुन पुलिस भी दंग
कानपुर की बर्रा पुलिस ने फर्जी स्टांप का पर्दाफाश किया है।

कानपुर, जेएनएन। बर्रा में दो स्टांप विक्रेताओं को पकड़कर 5.50 लाख रुपये के जाली स्टांप और टिकट बरामदगी मामले में पुलिस और सर्विलांस की टीम छानबीन कर रही है। पुलिस ने शातिरों के मोबाइलों की छानबीन कर एक दर्जन नंबर निकाले हैं। शातिरों के वाराणसी और मुगलसराय में भी कनेक्शन मिले हैं। इनसे पूछताछ में सामने आया कि वर्ष 1950 तक के स्टांप और नोटरी टिकट मुहैया कराते थे।

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बर्रा की एक भूमि को लेकर पिछले दिनों एक पक्ष ने वर्ष 1990 में वसीयतनामा होने की जानकारी पुलिस को दी थी। दूसरे पक्ष ने इस पर आपत्ति जता दस्तावेजों को फर्जी करार दिया था। जब पुलिस ने छानबीन कराई तो फर्जीवाड़ा सामने आया। कर्नलगंज के मोहम्मद शीजान और प्रयागराज कैंट के रंजीत कुमार रावत को गिरफ्तार कर पुलिस ने करीब 5.50 लाख रुपये के जाली स्टांप और टिकट बरामद किए थे।

शातिर भागलपुर, पटना, कोलकाता आदि स्थानों से पुराने स्टांप लेकर आते थे। ब्लीच से उसे रीसाइकिल करके बेचते थे। शातिरों ने बताया कि बड़ी धनराशि के स्टांप खरीदकर स्टॉक में भी रखते थे, जिन्हें सामान्य तौर पर बेचते थे। पुराने वर्षों के लिए स्टांप और टिकट ब्लीच करके बेचते थे। वर्ष 1950 और उसके बाद तक के बिना नंबर वाले स्टांप और टिकट भूमि विवाद वाले लोगों को मनमाने दामों पर बिक्री करते थे।

एसपी साउथ दीपक भूकर ने बताया कि दोनों आरोपितों के मोबाइल नंबरों की छानबीन में एक दर्जन संदिग्ध मोबाइल नंबर मिले हैं जो जाली स्टांप के मुख्य सप्लायर के बताए जा रहे हैं। दोनों के वाराणसी और मुगलसराय में भी कनेक्शन सामने आए हैं। सीडीआर पर काम करने के साथ संदिग्ध नंबरों को भी सर्विलांस पर लगाया गया है।

सेटिंग से रजिस्टर में भी दर्ज कराते थे विवरण

शातिरों ने ट्रेजरी विभाग के कर्मियों से सेटिंग बना रखी थी। पुराने स्टांप और टिकट का ब्यौरा ट्रेजरी के रजिस्टर में अंकित कराते थे। कोई अगर आरटीआइ के माध्यम से भी उक्त स्टांप और टिकट के बारे में सूचना मांगता था तो पुरानी तारीखों पर रजिस्टर में अंकित होने के चलते यहां भी मामला नहीं फंसता था।

ट्रेजरी कर्मी भी रडार पर

थाना प्रभारी बर्रा हरमीत सिंह ने बताया कि ट्रेजरी कर्मियों से कनेक्शन उजागर हुए हैं। पुलिस अब ट्रेजरी कर्मियों पर भी नजर रखे है। सीडीआर के आधार पर अगर किसी कर्मी की संलिप्तता मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।

दोनों वेंडरों का रद होगा लाइसेंस

फर्जी स्टांप और टिकट बेचने वाले वेंडर मोहम्मद शीजान और रंजीत कुमार रावत का लाइसेंस रद किया जाएगा। पुलिस की जांच में दोनों का नाम सामने आया है और पाया गया है दोनों स्टांप बिक्री के लाइसेंस की आड़ में ही इस धंधे को अंजाम दे रहे थे। एडीएम वित्त एवं राजस्व वीरेंद्र पांडेय ने बताया कि मामले में जांच की जाएगी और फिर उनके लाइसेंस रद किए जाएंगे।


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