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KDA Fake Registry: कानपुर विकास प्राधिकरण में फर्जी रजिस्ट्री का खेल, रडार पर कई कर्मचारी

कानपुर में केडीए के जोन तीन और चार में प्राधिकरण के भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री के मामले सामने आया है। अब ग्राम समाज के साथ ही योजनाओं के सर्वे से कर्मियों में खलबली मची है। इसमें कई कर्मचारी भी रडार बने हुए हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 11:00 AM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 11:00 AM (IST)
KDA Fake Registry: कानपुर विकास प्राधिकरण में फर्जी रजिस्ट्री का खेल, रडार पर कई कर्मचारी
केडीए में फर्जी रजिस्ट्री की जांच शुरू हुई है।

कानपुर, जेएनएन। ग्राम समाज की जमीनों के साथ केडीए की आवासीय योजनाओं के सर्वे में फर्जी रजिस्ट्री का खेल भी खुलने लगा है। कर्मचारी, दलालों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज लगा रजिस्ट्री कर रहे हैं। यह खेल खास तौर पर प्राधिकरण के जोन तीन व चार में हो रहा है। इन जोनों में जुड़े कर्मचारियों की हरकतों पर नजर रखी जा रही है। वहीं केडीए में घूमने वाले दलालों पर अफसर सीसीटीवी से नजर रख रहे हैं।

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केडीए की जोन तीन व चार में आवासीय योजना डब्ल्यू वन ब्लाक जूही, साकेत नगर, ओ ब्लाक सब्जी मंडी, सुजातगंज, श्यामनगर, किदवईनगर में अब तक सबसे ज्यादा फर्जी रजिस्ट्री पकड़ी गई हैं। डब्ल्यू ब्लाक जूही और सुजातगंज योजना सबसे पुरानी है। यहां आवंटियों ने भूखंड आवंटित करा लिए, लेकिन पूरा पैसा नहीं जमा किया। फाइल अलमारियों में दबी रही। बाद में कर्मचारियों ने दलालों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज लगाकर दूसरे के नाम रजिस्ट्री कर दी। डब्ल्यू ब्लाक जूही में छह भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री पकड़ में आई थी। इसमें एक कर्मचारी निलंबित है। जूही में कई भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री की गई है। अब उनसे जुड़ी फाइलों को हटाया जा रहा है। यही हाल सुजातगंज में है। किदवईनगर में चार फर्जी रजिस्ट्री खुद पूर्व उपाध्यक्ष जयश्री भोज ने पकड़ी थीं। रजिस्ट्री निरस्त हो गईं। बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। उपाध्यक्ष ने फिर आवासीय योजनाओं का भी सर्वे शुरू कराया है कि दस्तावेज में कितने भूखंड हैं और मौके पर कितने हैं। इस सर्वे में खेल सामने आ जाएगा।

ऐसे हो रहा खेल : योजनाओं में ऐसे आवंटियों की फाइल ढूंढ़ी जाती है जो रजिस्ट्री कराने नहीं आए। इसमें बकाया धनराशि की पुरानी रसीदें निकाल कर लगाई जाती हैं। इसकी लेखा विभाग से जांच कराई जाती है। स्वीकृति ले ली जाती है कि कोई बकाया नहीं है। इसके बाद आवंटी की फोटो हटाकर दूसरे की लगा दी जाती है। उसके नाम पर रजिस्ट्री करा दी जाती है।

-केडीए अपनी जमीनों का सर्वे कराने के साथ ही योजनाओं का भी सर्वे करा रहा है। इससे पता चला जाएगा कि कितने भूखंड बिक गए हैं और कितने भूखंड बिकने बाकी हैं। -अरविंद सिंह, उपाध्यक्ष केडीए

सील के आदेश के बाद भी कार्रवाई नहीं

छह माह में सील आदेश के बाद भी कार्रवाई नहीं होने के मामलों की रिपोर्ट तलब की गई है। बांसमंडी, भन्नानापुरवा, डिप्टी पड़ाव, गोविंदनगर, आर्य नगर, श्याम नगर समेत कई इलाकों में अवैध इमारतों को सील करने के आदेश दिए गए, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसी तमाम इमारतों में लोग रह रहे हैं। उपाध्यक्ष ने ऐसी सभी फाइलों को तलब किया है।


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