नकली नोट के सौदागरों को सजा
जागरण संवाददाता, कानपुर : नकली नोट के सौदागरों और ठगों को 25 साल बाद गुरुवार को अपर
जागरण संवाददाता, कानपुर : नकली नोट के सौदागरों और ठगों को 25 साल बाद गुरुवार को अपर सत्र न्यायाधीश ममता गुप्ता ने दोषी करार देते हुए अलग-अलग अपराधों की सजा सुनायी। जुर्माने की धनराशि से 25 हजार रुपये पीड़ित वादकारी को मिलेंगे। चारों को कड़ी सुरक्षा में जेल भेज दिया गया।
नवाबगंज में जनरल मर्चेट स्टोर चलाने वाले अशोक कुमार साहू से 4 जुलाई 1992 को हरदोई बेलगाम में तैनात लेखपाल गुरसहायगंज निवासी रामप्रकाश और सुरेंद्र कुमार मिले। उन्होंने रुपये दोगुना करने की बात कहकर 25 हजार रुपये मांगे। अशोक ने 25 हजार रुपये दे दिए तो दोनों ने दूसरे दिन 50 हजार रुपये देने आश्वासन दिया और रुपये लेकर चले गए। दोनों दूसरे दिन नहीं आए तो उसने खोजबीन शुरू की। बीस दिन बाद 24 जुलाई को अशोक ने दोनों को सेंट्रल स्टेशन पर पकड़ लिया और रुपये मांगे। रुपये नहीं मिले तो वह उन्हे सीएसए ले आया और नवाबगंज थाने में तहरीर दी। तहरीर में कहा मां के गहने गिरवी रखकर रुपये दिए थे। विशेष अभियोजन अधिकारी केके शुक्ल ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने दोनों से पूछताछ की तो नकली नोट के सौदागरों का खुलासा हुआ। दोनों की पूछताछ में नहा उबीन, शाकिर खां, गुरसहायगंज का शकील अहमद और हरदोई का समीद का नाम भी सामने आया। पुलिस ने इनके खिलाफ छल व धोखाधड़ी के साथ नकली नोट बनाना, चलाना, प्रयोग करना और रखने में चार्जशीट दाखिल की। 17 दिसंबर 1997 को मामला सेशन कोर्ट के सुपुर्द किया गया जिसमे शाकिर खां और नहा उबीन को छोड़कर अन्य की सुनवाई हुई। अभियोजन के मुताबिक न्यायालय ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद चार लोगों को दोषी पाते हुए सजा सुनायी।
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किसमें किसे हुई सजा
-राम प्रकाश (लेखपाल) और सुरेंद्र कुमार को आईपीसी की धारा 418 (छल) और 420 (धोखाधड़ी) में पांच साल और 20-20 हजार रुपये जुर्माना
-शकील अहमद और समीद को आइपीसी की धारा 489क (नकली नोट बनाना) , 489ग (चलाना), 489घ (प्रयोग करना) और 489ड़ (रखना) में दस वर्ष कैद और प्रत्येक पर 20,100 रुपये जुर्माना