Move to Jagran APP

इस बारिश सिर पर महंगा पड़ेगा तिरपाल

जागरण संवाददाता, कानपुर : भारी बारिश की संभावना के बीच इस वर्ष गरीबों के सिर पर तिरपाल भारी पड़ेगा। प

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 May 2018 04:20 PM (IST)Updated: Fri, 25 May 2018 04:20 PM (IST)
इस बारिश सिर पर महंगा पड़ेगा तिरपाल
इस बारिश सिर पर महंगा पड़ेगा तिरपाल

जागरण संवाददाता, कानपुर : भारी बारिश की संभावना के बीच इस वर्ष गरीबों के सिर पर तिरपाल भारी पड़ेगा। पेट्रो उत्पादों की मूल्यवृद्धि की वजह से बीते एक माह में इसकी कीमतों में 15 फीसद तक का इजाफा हुआ है। कारोबारियों के मुताबिक फिलहाल अगले कुछ माह में कीमतें कम होने की उम्मीद नहीं है।

loksabha election banner

पेट्रोल, डीजल कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। इसका असर हालांकि अभी ट्रांसपोर्ट पर तो नहीं पड़ा है लेकिन पेट्रो उत्पादों से बनने वाली चीजों की कीमतें बढ़ने लगी हैं। पेट्रो उत्पाद से बनने वाली खास वस्तुओं में एक पॉलीथीन भी है। कानपुर पॉलीथीन का बड़ा गढ़ है। यहां पॉलीथीन बैग्स, तिरपाल का काफी उत्पादन होता है।

दो तरह के तिरपाल का निर्माण

कानपुर में दो तरह के तिरपाल का निर्माण होता है। लो डेंसिटी पॉलीमिथलिन (एलडीपी) और हाई डेंसिटी पॉलीमिथलिन (एचडीपी) तिरपाल का यहां निर्माण होता है। यहां एलडीपी का रोज 60 से 70 टन तिरपाल का निर्माण होता है। इसी तरह 60 से 65 टन एचडीपी तिरपाल का निर्माण होता है। इस तरह कुल सवा सौ टन से ज्यादा तिरपाल रोज बनता है। इसकी फैक्ट्री स्तर पर ही कीमत एक माह में 100 रुपये प्रतिकिलो से बढ़कर 115 रुपये प्रतिकिलो के करीब पहुंच गई है।

ट्रक व झोपड़ी वाले करते प्रयोग

इन तिरपाल का सबसे ज्यादा प्रयोग बारिश के दिनों में झोपड़ी पर डालने के लिए किया जाता है ताकि घर के अंदर बारिश का पानी न आए। ट्रक ड्राइवर भी माल को भीगने से बचाने के लिए इन तिरपाल को लगाते हैं।

पॉलीथीन बैग्स भी महंगे

बाजार में जिन पॉलीथीन बैग में लोग सामान खरीदते हैं, उनकी कीमतें भी बढ़ गई थीं। अप्रैल के अंत में जो बैग 90 रुपये प्रतिकिलो बिक रहे थे, वे इस समय 105 रुपये किलो में हैं। तिरपाल, पॉलीथीन बैग्स सबकी जबरदस्त मांग है। गर्मी की वजह से पॉलीथीन के छोटे पाउच पानी में इस्तेमाल हो रहे हैं। पालीथीन बैग की ही रोज 100 टन की खपत है। पेट्रो उत्पादों की मूल्य वृद्धि के चलते इनकी कीमतें भी बढ़ रही है। - हरीश इसरानी, प्रदेश अध्यक्ष, यूपी प्लास्टिक मैन्यूफैक्चरर्स वेलफेयर एसोसिएशन।

--------------------

दालमोठ भी हुई तीखी

यह हैरान करने वाली बात हो सकती है कि पेट्रोल, डीजल की बढ़ती हुई कीमतें दालमोठ को कैसे प्रभावित कर सकती हैं लेकिन यह सच है। पेट्रो प्रोडक्ट से जुड़ी कई चीजें इनकी कीमतें बढ़ा रही हैं। दालमोठ की कीमतें पांच रुपये किलो तक बढ़ चुकी हैं।

---------------

पैकिंग की लागत बढ़ी

दालमोठ की पैंकिंग प्रिंटेड पॉलीथीन में होती है। यह पॉलीथीन सामान्य से अधिक मोटी होती है क्योंकि दालमोठ विक्रेताओं को इसके माइक्रॉन का भी ख्याल रखना होता है। पिछले माह तक जो प्रिंटेड पैकिंग 215 रुपये किलो थी वह इस समय 230 रुपये किलो हो चुकी है। इसके अलावा भारी मात्रा में दालमोठ भरकर रखने के लिए इस्तेमाल होने वाली सादी पन्नी 230 रुपये से 240 रुपये किलो हो चुकी है।

---------------

डीजल भट्ठी का खर्च बढ़ा

शहर में बहुत से दालमोठ विक्रेता डीजल की भट्ठियां भी जलाते हैं। इनकी लागत लगातार बढ़ रही है। पिछले एक माह में ही तीन रुपये से ज्यादा का अंतर आ गया है।

--------------

माल पहुंचाने का खर्च बढ़ा

ज्यादातर निर्माता अपना लोडर रखते हैं ताकि माल भेजने का अतिरिक्त खर्च न हो लेकिन इस समय डीजल की कीमत बढ़ने से इस क्षेत्र में भी कीमत बढ़ रही है।

--------------

पॉलीथीन, डीजल की कीमत लगातार बढ़ रही है। इसकी वजह से मजबूरन दालमोठ की कीमतें बढ़ानी पड़ रही है। लागत तो ज्यादा पढ़ रही है लेकिन फिर भी मात्र पांच रुपये बढ़ाए गए हैं। - विमल प्रकाश गुप्ता, महामंत्री, कानपुर नमकीन निर्माता एसोसिएशन।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.