अरबों रुपये खर्च फिर भी कानपुर की गंगा नहीं हुई स्वच्छ
गंगा को अविरल निर्मल करने के सरकार के अभियान में अफसर पलीता लगा रहे है.
जेएनएन, कानपुर: गंगा को अविरल निर्मल करने के सरकार के अभियान में अफसर पलीता लगा रहे हैं। अरबों रुपये रुपये खर्च होने के बाद भी गंगा में दूषित पानी नालों के माध्यम से गिर रहा है। इसके कारण माघ मेले में भक्तों को होने वाली परेशानियों को लेकर लोगों में आक्रोश है।
एक साल पहले गंगा में गिर रहे सीसामऊ समेत छह नालों को 63 करोड़ रुपये खर्च कर बंद कर दिया गया था। शेष नाले अस्थायी रूप से बंद किए गए हैं, लेकिन हकीकत यह है कि मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर के आदेश के बाद भी गंगा में धड़ल्ले से दूषित पानी गिर रहा है। परमिया नाला का भी दूषित पानी गंगा में मिल रहा है। रानी घाट नाला अस्थायी रूप से बंद किया गया था,लेकिन पिछले दिनों पेयजल लाइन डालने के दौरान रानी घाट नाले की पाइप तोड़ दी गई। इसके चलते दूषित पानी गंगा में गिर रहा है। गोला घाट, सत्ती चौरा, मैगजीन घाट समेत कई नाले गंगा में गिर रहे हैं। जिम्मेदारों के ध्यान नहीं देने के चलते यह यह अव्यवस्था बनी हुई। गंदगी के चलते स्नान करने वालों को भी दिक्कत होती है। सरसैया घाट, सिद्धनाथ घाट , बुढि़याघाट में गंदगी और अतिक्रमण है। इसके चलते भक्तों को आने जाने में दिक्कत होती है। महापौर प्रमिला पांडेय ने बताया कि गंगा में गिर रहे नालों का निरीक्षण करेंगी। जो भी अफसर दोषी है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जलकल के अधिशासी अभियंता एके राजपूत ने बताया कि परमट नाला गंगा में गिरने के बाबत जल निगम को जानकारी दी है।