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हाथरस के दो कॉलेजों के प्रचार्यों पर जालसाजी का मुकदमा, जानिए क्या है पूरा मामला

दस साल पहले हुए छात्रवृत्ति घोटाला की जांच के बाद आर्थिक अपराध अनुसंधान थाने में धोखाधड़ी गबन आदि धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 09:00 PM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 09:00 PM (IST)
हाथरस के दो कॉलेजों के प्रचार्यों पर जालसाजी का मुकदमा, जानिए क्या है पूरा मामला
हाथरस के दो कॉलेजों के प्रचार्यों पर जालसाजी का मुकदमा, जानिए क्या है पूरा मामला

कानपुर, जेएनएन। हाथरस जिले के दो कॉलेजों में दस वर्ष पूर्व हुए छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने धोखाधड़ी, जालसाजी, गबन आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। दोनों मामलों में करीब 26 लाख रुपये के गबन का आंकलन किया गया है और कॉलेज के प्राचार्य और पटल सहायकों को नामजद करने के साथ अब विभागीय संलिप्तता का पता लगाया जा रहा है। 

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आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा के इंस्पेक्टर अशोक कुमार के मुताबिक शैक्षिक सत्र 2009-10 और 2010-11 के दौरान शासन की ओर से कॉलेजों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान किया गया था। इसके बाद शासन से अनियमितता की शिकायतें की गईं। वर्ष 2013 में शासन ने जांच शुरू कराई। जांच में हाथरस के नगला आल स्थित लौंगश्री देवी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के 22.20 लाख रुपये का भुगतान हुआ, लेकिन प्राचार्य डा. सुरेश राजपूत और पटल सहायक वीरेंद्र प्रकाश मदनावत ने विद्यार्थियों के खातों में जमा करने की बजाए धनराशि हड़प ली।

दूसरी जांच सादाबाद स्थित टीकाराम महाविद्यालय में भी 3.71 लाख रुपये की गड़बड़ी सामने आई। आरोप है कि प्राचार्य भगवान सिंह कुशवाहा और गांव टीकमनगर निवासी मोहन सिंह बघेल ने गबन किया। कई खाते भी फर्जी साबित हुए हैं। एसपी बाबूराम ने बताया कि पहले भी हाथरस के करीब 60 स्कूल-कॉलेजों के खिलाफ मुकदमे लिखाए गए थे। इसमें तत्कालीन पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वीरेंद्र कुमार को जेल भेजा गया था। दोनों कॉलेजों के प्राचार्यों व पटल सहायकों के खिलाफ रिपोर्ट लिखी गई है। विवेचना के बाद कार्रवाई होगी।


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