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पर्यावरण मंत्रालय ने सुनी प्रदूषित गंगा की कराह

नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनिय¨रग रिसर्च इंस्टीट्यूट से कराई जांच, जाजमऊ में गंगा के खेती वाले क्षेत्र में से वैज्ञानिक ले गए मिट्टी के नमूने

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 10:17 AM (IST)Updated: Tue, 22 May 2018 10:22 AM (IST)
पर्यावरण मंत्रालय ने सुनी प्रदूषित गंगा की कराह
पर्यावरण मंत्रालय ने सुनी प्रदूषित गंगा की कराह

जागरण संवाददाता, कानपुर : शहर में गंगा का प्रदूषण पर्यावरण एवं वानिकी मंत्रालय की नजर में चढ़ गया है। उसके लिए नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनिय¨रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) से पड़ताल कराई जा रही है। नीरी के वैज्ञानिकों ने दो दिन पूर्व जाजमऊ में गंगा के खेती वाले क्षेत्र में 15 फीट से अधिक गहराई से मिट्टी के नमूने लिये हैं। उसकी रिपोर्ट 20 दिन के अंदर आ जाएगी। वैज्ञानिकों ने प्रारंभिक जांच में आशंका जताई है कि क्रोमियम का असर जाजमऊ और आसपास के क्षेत्र के भूगर्भ जल और मिट्टी पर पड़ रहा है। किसान उसी पानी से खेती भी कर रहे हैं, जिसके चलते फल व सब्जियां भी प्रभावित हो रही हैं।

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देश के पांच शहर चिह्नित

मिनिस्ट्री ने कानपुर, गाजियाबाद, राजस्थान के पाली व डुंगरपुर और गुजरात के वडोदरा शहरों को चिह्नित किया है। यहां पर भूमि और भूगर्भ जल के दूषित होने की जानकारी मिली है। गाजियाबाद में डंपिंग ग्राउंड क्षेत्र की सैंपलिंग हुई है।

यूपीपीसीबी के पास नहीं प्रदूषण का डाटा

मंत्रालय की ओर से चार दिन पूर्व उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के पास वैज्ञानिकों की टीम के आने की सूचना भेजी गई थी। उसमें डाटा के साथ ही सहयोग करने की बात लिखी थी। वैज्ञानिकों ने यूपीपीसीबी से भूगर्भ जल और भूमि प्रदूषण को लेकर डाटा मांगा लेकिन अधिकारियों ने किसी भी तरह का रिकार्ड देने से मना कर दिया।

स ईटीपी से लिया स्लज का नमूना

नीरी के वैज्ञानिकों ने कॉमन इंफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) से स्लज का नमूना लिया। प्रदूषण पानी, शोधित पानी की सैंपलिंग की। शोधित पानी जिस खेतों में जाता है, वहां की मिट्टी ली। किसानों और क्षेत्रवासियों से बातचीत की। उनकी समस्याओं का आकलन किया।

अत्याधुनिक ब्लेजर मशीन से लिये नमूने

टीम ने अत्याधुनिक ब्लेजर मशीन से मिट्टी और पानी के नमूने लिये। यह सैंपलिंग एक मीटर, डेढ़ मीटर, दो मीटर से लेकर 5 मीटर तक थोड़े थोड़े अंतराल में हुई।

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मिनिस्ट्री आफ एनवायरनमेंट एंड फॉरेस्ट के निर्देशों पर जाजमऊ क्षेत्र में सैंपलिंग की गई। टेनरी क्लस्टर होने के कारण मिट्टी और भूगर्भ जल के प्रदूषित होने की आशंका है। इसकी पुष्टि रिपोर्ट के आने के बाद ही होगी।

-कार्तिक, वैज्ञानिक नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनिय¨रग रिसर्च इंस्टीट्यूट नागपुर

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जो भी डेटा हैं, उसे नीरी की टीम को दिए गए हैं। वैज्ञानिकों का पूरा सहयोग किया गया। उन्हें जाजमऊ क्षेत्र का निरीक्षण भी कराया गया।

-कुलदीप मिश्र, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड


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