इलेक्ट्रिक लोको शेड के इंजीनियरों ने विकसित की नई तकनीकी, वायरलेस सिस्टम से जोड़ चलाई लांग हॉल मालगाड़ी
तार के माध्यम से इंजन को इंजन से जोड़ा जाता था ताकि जिस स्पीड से आगे का इंजन पिकअप ले पीछे वाला भी उसी स्पीड से आगे बढ़े। ब्रेक लगाने पर पीछे के इंजन में भी ब्रेक उसी क्रम में लगे
कानपुर, जेएनएन। मालगाड़ी के दो इंजनों को पहली बार वायरलेस तकनीक से जोड़कर पनकी से पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन तक चलाया गया। इस तकनीक का परीक्षण सफल रहा। तकनीक से पांच इंजन को आपस में जोड़कर चलाया जा सकता है, जिसके बाद अब पांच मालगाडिय़ों को एक के पीछे एक जोड़कर चलाया जा सकेगा। फजलगंज स्थित इलेक्ट्रिक लोको शेड के इंजीनियरों ने नई तकनीकी विकसित की है। अभी तक एक मालगाड़ी को दूसरी मालगाड़ी से जोडऩे के लिए लंबी कवायद करनी होती थी।
आगे वाले इंजन की कार्यक्षमता से पीछे का इंजन चले इसलिए तार के माध्यम से इंजन को इंजन से जोड़ा जाता था, ताकि जिस स्पीड से आगे का इंजन पिकअप ले, पीछे वाला भी उसी स्पीड से आगे बढ़े। ब्रेक लगाने पर पीछे के इंजन में भी ब्रेक उसी क्रम में लगे, लेकिन अब इंजन को तार से नहीं जोडऩा होगा। डिस्ट्रीब्यूटेड पॉवर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम (डीपीडब्लूसीएस) की तकनीक से दोनों इंजन वायरलेस की फ्रीक्वेंसी से जुड़े रहेंगे। इस तकनीकी से एक के पीछे एक साथ पांच मालगाडियां जुड़ सकती हैं। उपमुख्य यातायात प्रबंधक हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि गुरुवार की सुबह आठ बजे दो इंजनों की लांग हॉल मालगाड़ी पनकी से छूटी और पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन पहुंची। इस तकनीकी को विकसित करने में लोको शेड के इंजीनियर सीनियर डीईई प्रदीप शर्मा, डीईई शिवम श्रीवास्तव, एडीईई नागेंद्र तिवारी, जूही के सीनियर डीओएम एसके गौतम, योगेश यादव ने सराहनीय भूमिका अदा की है।