स्मार्ट क्लास रूम तक पहुंची इंजीनियरिंग की पढ़ाई, शंकाएं दूर कर रहे छात्र
शिक्षक व छात्रों के बीच संवाद पर आधारित होती है 40 से 45 मिनट की कक्षा।
By AbhishekEdited By: Published: Sat, 01 Dec 2018 12:26 PM (IST)Updated: Sat, 01 Dec 2018 04:38 PM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब केवल हाईटेक कक्षाओं, डिजिटल प्रोजेक्टर व मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज (मूक कोर्स) तक ही सीमित नहीं रह गई है। बीटेक व एमटेक के छात्रों की पढ़ाई अब एक कदम और आगे बढ़कर स्मार्ट क्लास रूम तक पहुंच गई है।
यह ऐसे क्लासरूम हैं जहां 40 से 45 मिनट की कक्षा केवल शिक्षक व छात्रों के बीच संवाद पर आधारित होती है। छात्र खुद को ऑनलाइन कोर्स के जरिए तैयार करके इन कक्षाओं में आते हैं और अपने केवल डाउट्स क्लीयर करते हैं। शिक्षक को उन्हें शुरुआत से नहीं पढ़ाना होता है। आइआइटी में भौतिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राजीव गुप्ता ने बताया कि आइआइटी कानपुर में ऐसी स्मार्ट कक्षाएं लगनी शुरू हो चुकी हैं।
एचबीटीयू में शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर वक्ता शिरकत करने आए प्रो. राजीव गुप्ता ने इस दौरान विभिन्न तकनीकी व डिग्री कालेजों से आए फैकल्टी को पठन पाठन के बदलते तरीकों के बारे में जानकारी दी। बताया कि शिक्षकों को लगातार अपडेट होने की जरूरत है। उनकी तैयारी क्या है, कक्षाओं में अब वह आवश्यक है। चारों ओर जो भी चीजें हमें दिखती हैं, उससे पढ़ाने की आदत डालनी होगी।
उदाहरण प्रकाश, तरंग, ध्वनि व नैनो टेक्नोलॉजी जैसे विषय रुचिकर बनाने के लिए हमें छात्रों की सोच को ध्यान में रखना होगा। कक्षाओं में पढऩे वाला छात्र कई बार शिक्षक से ज्यादा जानकारी रखता है और यह अच्छी शिक्षा के लिए अच्छा भी है। उसके एक प्रश्न का उत्तर देना काफी नहीं है। अगर उसकी जिज्ञासा बढ़ रही है तो जवाब देने व चर्चा करने का सिलसिला जारी रखें।
छात्रों की ऑनलाइन परीक्षाएं होंगी
तकनीकी शिक्षा में बदलाव के अंतर्गत कक्षाओं में परीक्षा का ट्रेंड खत्म हो रहा है। कुछ तकनीकी संस्थानों ने कुछ विषयों की ऑनलाइन परीक्षा का प्रारूप तैयार करके उन्हें आयोजित किया है। अब यह देशभर के दूसरे विश्वविद्यालयों व संस्थानों में लागू किए जाने की तैयारी चल रही है। फिर बात चाहें आइआइटी की हो, एचबीटीयू की या एकेटीयू की। शिक्षक प्रशिक्षक कार्यक्रम में पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से प्रो. एसके त्रिपाठी, जेएनयू से प्रो. केदार सिंह व आइआइटी से डा. प्रभात द्विवेदी ने नैनो टेक्नोलॉजी विषय पर व्याख्यान दिए। कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. आरके शुक्ला रहे।
यह ऐसे क्लासरूम हैं जहां 40 से 45 मिनट की कक्षा केवल शिक्षक व छात्रों के बीच संवाद पर आधारित होती है। छात्र खुद को ऑनलाइन कोर्स के जरिए तैयार करके इन कक्षाओं में आते हैं और अपने केवल डाउट्स क्लीयर करते हैं। शिक्षक को उन्हें शुरुआत से नहीं पढ़ाना होता है। आइआइटी में भौतिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राजीव गुप्ता ने बताया कि आइआइटी कानपुर में ऐसी स्मार्ट कक्षाएं लगनी शुरू हो चुकी हैं।
एचबीटीयू में शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर वक्ता शिरकत करने आए प्रो. राजीव गुप्ता ने इस दौरान विभिन्न तकनीकी व डिग्री कालेजों से आए फैकल्टी को पठन पाठन के बदलते तरीकों के बारे में जानकारी दी। बताया कि शिक्षकों को लगातार अपडेट होने की जरूरत है। उनकी तैयारी क्या है, कक्षाओं में अब वह आवश्यक है। चारों ओर जो भी चीजें हमें दिखती हैं, उससे पढ़ाने की आदत डालनी होगी।
उदाहरण प्रकाश, तरंग, ध्वनि व नैनो टेक्नोलॉजी जैसे विषय रुचिकर बनाने के लिए हमें छात्रों की सोच को ध्यान में रखना होगा। कक्षाओं में पढऩे वाला छात्र कई बार शिक्षक से ज्यादा जानकारी रखता है और यह अच्छी शिक्षा के लिए अच्छा भी है। उसके एक प्रश्न का उत्तर देना काफी नहीं है। अगर उसकी जिज्ञासा बढ़ रही है तो जवाब देने व चर्चा करने का सिलसिला जारी रखें।
छात्रों की ऑनलाइन परीक्षाएं होंगी
तकनीकी शिक्षा में बदलाव के अंतर्गत कक्षाओं में परीक्षा का ट्रेंड खत्म हो रहा है। कुछ तकनीकी संस्थानों ने कुछ विषयों की ऑनलाइन परीक्षा का प्रारूप तैयार करके उन्हें आयोजित किया है। अब यह देशभर के दूसरे विश्वविद्यालयों व संस्थानों में लागू किए जाने की तैयारी चल रही है। फिर बात चाहें आइआइटी की हो, एचबीटीयू की या एकेटीयू की। शिक्षक प्रशिक्षक कार्यक्रम में पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से प्रो. एसके त्रिपाठी, जेएनयू से प्रो. केदार सिंह व आइआइटी से डा. प्रभात द्विवेदी ने नैनो टेक्नोलॉजी विषय पर व्याख्यान दिए। कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. आरके शुक्ला रहे।
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