Move to Jagran APP

महीनों तक घेराबंदी फिर भी न तोड़ सके थे दीवार, इतना मजबूत था राजा हिंदू सिंह का किला

कानपुर के सचेंडी में तीन सौ साल पुराना किला अब अपनी आखिरी घडिय़ां गिन रहा है। पुरातत्व विभाग की अनदेखी से प्राचीन विरासत समाप्त होने की कगार पर है।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 04:47 PM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 04:47 PM (IST)
महीनों तक घेराबंदी फिर भी न तोड़ सके थे दीवार, इतना मजबूत था राजा हिंदू सिंह का किला
महीनों तक घेराबंदी फिर भी न तोड़ सके थे दीवार, इतना मजबूत था राजा हिंदू सिंह का किला

कानपुर (जागरण संवाददाता)। शहर के अंदर एक ऐसा किला भी था, जिसकी घेराबंदी करके काफी कोशिशों के बाद दुश्मन राजा महीनों तक दीवार तोड़ नहीं सके थे और बाद में छल से विजय प्राप्त कर पाए थे। यह किला था सचेंडी के राजा हिंदू सिंह का। तीन सौ साल पुराना यह किला अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। राज्य सरकार व पुरातत्व विभाग की अनदेखी की वजह से प्राचीन विरासत समाप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है।
जानिए किले का इतिहास
जनश्रुतियों के मुताबिक राजा  हिंदू सिंह को कानपुर का संस्थापक माना जाता है। हालांकि एक वर्ग का यह भी मानना है कि कानपुर यानी कान्हपुर की स्थापना राजा कान्हदेव ने की थी। राजा हिंदू सिंह के बारे में तथ्य है कि उन्होंने सन् 1750 में सचेंडी में अपना किला बनाकर कान्हपुर की स्थापना की थी। इतिहासकारों के मुताबिक सन् 1729 में 60 हजार सैनिकों के साथ अवध के नवाब सआदत अली खां ने सचेंडी के किले की घेराबंदी कर दी। यह किला इतना मजबूत था कि महीनों तक घेराबंदी के बाद भी नवाब किले की मजबूत दीवारों से जीत नहीं सके, हालांकि बाद में छल से राजा हिंदू  सिंह को किले से बेदखल करके नवाब ने कब्जा कर लिया। इस घटना से अनुमान लगाया जाता है कि  हिंदू सिंह का किला लगभग 300 साल पुराना है। इस किले के बारे में इससे अधिक इतिहास नहीं है।

loksabha election banner


क्या है मुख्य समस्या
वर्तमान में यह किला लावारिस सा है। इसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है। किले के बड़े भूभाग पर कब्जा है। कब्जे की कोशिश में ही किले को तोड़ा गया और वर्तमान में केवल खंडहर बाकी बचे हैं। राज्य सरकार या स्थानीय जिला प्रशासन किले की भूमि को लेकर पूरी तरह से बेपरवाह है। पुरातत्व विभाग भी कोई प्रयास नहीं कर रहा है। ऐसे में 300 साल पुराना किला अपनी आखिरी घडिय़ां गिनने को मजबूर है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.