एक हजार करोड़ के सालाना टर्नओवर वाली इकाइयों में युवाओं को सेंटर फॉर एक्सीलेंस देगा रोजगार
कानपुर समेत बांदा महोबा औरैया इटावा व फतेहपुर व दूसरे जिलों में भी अगरबत्ती का बहुत बड़ा कारोबार है अगरबत्ती का सेंटर फॉर एक्सीलेंस स्थापित होने के बाद युवाओं को रोजगार मिल सकेगा और स्वरोजगार भी स्थापित कर सकेंगे।
कानपुर, जेएनएन। अगरबत्ती निर्माण के क्षेत्र में युवाओं को अब बड़े पैमाने पर रोजगार मिल सकेगा। वे अगरबत्ती बनाने के नए और आधुनिक तरीके सीख कर स्वरोजगार स्थापित कर सकेंगे। खादी ग्रामोद्योग आयोग ने इसके लिए शहर में अगरबत्ती का सेंटर फॉर एक्सीलेंस बनाने का निर्णय लिया है। यह सेंटर सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र (एफएफडीसी) में बनेगा। शहर में दो हजार से अधिक अगरबत्ती बनाने वाले उद्यमियों को इसका लाभ मिलेगा। इसमें ऐसी अत्याधुनिक मशीनें होंगी, जो जल्द व आकर्षक अगरबत्ती बनाने में सहायक हैं।
सेंटर फॉर एक्सीलेंस में अगरबत्ती बनाने की नई विधाओं का प्रशिक्षण मिलेगा। इससे युवाओं को रोजगार तो मिलेगा ही, खादी ग्रामोद्योग आयोग यहां बनने वाले उत्पाद खरीदने के साथ उसकी मार्केटिंग भी करेगा। शहर में अगरबत्ती उद्योग व्यापक है। इसकी निर्माण इकाइयों का सालाना एक हजार करोड़ रुपये का टर्न ओवर है। यहां पर बनने वाली अगरबत्ती का बाजार कानपुर के साथ ही बांदा, महोबा, औरैया, इटावा, फतेहपुर, फर्रुखाबाद व कन्नौज समेत अन्य जिलों तक से जुड़ा है। यह उद्योग 15 हजार से अधिक कामगारों को रोजी-रोटी देता है। अगरबत्ती बनाने की 200 से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं। इनकी संख्या लॉकडाउन खत्म होने के बाद बढऩे की संभावना है।
- यह होंगी खास बातें
- -अगरबत्ती बनाने के लिए चीन व वियतनाम से आने वाली 80 फीसद तीलियां भी अब भारत में बनेंगी
- -अगरबत्ती बनाने में इस्तेमाल होने वाली 80 फीसद मशीनरी व टेक्नोलॉजी भी चीन से आती थी, जो अब देश में बननी शुरू हो गई है
- -देशभर मेें अगरबत्ती का प्रतिवर्ष 60 हजार करोड़ रुपये का बिजनेस है, इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए 15 हजार टन अगरबत्ती की जरूरत होती है।
-सेंटर फॉर एक्सीलेंस स्थापित करने के शुरुआती चरण में 100 युवाओं को अगरबत्ती बनाने की नई विधाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उनके उत्पाद खादी ग्रामोद्योग आयोग खरीदकर उसकी मार्केटिंग करेगा। सेंटर में उद्यमियों को अपने उत्पाद तैयार करने और उसकी जांच करने के लिए अत्याधुनिक मशीनों का लाभ मिलेगा। -डॉ. भक्ति विजय शुक्ला, निदेशक सुगंध एवं सुरस उद्यम विकास संस्थान