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सड़क पर साइकिल तो पगडंडियों में हाथी पर एतबार

हर दल के लिए साख और प्रतिष्ठा का इम्तिहान बन चुके लोकसभा चुनाव के लिए अब दांव भी उसी तरह लगाए जा रहे हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 03:29 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 03:29 PM (IST)
सड़क पर साइकिल तो पगडंडियों में हाथी पर एतबार
सड़क पर साइकिल तो पगडंडियों में हाथी पर एतबार

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v>जागरण संवाददाता, कानपुर : हर दल के लिए साख और प्रतिष्ठा का इम्तिहान बन चुके लोकसभा चुनाव के लिए अब दांव भी उसी तरह लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस को तो खोई जमीन हासिल करने के लिए अभी कोशिशों के बहुत गहरे फावड़े चलाने होंगे। बीते दो-तीन चुनावों के नतीजों ने सूबे में सपा और बसपा के हौसलों को भी पस्त किया है। यही वजह है कि भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए दो अदद दुश्मन दल रहे सपा-बसपा हाथ मिलाकर मैदान में हैं। नि:संदेह अब इस बिसात पर एक-एक मोहरा बिठाने से पहले भाजपा को भी सिर खुजलाकर सोचना ही पड़ेगा। अलबत्ता, गठबंधन ने कानपुर में पहली चाल चल भी दी है। इसमें शहर की सड़कों पर साइकिल तो देहात की पगडंडियों के लिए हाथी पर एतबार दिखाया जा रहा है। 
2014 के लोकसभा चुनाव से लगातार भाजपा की आंधी ऐसी चली की चुनाव दर चुनाव सपा-बसपा और कांग्रेस का प्रदर्शन गिरता गया। कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में तो बम्पर सीटें पहले लोकसभा, फिर विधानसभा चुनाव में मिलीं। ऐसे में माना जा रहा था कि फिलहाल 2019 के दंगल में भाजपा ही सबसे मजबूत पहलवान है। मगर, उप्र जैसे ही मिजाज वाले मध्यप्रदेश सहित राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव परिणामों ने भाजपा को इम्तिहान में उतारने से पहले अच्छे होमवर्क और रिवीजन की नसीहत दे डाली। कानपुर नगर से कद्दावर नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी सांसद हैं तो अकबरपुर से देवेंद्र सिंह भोले। टिकटों को लेकर भाजपा का क्या निर्णय होगा, यह बाद की बात है। मगर, गठबंधन ने प्रत्याशी तय करने के लिए जातीय गणित की किताब बांचना शुरू कर दिया है। नतीजा सामने है। अकबरपुर लोकसभा सीट पर दलित और पिछड़ों का वोट गेम चेंजर की भूमिका में रहता है। बेशक, पिछले चुनावों में भाजपा ने यहां वोट बैंक में सेंध लगा ली हो, लेकिन यहां ब्लू ब्रिगेड यानी बसपा का रंग अब भी सबसे चटख महसूस होता है। इसके अलावा गठबंधन ने बसपा कोटे से भाजपा नेता एवं नगर पालिका घाटमपुर के अध्यक्ष संजय सचान की पत्नी निशा को टिकट थमाया है। अब बारी कानपुर नगर की है। यहां का टिकट सपा कोटे में जाना है। भाजपा चाहे डॉ. मुरली मनोहर जोशी को रिपीट करे या किसी और चेहरे को लाए, यहां मुकाबला काफी रोचक होगा। इस सीट से कांग्रेस के कद्दावर पूर्व कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल खामोशी से कतार में खड़े हैं। बेशक, यहां ब्राह्मण वोट निर्णायक भूमिका में होगा लेकिन अभी मजबूत दावेदार श्रीप्रकाश ही माने जा रहे हैं। सपा का प्रभाव अभी यहां कमजोर है। मगर, सपा-बसपा के गठबंधन ने एकजुट अल्पसंख्यक वोट का बोनस जरूर दे दिया है। चर्चा तो यह भी है कि भाजपा को किसी भी हाल में हराने के लिए समझौते की डगर पर चल रही सपा-बसपा यहां कांग्रेस को मजबूत समझेगी तो डमी प्रत्याशी भी उतार सकती है।
निशा के नाम की घोषणा कल
बसपा के कानपुर-लखनऊ जोन के मुख्य जोनल इंचार्ज नौशाद अली और डॉ. भीमराव अंबेडकर सम्मेलन में उपस्थित रहेंगे। वे निशा सचान को अकबरपुर संसदीय सीट से उम्मीदवार घोषित करेंगे। पार्टी में टिकट के दावेदार पूर्व विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों से निशा की मुलाकात कराई जाएगी। निशा या उनके पति संजय सचान का बसपा से दूर-दूर तक नाता नहीं है। ऐसे में उनका परिचय कराया जाएगा और कैसे चुनाव लड़ना है उन्हें बताया जाएगा।
जिला पंचायत सदस्य हैं निशा सचान
निशा सचान घाटमपुर के गिरसी से जिला पंचायत सदस्य हैं। जिले में निशा ने सर्वाधिक वोटों से जीत दर्ज की थी।
 

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