खनन घोटाला : ईडी ने आइएएस अफसर बी. चंद्रकला और एमएलसी रमेश मिश्र को किया तलब
अवैध खनन मामले में जांच में कर रहे ईडी ने नौ आरोपितों को अलग-अलग तारीख में बुलाया है।
हमीरपुर, जेएनएन। उप्र में हुए अवैध खनन मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) के शिकंजा कसने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी सख्त रुख अपनाया है। मनी लॉड्रिंग, षड्यंत्र व धोखाधड़ी आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज करा चुकी ईडी ने हमीरपुर की तत्कालीन जिलाधिकारी बी. चंद्रकला को 24 व एमएलसी रमेश मिश्र को 28 जनवरी को लखनऊ तलब किया है।
नौ अन्य आरोपितों खनन अधिकारी मोईनुद्दीन, खनन लिपिक रामआसरे प्रजापति, सपा एमएलसी रमेश मिश्रा के भाई दिनेश मिश्रा, पट्टाधारक अंबिका तिवारी, बसपा नेता व पट्टाधारक संजय दीक्षित, सत्यदेव दीक्षित, जालौन निवासी पट्टाधारक रामअवतार सिंह, करन सिंह और लखनऊ निवासी आदिल खान को अलग-अलग तारीख दी जा चुकी है। इसे लेकर खनन माफिया में खलबली मची है। खासतौर पर जांच की जा रही है कि हमीरपुर में 2012 से 2016 के बीच मौरंग के अवैध खनन से कमाई गई रकम को कहा निवेश किया गया
डूबी पोकलैंड की भी होगी जांच
पिछले वर्ष अवैध खनन के दौरान कुरारा के पतारा खदान खंड संख्या तीन में अचानक बाढ़ आने से मौरंग से भरा ट्रक व एक पोकलैंड मशीन बेतवा नदी में डूब गई थी। बीते वर्ष अप्रैल में अवैध खनन की जांच करने जिले में आई सीबीआइ टीम ने पतारा खदान पहुंचकर नदी में डूबे ट्रक व पोकलैंड मशीन की वीडियोग्राफी कराई थी।
साक्ष्यों की जांच करने दोबारा आई सीबीआइ टीम सीधे पतारा खदान पहुंची। वहां पर न तो ट्रक मिला और न ही मशीन। लेकिन, नदी पर नवनिर्मित पुल व जिस स्थान से ट्रक व मशीन को ऊपर लाया गया व जहां से ले जाया गया था, उसके साक्ष्य जरूर मिले थे। टीम ने उसकी वीडियोग्राफी की। इससे साफ है कि सीबीआइ के जाने के बाद मौरंग माफिया ने अवैध खनन के सुबूत मिटाए। याचिकाकर्ता विजय द्विवेदी ने बताया कि बीते दिनों सीबीआइ ने फिर शिकंजा कसा तो खनन माफिया मशीन जंगल में छोड़ गए।