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सीबीडीटी ने जारी किया नया आदेश, बढ़ा दी लिटिगेशन में आर्थिक सीमा

विभाग के 41 फीसद मुकदमे हो जाएंगे कम, आफिस में दिनभर रही चर्चा

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Jul 2018 03:47 PM (IST)Updated: Fri, 13 Jul 2018 03:54 PM (IST)
सीबीडीटी ने जारी किया नया आदेश, बढ़ा दी लिटिगेशन में आर्थिक सीमा
सीबीडीटी ने जारी किया नया आदेश, बढ़ा दी लिटिगेशन में आर्थिक सीमा

जागरण संवाददाता, कानपुर : केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बढ़ते मुकदमों का बोझ कम करने के साथ ही बड़े करदाताओं के मामलों के निस्तारण के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं। इसके तहत कर निर्धारण विवाद के छोटे मामलों की संख्या घटाने के लिए के लिए सीबीडीटी ने विभागीय अपील दायर करने की आर्थिक सीमा बढ़ा दी है। सीबीडीटी द्वारा 11 जुलाई को जारी की गई आर्थिक सीमा के चलते विभाग के 41 फीसद मुकदमों का बोझ कम हो जाएगा। इसके साथ ही व्यापार को और आसान बनाने में सुविधा मिलेगी। इस आदेश को लेकर विभाग में पूरा दिन चर्चा रही।

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अब तक यह थी व्यवस्था

वर्तमान व्यवस्था में किसी कारोबारी के कर का निर्धारण करते समय अगर कर निर्धारण अधिकारी उसका कुल टैक्स ज्यादा तय कर देते थे तो कारोबारी अपील में जा सकते थे। तमाम मामलों में कारोबारी को राहत मिल जाती थी लेकिन अगर यह राशि 10 लाख, 20 लाख या 25 लाख से अधिक होती थी तो विभाग उसमें मामले में आगे अपील में चला जाता था। इसमें 10 लाख रुपये से ऊपर की अपील अपीलेट ट्रिब्यूनल, 20 लाख रुपये से ऊपर में हाईकोर्ट व 25 लाख से अधिक में मामला सुप्रीम कोर्ट जाता था। इस वजह से इन तीनों स्थानों पर विभाग की तरफ से भारी संख्या में मुकदमे या अपील हैं।

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ये व्यवस्था लागू होगी

मुकदमों का बोझ कम करने के लिए बुधवार को सीबीडीटी ने नया आदेश जारी किया है। इसमें अब धनराशि बढ़ा दी गई है। अब विभाग 20 लाख रुपये से ऊपर टैक्स बनने पर ही अपीलेट ट्रिब्यूनल जा सकेगा। इसके बाद 50 लाख रुपये से अधिक पर हाईकोर्ट व एक करोड़ रुपये से अधिक टैक्स होने पर सुप्रीम कोर्ट जा सकेगा।

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अपील की शुरुआत अपीलेट से ही

कर विवाद की धनराशि की कितनी भी हो लेकिन अपील की शुरुआत अपीलेट ट्रिब्यूनल से ही होगी।

नई व्यवस्था के फायदे

सीबीडीटी अधिकारियों का मानना है कि इससे विभाग के मुकदमों व अपील की संख्या में भारी कमी आएगी। नई सीमा के तय होते ही भारी संख्या में दाखिल मुकदमे अपने आप वापस हो जाएंगे।

नई व्यवस्था के फायदे

बदलाव के बाद विभाग में मुकदमों की संख्या में काफी कमी आएगी।

न्यायालय कम होंगे मुकदमे

अपीलेट ट्रिब्यूनल-34 फीसद

हाईकोर्ट-48 फीसद

सुप्रीम कोर्ट-54 फीसद

कुल घटेंगे मुकदमे- 41 फीसद

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सेंट्रल बोर्ड ऑफ इन डायरेक्ट टैक्स (सीबीआइसी) की भी व्यवस्था में सुधार होगा।

न्यायालय घटेंगे मुकदमे

कस्टम एक्साइज एंड सर्विस टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (सीईएसटीएटी)-16 फीसद

हाईकोर्ट-22 फीसद

सुप्रीमकोर्ट-21 फीसद मामलों को वापस लिया जाएगा।

कुल मुकदमे कम होंगे-18 फीसद।

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उच्च मूल्य मुकदमों पर रखी जाएगी नजर

प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर दोनों के मामूली मुकदमे तेजी से कम होंगे और विभाग अपने उच्च मूल्य के मुकदमों पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा।

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''सीबीडीटी का यह कदम अच्छा है। विभिन्न न्यायालयों में विभाग द्वारा स्पष्ट फैसलों के बाद भी मुकदमे लगाए जा रहे हैं। मौद्रिक सीमा के मामले में आगे अपील की जा रही है। मामले की योग्यता को नजरअंदाज कर विभाग द्वारा तमाम अपील दायर की गई थीं। आर्थिक सीमा बढ़ने से मुकदमों की संख्या काफी कम हो जाएगी क्योंकि तमाम अपील 20 लाख से कम की है। - विवेक खन्ना, पूर्व अध्यक्ष, सीआइआरसी।


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