बालू और मिट्टी लदे डंपर-ट्राली बढ़ा रहे प्रदूषण
बालू-मिट्टी खनन कराने वालों पर नहीं डीएम के फरमान का असर नहीं पड़ रहा है? - खनन विभाग ने नही
जागरण संवाददाता, कानपुर : वायु प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए हजारों रुपये का डीजल जलाकर एंटी स्मॉग गन से छिड़काव किया जा रहा है। हालांकि नगर निगम की इस कवायद पर बालू, मिट्टी और मौरंग ढोने वाले डंपर, ट्रक और ट्राली पलीता लगा रहे हैं। जिलाधिकारी आलोक तिवारी ने खनन में लिप्त वाहनों को ढककर ले जाने के आदेश दिए हैं, लेकिन न तो खनन इंस्पेक्टर सक्रियता बरत रहे हैं और न ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी कुछ कर रहे हैं।
गंगा में रानी घाट और ड्योढ़ी घाट के पास जिन्हें बालू खनन का ठेका मिला है, वे प्रदूषण का बड़ा कारण बन गए हैं। खदानों के पास बने डंपिग स्थल से बालू लेकर निकलने वाले ट्रक या ट्राली धड़ल्ले से बिना ढके ही गुजर रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के साथ ही तीन साल पहले तत्कालीन डीएम ने ऐसे वाहनों को ढककर ले जाने के आदेश कर चुके हैं। कुछ दिन तो अभियान चलाकर कार्रवाई हुई, लेकिन उसके बाद अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। वर्तमान में बंदी माता घाट पर बालू खनन का ठेका नहीं हैं, लेकिन यहां चोरी छिपे खनन हो रहा है। डीएम आलोक तिवारी ने दो दिन पहले ही खनन निरीक्षक और मजिस्ट्रेटों को आदेश दिया कि वे जांच करें और बिना ढंककर निर्माण सामग्री ले जा रहे वाहनों पर कार्रवाई करें, लेकिन इसे भी अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। पीएम 10 के साथ पीएम-2.5 की बढ़ जाती मात्रा
हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिग विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर प्रदीप कुमार बताते हैं कि धूल उड़ने से पीएम 10 बढ़ता है और दृश्यता भी कम हो जाती है। कार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड और पीएम 2.5 की मात्रा भी बढ़ती है। ट्रक में बिल्डिग मैटेरियल है तो उसे ढक कर रखना चाहिए। खुले व ओवरलोड होने पर कार्रवाई की जाती है। इसके लिए एक्शन प्लान बनाया जा चुका है।
- आनंद कुमार, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी
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प्रदूषण रोकने के लिए बालू, मिट्टी आदि ढक कर ले जाने का आदेश दिया है। यदि कोई उसका उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- आलोक तिवारी, डीएम