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पंजीकृत आटो-टेंपो से तीन गुणा भर रहे फर्राटा,इस वजह से फलफूल रहा स्टैंड संचालकों का धंधा

Kanpur Hindi News सत्तापक्ष से जुड़े लोगों और पुलिसकर्मियों की शह पर स्टैंड संचालकों का धंधा फलफूल रहा है। पुलिस के पास मोटी रकम पहुंचती है। जिसके बदले में स्टैंड संचालकों को मनमानी का लाइसेंस मिल जाता है।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 04:48 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 04:48 PM (IST)
पंजीकृत आटो-टेंपो से तीन गुणा भर रहे फर्राटा,इस वजह से फलफूल रहा स्टैंड संचालकों का धंधा
चकेरी एयरपोर्ट से रामादेवी आने वाले मार्ग पर सड़क के बीचोबीच वाहन खड़ा करके सवारियां लेते है। जागरण

कानपुर, जागरण संवाददाता। शहर में आटो, टेंपो और ई-रिक्शा चालक बेलगाम और यातायात व पुलिस विभाग का निगरानी तंत्र चौपट है। इस बात की पुष्टि बिना पंजीकरण सड़कों पर फर्राटा भर रहे वाहन करते हैं। शहर में इस समय पंजीकृत वाहनों से तीन गुणा वाहन बिना पंजीकरण ही दौड़ रहे हैं। शहर में कई अवैध और वैध स्टैंडों के संचालन में सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों और पुलिसकर्मियों का शह मिला हुआ है। पुलिस को प्रतिमाह लाखों रुपये की चौथ पहुंचती है। यही कारण है कि सुबह के समय पुलिसकर्मी डंडा ठकठकाते हैं और शाम को वसूली कर घर जाते हैं।

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शहर में पंजीकृत टेंपो की संख्या 1856, आटो 4893, ई-रिक्शा 21 हजार और प्राइवेट सिटी बसों की संख्या 209 है जबकि इससे तीन गुणा आटो-टेंपो और ई-रिक्शा सवारियां और माल ढुलाई का काम करते हैं। स्टैंड पर सभी का अलग-अलग रेट निर्धारित है। टेंपो और आटो चालक से स्टैंड संचालकों द्वारा प्रति चक्कर 10 रुपये की वसूली होती है। मैजिक, पिकअप, वैन व अन्य वाहनों से 50 से 80 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से वसूले जाते हैं। इस चौध के बदले वाहन चालकों को मनमानी का लाइसेंस मिल जाता है। रामादेवी, नौबस्ता, बर्रा और जूही आदि में चलाए जा रहे आटो-टेंपो स्टैंडों का संचालन सत्तापक्ष से जुड़े लोगों और पुलिसकर्मियों की शह पर होता है। पूर्व में कई बार स्टैंड पर कब्जे को लेकर दो गुटों के बीच मारपीट और बवाल हो चुके हैं।

वसूली के साथ बेगार भी

स्टैंड संचालकों को थाना और चौकी पुलिस से सेटिंग के चलते घायलों को अस्पताल, आरोपितों को डाक्टरी कराने, जेल भेजने के लिए वाहन उपलब्ध कराकर बेगार करनी पड़ती है। इसका भी कोटा निर्धारित होता है। एक वाहन का एक माह में दो बार नंबर लगता है। कभी-कभी तो बेगार करने से इन्कार करने पर पुलिसकर्मी कागज छीन लेते हैं।

बिना पंजीकरण दौड़ रहे 40 हजार ई-रिक्शा

शहर में पंजीकृत ई-रिक्शा की संख्या 21 हजार है जबकि सड़कों पर करीब 61 हजार ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं। इनमें 40 हजार ई-रिक्शा अपनी समय-सीमा पूरी कर चुके हैं। ई-रिक्शा चालकों के लिए सवारियां ले जाने की अनुमति है लेकिन इसमें माल ढुलाई भी की जाती है। इनकी फिटनेस की समय सीमा दो साल निर्धारित की गई है। अभियान के दौरान संभागीय परिवहन विभाग भी कुछ रिक्शे जब्त कर कार्रवाई कर देता है।

धड़ल्ले से दौड़ रहे देहात नंबर के टेंपो

शहर में देहात नंबर पर पंजीकृत आटो-टेंपो धड़ल्ले से दौड़ते हैं। कार्रवाई से बचने के लिए नंबर प्लेट के पास चोटी, झालर और आगे की ओर हार्न और साज सज्जा के लिए बुलगार्ड आदि लगाते हैं। रोड टैक्स देहात का जमा होने और फर्राटा शहर में भरने के बाद भी संभागीय परिवहन विभाग, ट्रैफिक और थाना पुलिस कार्रवाई नहीं करती।


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