आंकड़ों में उलझ ब्लड प्रेशर और मधुमेह रोगी बन रहे टैक्स सलाहकार, बदला आरआरसी देगा राहत
जीएसटी के बाद टैक्स सलाहकारों की दिनचार्या बदलने से बढ़ा तनाव। अब आरआरसी का प्रारूप बदलकर राहत देने का प्रयास।
कानपुर, जेएनएन। जीएसटी के बाद टैक्स सलाहकारों की दिनचर्या बहुत कुछ बदली है। दिन क्या, पूरी की पूरी रात कंप्यूटर मॉनीटर को ताकते गुजार देने वाले टैक्स सलाहकार धीरे-धीरे तनावग्र्रस्त होने लगे। इसकी पुष्टि भी पिछले वर्ष के अंत में टैक्स सलाहकारों के एक स्वास्थ्य शिविर में हो गई। जांच में पाया गया कि सभी टैक्स सलाहकार तनाव से पीडि़त हैं और ब्लड प्रेशर व मधुमेह का रोगी बनते जा रहे हैं।
खुद को आंकड़ों में उलझा रोगी बना लेने से अच्छा है कि कुछ समय इन आंकड़ों से दूर रहा जाए, इसीलिए टैक्स सलाहकारों ने इस वर्ष अपने रेजीडेंशियल रिफ्रेशर कोर्स (आरआरसी) का प्रारूप ही बदल दिया। अब आरआरसी में रोज पढ़ाई का झंझट नहीं रहेगा। एक दिन पढ़ाई और उसके बाद बाकी दिन सिर्फ मौज मस्ती में गुजरेंगे।
कानपुर इनकम टैक्स बार एसोसिएशन हर वर्ष अपने सदस्यों को देश के किसी शहर या अन्य किसी देश आरआरसी पर ले जाता है। पिछले वर्ष सदस्य कजाकिस्तान के अल्माटी शहर गए थे। इस बार ये सदस्य 11 से 15 दिसंबर तक गोवा में रहेंगे। अब तक हुईं सभी आरआरसी में जितने दिन भी सदस्य बाहर रहते हैं, उन्हें रोज सुबह पहले एक टेक्निकल सत्र में करंट टापिक पर चर्चा करनी होती है जो पहले से तय होता है। दोपहर तक चलने वाले इस सत्र के बाद ही वे दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए निकलते थे।
हालांकि टैक्स सलाहकारों का पूरा कारोबार इन्हीं आंकड़ों, नियमों पर निर्भर है, लेकिन अब उन्होंने सत्र को पूरी तरह बदल दिया है। इस बार की आरआरसी में मात्र एक दिन ही पढ़ाई होगी, उसके अलावा बाकी सभी दिनों में सिर्फ घूमने की व्यवस्था की गई है। आरआरसी में एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद कृष्णा और महामंत्री अवधेश मिश्रा के नेतृत्व में सदस्य जाएंगे, लेकिन इस आरआरसी के चेयरमैन राजेश मेहरा हैं। टेक्निकल कमेटी चेयरमैन संतोष गुप्ता हैं।
ये होंगे सत्र
-पहले सत्र में आनलाइन जीएसटी एवं आयकर से संबंधित डाटा के विश्लेषण पर चर्चा होगी। इसके वक्ता प्रशांत कुमार वर्मा होंगे।
-दूसरे सत्र जीएसटी के वार्षिक रिटर्न पर होगा। इसके वक्ता अभिषेक रायजादा होंगे।
-तीसरा सत्र जीएसटी वार्षिक समाधान रिटर्न पर होगा। इसके वक्ता दीप कुमार मिश्रा होंगे।