किस्त जमा पर नवीनीकृत नहीं की पॉलिसी
जागरण संवाददाता, कानपुर : किस्त जमा होने के बाद पॉलिसी नवीनीकृत न करने का बीमा कंपनी का बहाना फोरम म
जागरण संवाददाता, कानपुर : किस्त जमा होने के बाद पॉलिसी नवीनीकृत न करने का बीमा कंपनी का बहाना फोरम में नहीं चला। इलाज में खर्च धनराशि को आठ फीसद ब्याज समेत देने के आदेश जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष डॉ. आरएन सिंह ने दिए हैं। पीड़ित को पांच हजार रुपये मुकदमा खर्च भी बीमा कंपनी देगी।
अस्सी फिट रोड निवासी अमित कुमार अग्रवाल ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से परिवार के चार सदस्यों के लिए 3 दिसंबर 2009 को हेल्थ पॉलिसी ली थी। वार्षिक 1748 रुपये की धनराशि देकर वह पॉलिसी को प्रतिवर्ष नवीनीकृत कराने लगे। 19 मार्च 2014 को अचानक स्वास्थ खराब हुआ तो उन्होंने केएमसी में अपना इलाज कराया जिसमे 20,370 रुपये खर्च हुए। बीमा कंपनी से क्लेम मांगा तो बीमा कंपनी ने पॉलिसी नवीनीकृत न होने की दलील देते हुए क्लेम खारिज कर दिया। जिस पर अमित ने 16 मार्च 2014 को फोरम में अपील की और बैंक ऑफ बड़ौदा और नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को पक्षकार बनाया। बैंक की ओर से जवाब दिया गया कि बैंकर्स चेक बनाकर इंश्योरेंस कंपनी को सही वक्त पर भेज दिया गया था। उन्होंने पॉलिसी नवीनीकृत नहीं की तो इसमे बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद फोरम ने क्लेम की धनराशि ब्याज समेत देने के आदेश दिए।