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सिटी बसें चला न पाए, इलेक्ट्रिक बसों पर नजर जमाए

सबसे प्रदूषित शहर का धब्बा लिए कानपुर को प्रदूषणमुक्त करने के लिए प्रयास तो पहले भी हुए लेकिन लचर लापरवाह अफसरों ने सरकार के मंसूबों पर पानी फेर दिया। शहर का ट्रांसपोर्टेशन सुधारने के लिए भूरेलाल कमेटी की सिफारिश के बाद शहर को ईको-फ्रेंडली बसें दी गई थीं लेकिन अफसरों की मनमानी ने ये बसें चलीं कम, डिपो में ज्यादा डंप रहीं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 01:40 AM (IST)Updated: Mon, 16 Jul 2018 01:40 AM (IST)
सिटी बसें चला न पाए, इलेक्ट्रिक बसों पर नजर जमाए
सिटी बसें चला न पाए, इलेक्ट्रिक बसों पर नजर जमाए

जागरण संवाददाता, कानपुर : शहर की आबोहवा बेहतर रखने के लिए प्रदेश सरकार ने शहर को सौ इलेक्ट्रिक बसें देने की घोषणा की तो शहरवासियों को खुशी हुई लेकिन योजना की कामयाबी को लेकर सशंकित हैं। दरअसल वह पूर्व में जवाहर लाल नेहरू अरबन रिन्यूवल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत मिली 270 बसों का हश्र देख चुके हैं। जैसे-तैसे बमुश्किल 120 बसें ही बीते एक वर्ष में चल पाई हैं जबकि इससे पहले तो पूरी की पूरी ही विकास नगर, फजलगंज आदि डिपो में डंप खड़ी थीं। किसी के पहिए गायब तो किसी की बॉडी गल गई थी।

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वास्तव में ईको-फ्रेंडली सिटी बसों का संचालन यदि बेहतर तरीके से किया जाता तो वह आज खटारा व जर्जर होने से बच जातीं और इलेक्ट्रिक बसें मिलने के बाद ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था और ज्यादा बेहतर हो जाती। दरअसल पूर्व में बसों की दुर्दशा के लिए परिवहन विभाग के अफसर ही जिम्मेदार हैं। उनकी उदासीनता से जेएनएनयूआरएम की बसें समय पूर्व दम तोड़ रही हैं। शासन से कानपुर को इलेक्ट्रिक बसें मिलने वाली हैं तो अफसरों की बांछें खिल गई हैं, क्योंकि उन्हें फिर से कमाई का रास्ता खुलता दिख रहा है लेकिन पूर्व में डंप पड़ी 150 बसों को लेकर कोई कुछ कहने तक को तैयार नहीं है।

कागजों में ही रह गई कंपनी

जेएनएनयूआरएम योजना की सिटी बसों को चलाने के लिए कानपुर सिटी ट्रांसपोर्ट लिमिटेड का गठन किया गया। मंडलायुक्त को इसका चेयरमैन व कानपुर परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक को एमडी बनाया गया। जिलाधिकारी, एसएसपी, नगर आयुक्त, केडीए वीसी, एसपी ट्रैफिक और आरटीओ को इस कंपनी का उच्चाधिकारी नियुक्त करके सभी अधिकारियों को जिम्मेदारी भी दी गई है। लेकिन भारी-भरकम प्रशासनिक टीम भी बसों के संचालन में सकारात्मक भूमिका नही निभा सकी। व्यवस्था कागजों पर ही बेहतर दिखाई गई।

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रख-रखाव को लेकर बरतनी होगी संजीदगी

इलेक्ट्रिक बसों के रखरखाव के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार करनी होगी। अगर जेएनएनयूआरएम योजना की तरह व्यवस्था की गई तो इनका हश्र भी पहले की बसों की तरह हो जाएगा। आलम ये है कि इन बसों से जो आय होती है, वह मेंटीनेंस, चालकों-परिचालकों व स्टाफ के वेतन तथा ईंधन में ही चली जाती है।

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इंसेट..

सिटी बसों की स्थिति

ø कुल सिटी बसें 270

ø छोटी बड़ी सिटी बसें 250

ø लो फ्लोर बसें 20

ø लो फ्लोर एसी बसें 10

ø लो फ्लोर नान एसी 10

ø सिटी बसें मार्ग पर 120

ø एसी लो फ्लोर मार्ग पर एक

ø नान एसी लो फ्लोर मार्ग दो

ø डिपो में डंप बसें 150

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'सिटी को अगले वर्ष 100 इलेक्ट्रिक सिटी बसें मिल जाएंगी। वर्तमान में 120 सिटी बसें चल रही हैं। कोशिश है कि अगले माह तक रूट पर सिटी बसों की संख्या 200 हो जाए। यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए हम कृतसंकल्प हैं।'

-अतुल जैन, एमडी, कानपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज

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''इलेक्ट्रिक बसें चलवाने की जिम्मेदारी किसी रिटायर्ड एक्सपर्ट अधिकारी को दी जाएगी। संचालन पर शासन-प्रशासन भी पूरी नजर रखेगा। ये बसें कानपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज के अधीन ही संचालित होंगी। -अजीत सिंह, संयुक्त निदेशक, नगर विकास


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