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Doctor Day 2022: अपनत्व से इलाज, शुभकामनाओं की बरसात...कानपुर के यह डाक्टर बने मिसाल

कानपुर के डा. मनीष सिंह और आरएन चौरसिया अपने आपमें मिसाल हैं। शहर ही नहीं आसपास के 10-12 जिलों के लोग जिनका सम्मान से नाम लेते हैं। मरीजों का दर्द दूर करने के साथ उनके स्वजन का भी यह डाक्टर पूरा ख्याल रखते हैं।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 12:19 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 12:19 PM (IST)
Doctor Day 2022: अपनत्व से इलाज, शुभकामनाओं की बरसात...कानपुर के यह डाक्टर बने मिसाल
कानपुर के डाक्टर मनीष और आरएन चौरसिया निरंतर सेवा में लगे रहते हैं।

कानपुर, जागरण संवाददाता। मरीज इलाज कराने के बाद जब इन डाक्टर के पास से निकलते हैं तो वह डाक्टर की झोली आशीर्वाद और शुभकामनाओं से भरकर जाते हैं। दरअसल, इलाज के दौरान इतना अपनत्व मिलता है कि कब स्वस्थ हुए पता ही नहीं चलता। यह खासियत है जीएसवीएम मेडिकल कालेज के न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. मनीष सिंह और शहर के वयोवृद्ध बाल रोग विशेषज्ञ डा. आरएन चौरसिया की। डा. मनीष सिंह ने वर्ष 2013 में शहर में कदम रखने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह मरीजों के दर्द को अपना दर्द समझते हैं, इसलिए स्वयं के साथ-साथ अपने रेजीडेंट डा. सौरभ सिंह, डा. सुनील सिंह व डा. प्रवीन को भी दिनरात मरीजों की सेवा की सीख देकर एक बेहतर चिकित्सक बना रहे हैं। वहीं, डा. आरएन चौरसिया का इलाज कराकर कई पीढ़ियां बड़ी हो गईं। यही वजह है इन दोनों पर बड़ों से लेकर बच्चों तक के इलाज में लोगों को भरोसा है कि उनके पास पहुंचे तो कम पैसे में बेहतर इलाज मिल जाएगा।

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उदाहरण एक: कानपुर देहात के गजनेर थाना क्षेत्र की संध्या आठ माह के गर्भ से थी। उसने पति को शराब पीने से मना किया तो पति से झगड़ा हो गया। 26 जून की रात गुस्से में आकर पति ने घर की पहली मंजिल से उसे उठाकर फेक दिया। ऊपर से गिरने से वह गंभीर रूप से घायल हो गई। स्थानीय डाक्टरों ने इलाज से हाथ खड़े कर दिए। देर रात स्वजन एलएलआर अस्पताल (हैलट) पहुंचे। न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. मनीष सिंह की यूनिट में भर्ती हुए। उनके लिए जच्चा-बच्चा की जान बचाना चुनौती था। बेसुध गर्भवती में कोई हरकत नहीं थी। स्थिति जानने को सीटी स्कैन जरूरी था। ऐसे में गर्भस्थ शिशु को सुरक्षित रखते हुए जांच कराई। पता चला कि सिर की हड्डी कई जगह से टूटी है, ब्रेन हेमरेज होने से खून के कई थक्के बन गए थे। ऊपर से गिरने से गर्भस्थ शिशु की स्थिति देखी गई उसमें हरकत थी। दिनरात देखभाल व इलाज से जच्चा-बच्चा की जान बचाने में कामयाब रहे।

उदाहरण दो : कन्नौज के गुरौल निवासी अमित कुमार व मोनी देवी के साढ़े छह वर्ष के पुत्र नैतिक को संक्रमण के साथ मियादी बुखार हो गया था। कई जगह इलाज के बाद भी हालत बिगड़ती जा रही थी। स्वजन भटकते हुए घंटाघर स्थित मोहन चिल्ड्रेन में वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. आरएन चौरसिया के पास पहुंचे। माली हालत ठीक न होने पर उन्होंने बच्चे के इलाज से लेकर उनके खाने-पीने का इंतजाम किया। चौथे दिन से सुधार होने लगा। इसी तरह चौबेपुर के बंदी नाला रोड निवासी मनोज व ज्योति के तीन माह के बेटे सोम को यूटीआइ के साथ सेप्टीसीमिया होने से जान पर बन आई थी। आर्थिक स्थित ठीक न होने पर डा. चौरसिया के पास पहुंचे। 20 दिन से भर्ती कर इलाज कर रहे हैं। अब जाकर बच्चे की स्थिति में सुधार हुआ है।

मेरे लिए तो भगवान से कम नहीं

संध्या के स्वजन लल्लू का कहना है कि उम्मीद छोड़ चुके थे। ऐसे में डाक्टर साहब ने बिना खर्च के बेहतर इलाज करके जान बचाई। साथ ही पेट में पल रही नन्ही जान की जीवन रक्षा की। उनका यह एहसान जीवनभर नहीं भूलेंगे।

गरीबों के लिए भगवान

नैतिक की मां मोनी का कहना है कि गरीबों के बच्चों के लिए डाक्टर भगवान से कम नहीं हैं। डाक्टर साहब पैसे हों या न हो इलाज से कभी पीछे नहीं हटते हैं। उनके यहां ऐसा लगता है कि घर पर ही रह रहे हैं। ऐसी ही राय सोम के माता-पिता की भी है।


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