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डॉक्टर-एमआर का गठजोड़ काट रहा गरीबों की जेब

मा. कांशीराम संयुक्त चिकित्सालय सिर्फ कहने को सरकारी अस्पताल है। डाक्टर और एमआर का गठजोड़ गरीबों की जेब काट रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 01:19 AM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 01:19 AM (IST)
डॉक्टर-एमआर का गठजोड़ काट रहा गरीबों की जेब
डॉक्टर-एमआर का गठजोड़ काट रहा गरीबों की जेब

जागरण संवाददाता, कानपुर : मा. कांशीराम संयुक्त चिकित्सालय सिर्फ कहने को सरकारी अस्पताल है। डाक्टर और एमआर का गठजोड़ गरीबों की जेब काट रहा है। गठजोड़ के चलते सरकारी अस्पताल में गरीबों का इलाज और जांच 'पैकेज' से हो रहा है। डॉक्टर खुद मरीजों से बाहर के मुकाबले आधी दरों में सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करते हैं। ओपीडी में डॉक्टर की कुर्सी पर दवा कंपनियों के प्रतिनिधि काबिज रहते हैं। बिना रोक-टोक मरीजों के पर्चे पर बाहर की दवाएं भी लिखते हैं।

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सोमवार सुबह जागरण टीम अस्पताल पहुंची तो हकीकत से रूबरू हुई।

जागरण टीम सुबह 10.20 बजे अस्पताल पहुंची तो ओपीडी कक्ष 101, 103, 104, 105, 111 खुले थे, लेकिन डॉक्टर नहीं थे। कक्ष 106 में आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. सुमित कुमार मिश्र के कक्ष के बाहर काफी देर से हरजेंदर नगर के हरप्रीत सिंह और जाजमऊ के शमशाद खड़े थे। उन्होंने बताया कि यहां हर डॉक्टर का अपना निजी स्टॉफ है। कक्ष में दवा कंपनियों के प्रतिनिधि से बात करते रहते हैं, मरीज बाहर खड़े इंतजार करते हैं। जांच व दवाएं बाहर की लिखते हैं। कक्ष 112 में चेस्ट फिजीशियन नहीं थे। उनके कक्ष में दवा कंपनियों के चार प्रतिनिधि बैठे थे, कैमरा देखते ही सकपका गए। पहली मंजिल स्थित ओपीडी के कक्ष 203 में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप कुमार वर्मा नहीं थे। तीमारदार मरीज बच्चे को लेकर परेशान थे। कक्ष 206 से ईएनटी सर्जन डॉ. अतुल सचान गायब थे, मरीज बाहर लाइन लगाए थे। कैमरे का फ्लश चमकते ही आ गए और मरीज देखने लगे। कक्ष 210 में डॉ. पीयूष मिश्र व कक्ष 204 में डॉ. स्वदेश गुप्ता के कक्ष में भी दवा कंपनियों के प्रतिनिधि बैठे थे।

गर्भवती बेहाल, हाथ नहीं लगाती डॉक्टर

स्त्री एवं प्रसूति रोग ओपीडी में पत्‍‌नी को दिखाने आए न्यू आजाद नगर से राजेश कटियार ने बताया कि ब्लीडिंग हो रही है। डॉक्टर ने हाथ तक नहीं लगाया, न कुछ सुनने को तैयार हैं। फ्लश चमकते ही डॉ. सुमन गुप्ता और उनके दो निजी कर्मचारियों के साथ बाहर आकर बहस करने लगे। कहने लगीं एक ही ओपीडी है, मरीजों का काफी लोड है। यहां सिर्फ छह डॉक्टर ही तैनात हैं।

बिना पैसे नहीं होता काम

नई चुंगी जाजमऊ से आई मोनिका गौतम का आरोप था कि ओपीडी में एक दिन डॉ. सुमन गुप्ता और एक दिन डॉ. सीमा राय बैठती हैं। कहा, डा. सुमन तो दवाएं बाहर की ही लिखती हैं और खरीदने के बाद दिखाने के लिए भी कहती हैं।

एक्सरे-अल्ट्रासाउंड जांच में भी पैसे

आवास विकास हंसपुरम से दिखाने आई नजमा का आरोप था कि एक्सरे जांच में भी 100 रुपये लिए जाते हैं।

आंख जांच में लेते हैं 100 रुपये

रामादेवी से दिखाने आई फूली देवी ने बताया कि यहां आंख की जांच तक में पैसे लिए जाते हैं। मुझसे 100 रुपये लिए और कोई रशीद नहीं दी। कहा, किसी को बताना नहीं वरना रिपोर्ट नहीं मिलेगी।

थायराइड जांच के लेते 250 रुपये

गांधीग्राम की राजेश्वरी ने बताया कि अस्पताल में थायराइड की जांच नहीं होती है, फिर भी 250 रुपये लिए जाते हैं। बगैर पैसे लिए खून की कोई जांच नहीं होती है।

जिम्मेदारों के बोल

अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसके पांडेय का कहना था कि आज किसी बाल रोग विशेषज्ञ की ओपीडी नहीं है। कक्ष 101 के डॉ. एसके शुक्ल एसएनसीयू में हैं। डॉ. संदीप श्रीवास्तव पोस्टमार्टम ड्यूटी पर हैं। कक्ष 112 में दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों के बैठने की बात पर चौंक पड़े। सीएमएस ने यह भी कहा कि वसूली एवं जांच में पैसे लिए जाने की जांच कराएंगे।


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