रामनवमी आज : घर के अंदर खुद ही करें हवन, कन्याओं की जगह पशु-पक्षियों को खिलाएं
राष्ट्रीय आपदा के दौरान रामनवमी पर धर्माचार्यों ने की विशेष अपील आचार्य व कन्या को दिए जाने वाला दान पीएम कोष में करें दान।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना जैसी महामारी के दौरान नवरात्र का पूजन इस बार आप विशेष तरीके से करके पुण्य अॢजत कर सकते हैं। ऐसा करने में देश, समाज, परिवार और धर्म का उत्थान होगा। आपको बस इतना करना है कि हवन-पूजन के लिए आचार्य बुलाने के बजाय इस बार खुद हवन करें। कन्या को भोजन कराने के स्थान पर पशु और पक्षियों को भोजन कराएं। आचार्य और कन्याओं को दान दिए जाने वाली रकम आप प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री राहत कोष में दे सकते हैं। इससे देश में कोरोना जैसी महामारी को थामने का प्रयास और मजबूत हो सकेगा।
बिना आचार्य हवन करने से भी मिलेगा पुण्य
पूरे देश में कोरोना वायरस के कारण इन दिनों 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित है। ऐसे में यदि कानपुर में लाखों परिवारों में कन्या पूजन या आचार्यों द्वारा पूजन कराया गया तो बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर निकलेंगे। इससे शारीरिक दूरी बनाए रखने का नियम टूटेगा और संक्रमण फैलने का खतरा बना रहेगा। इस विशेष प्रयास से धाॢमक अनुष्ठान भी पूरे रीति रिवाज से हो जाएगा। आपको पुण्य भी अॢजत होगा और इस महामारी को रोकने में सहायता भी मिलेगी। राष्ट्रीय आपदा की इस घड़ी में धर्माचार्य भी इसे उचित करार देते हैं। पंचमुखी हनुमान मंदिर के महंत श्रीकृष्ण दास कहते हैं कि राष्ट्रधर्म और मानव धर्म सबसे ऊपर है। इसलिए इस वक्त बिना आचार्य के हवन पूजन करने से भी पूरा पुण्य मिलेगा। बालयोगी अरुणपुरी चैतन्य कहते हैं कि शुद्ध हृदय से हवन और पूजन करिए। मां दुर्गा इसी से प्रसन्न हो जाएंगी। विशेष परिस्थितियों में आपात धर्म का पालन करना चाहिए।
ये होंगे फायदे
-बड़ी संख्या में आचार्य सड़कों पर नहीं निकलेंगे तो शारीरिक दूरी बनी रहेगी।
-कन्या पूजन न करने से भी सड़कों पर भीड़ को आने से रोका जा सकता है
-लाखों परिवारों ने मामूली रकम भी दान की तो पीएम राहत कोष में करोड़ों पहुंचेंगे।
-भूखे भटक रहे लाखों पशु पक्षियों को भोजन मिल पाएगा।
कैसे करेंं बिना आचार्य के हवन
दीप जला लें। आम की लकड़ी में अग्नि प्रज्जवलित करें। दीप और अग्नि को प्रणाम करने के उपरांत हवन शुरू करें। यदि मंत्र नहीं आते हैं तो भी कोई बात नहीं भगवती दुर्गा के नाम जपते हुए आहुति दें। गलतियों के लिए मां दुर्गा से क्षमा याचना करें। आरती करें और सुख समृद्धि की कामना करें।