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ये बना देश का पहला चिकित्सा शिक्षा संस्थान, जहां होगी डिप्लोमा इन कार्डियोलॉजी की पढ़ाई Kanpur News

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य के प्रयास से मिली अनुमति एमसीआइ की सहमति के बाद तैयार की गई पढ़ाई की गाइडलाइन।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 23 Jun 2019 10:39 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jun 2019 10:39 AM (IST)
ये बना देश का पहला चिकित्सा शिक्षा संस्थान, जहां होगी डिप्लोमा इन कार्डियोलॉजी की पढ़ाई Kanpur News
ये बना देश का पहला चिकित्सा शिक्षा संस्थान, जहां होगी डिप्लोमा इन कार्डियोलॉजी की पढ़ाई Kanpur News

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलॉजी) में डिप्लोमा इन कार्डियोलॉजी (डिप कार्ड) की पढ़ाई होगी। ये देश का पहला चिकित्सा शिक्षा संस्थान है, जहां इस दो वर्षीय कोर्स के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने अनुमति दी गई है।

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सूबे के जिला अस्पतालों में हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। ट्रामा सेंटर तथा जिला अस्पतालों के आइसीयू चलाने के लिए विशेषज्ञ नहीं हैं। वहीं दिल के मरीजों का दबाव मेडिकल कॉलेजों तथा चिकित्सा संस्थानों में रहता है। इस समस्या को देखते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य प्रो.आरती लालचंदानी तथा कार्डियोलॉजी के निदेशक प्रो. विनय कृष्ण ने एमसीआइ को प्रस्ताव भेजा था। तीन दिन पहले दिल्ली में एमसीआइ गवर्निंग बॉडी की बैठक में डिप्लोमा इन कार्डियोलॉजी को मान्यता दे दी गई। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में इसकी पढ़ाई शुरू करने की भी अनुमति दे दी।

डिप कार्ड में होंगी 10 सीटें

हृदय रोग संस्थान में डिप कार्ड की दस सीटें होंगी। दो वर्षीय कोर्स में दो साल में 20 रेजीडेंट संस्थान को मिलेंगे, जिससे मरीजों के इलाज में भी मदद मिलेगी।

31 वर्ष पहले बंद हो गया था कोर्स

डिप कार्ड की पढ़ाई हृदय रोग संस्थान, पश्चिम बंगाल के कोलकाता विश्वविद्यालय तथा महाराष्ट्र में होती थी। सुपर स्पेशिएलिटी कोर्स शुरू होने के बाद वर्ष 1988 में एमसीआइ ने इसे बंद कर दिया था। अब यह शहर के हृदय रोग संस्थान में शुरू होने जा रहा है।

डिप कार्ड कोर्स करने वालों को हुई थी दिक्कत

डिप कार्ड कोर्स करने वालों की मान्यता पर संकट खड़ा हो गया था। कुछ लोग कोर्ट चले गए। कुछ लोग जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के भी चक्कर लगा रहे थे। ऐसे में हर तरफ से एमसीआइ पर दबाव पड़ रहा था।

पूर्व निदेशक ने भेजा था प्रस्ताव

कार्डियोलॉजी के पूर्व निदेशक प्रो.जेएल साहनी ने वर्ष 1999-2000 में संस्थान डिप्लोमा इन कार्डियोलॉजी, डिप्लोमा इन सीवीटीएस, डिप्लोमा इन एनस्थेसिया शुरू करने के लिए एमसीआइ को प्रस्ताव भेजा था। जिसे एमसीआइ ने खारिज कर दिया गया था।

इनका कहना है ये

-देश का पहला संस्थान है, जहां डिप कार्ड शुरू होगा। एमबीबीएस के बाद सेवारत चिकित्सक इस कोर्स को कर सकेंगे। प्रांतीय सेवा संवर्ग के डॉक्टर कोर्स करने के बाद हृदय रोग विशेषज्ञ बन सकेंगे। - प्रो. विनय कृष्ण, निदेशक, हृदय रोग संस्थान।

-एमसीआइ से अनुमति मिल गई है। गाइडलाइन भी तैयार हो गई है। विश्वविद्यालय में उसके आधार पर आवेदन करेंगे। पहले कोर्स कर चुके विशेषज्ञों की मान्यता भी बहाल हो जाएगी। -प्रो.आरती लालचंदानी, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।

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