देवोत्थानी एकादशी पर लोगों ने घरों में शुरू किया श्रीहरि विष्णु का पूजन, भोग लगाकर मांग रहे समृद्धि
आज घर-घर हो रहा प्रबोधिनी एकादशी का पूजन। गन्ना शकरकंद और सिंघाड़े का लगाया भोग। चौक की परिक्रमा करने से अनंत फल व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। देवोत्थान एकादशी पर पूजन से पांच प्रकार के दोष नष्ट होते हैं। नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
कानपुर, जेएनएन। बुधवार को देवोत्थानी एकादशी पर घर-घर श्रीहरि विष्णु का पूजन विधि-विधान से किया जा रहा है। मान्यता है कि क्षीर सागर में चार महीने की योग निद्रा के बाद भगवान विष्णु इस दिन उठते हैं और इसके साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इसलिए इसे देवोत्थानी, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है।
नकारात्मक ऊर्जा का होता है नाश
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही साधु संतों का प्रवास समाप्त होता है। शहर के कई स्थानों पर इस पावन दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। शकुंतला शक्तिपीठ के आचार्य अमरेश मिश्र ने बताया कि देवोत्थानी एकादशी के दिन तुलसी विवाह की परंपरा चली आ रही है। इस दिन भगवान शालिग्राम के साथ तुलसी जी का विवाह होता है। उन्होंने बताया कि हिदू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। इस बार उत्तम मितृ योग में देवोत्थानी एकादशी पर विधि-विधान से श्रीहरि भगवान विष्णु का पूजन करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। महाराज श्री ने कहा कि प्रात: स्नान कर भगवान का स्मरण करना कर पूजन के लिए पाटे पर चौक बनाकर उसमें गन्ना, सिंघाड़ा, शकरकंद, धूप, दीप, अक्षत व मिष्ठान का भोग भगवान को अर्पित कर पूजन करना चाहिए। चौक की परिक्रमा करने से अनंत फल व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। देवोत्थान एकादशी पर पूजन से पांच प्रकार के दोष नष्ट होते हैं। मन से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जिस घर में विधि-विधान से पूजन होता वहां वास्तु दोष का नाश होता है।