पानी को सहेजने में मील का पत्थर बनेगी ये डिवाइस, पढि़ए कैसे
एचबीटीयू के रिसर्च फेलो छात्रों ने डिवाइस तैयार की है।
कानपुर,[विक्सन सिक्रोडिय़ा]। कहा जा रहा है कि तृतीय विश्व युद्ध पानी के लिए होगा, ऐसे में पानी को सहेजना बेहद जरूरी हो गया है। भूजल का अधाधुंध दोहन और उसे प्रदूषित होने से रोकने के लिए अब सोचना शुरू हो गया है। फैक्ट्रियों में भूजल की बर्बादी और रिवर्स बोरिंग करके जल को दूषित करने का चलन तेज से बढ़ गया है। इसके रोकने के लिए एचबीटीयू के छात्रों ने एक ऐसी डिवाइस तैयार की है, जो जल संरक्षण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी। इतना ही नहीं जलस्तर गिरने से पहले ही यह डिवाइस सचेत कर देगी।
रखी जा सकेगी औद्योगिक इकाइयों पर नजर
भू जलस्तर, उसका तापमान और गुणवत्ता का पता लगाने के लिए कई उपकरण मौजूद हैं, लेकिन ई-सेंसर डिवाइस दूर से ही इसकी निगरानी की जा सकेगी। बैट्री आधारित ई-सेंसर डिवाइस को दो साल तक बिना चार्ज किये चलाया जा सकता है। इस तैयार करने वाले हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) के जूनियर रिसर्च फेलो दीपांशु अहलावत व पूर्व छात्र शिवशंकर उपाध्याय का कहना है कि डिवाइस सरकार और प्राइवेट सेक्टर दोनों के लिए तैयार किया गया है। इससे उन औद्योगिक इकाइयों पर नजर रखी जा सकती है, जो पानी का दोहन अधिक करती हैं और दूषित पानी धरती के अंदर डालती है। इसमें किसी प्रकार की छेडछाड़ भी नहीं की जा सकती है क्योंकि किसी प्रकार के छेड़छाड़ होने पर अलार्म बजने लगेगा।
बिना चार्ज किए दो साल देगी डाटा
इस आटोमेटिक डिवाइस से दिन में पांच बार डाटा लिया जा सकता है, बिना उस स्थान पर गए, जहां इसे लगाया गया हो। इसे ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन नेटवर्क से जोड़ा गया है। इससे पानी का डाटा सर्वर पर देखा जा सकता है। सॉफ्टवेयर के जरिए यह किसी भी कंप्यूटर पर भेजकर उसे मॉनीटर किया जा सकता है। इसे 10 हजार एम्पियर पर आवर की बैट्री से जोड़ा गया है। जो दो साल तक बिना चार्ज किए काम करेगी। इन छात्रों ने यह डिवाइस एचबीटीयू के इंक्यूबेशन सेंटर व प्रोटीयम इलेक्ट्रिकल्स स्टार्टअप के अंतर्गत विकसित किया है।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स कॉन्सेप्ट पर डिवाइस
शिवशंकर ने बताया कि यह डिवाइस इंटरनेट ऑफ थिंग्स के कॉन्सेप्ट पर बनाई गई है। दीपांशु ने बताया कि इसमें चार सेंसर लगे हैं। जिसमें से दो पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए हैं। जिन स्थानों पर इंटरनेट व मोबाइल नेटवर्किंग की सुविधा नहीं है। वहां ऑफलाइन डाटा लिया जा सकता है। आपदा में भी यह ऑफ लाइन छह माह तक का डाटा डिवाइस स्टोर कर सकती है।
पानी की किल्लत होने से पहले करेगा सचेत
देश में गिरते जल स्तर का पता लगाने व उसके अनुसार भविष्य में उन स्थानों का स्तर सुधारने में यह मील का पत्थर साबित होगी। जल स्तर गिरने के कारण पानी की किल्लत होने से पहले यह डिवाइस सचेत कर देगी। फैक्ट्री आदि में भी निगरानी के लिए यह कारगर होगी, जहां भूगर्भ जल दोहन अधिक होता है और प्रदूषित पानी बाहर ड्रेन करने के बजाय वापस जमीन के अंदर डंप कर दिया जाता है।