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घर बैठे चंद सेकेंड में कैंसर की जांच, आइआइटी ने बनाया चिपयुक्त डायग्नोस्टिक प्लेटफार्म

आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञ ऐसा उपकरण बना रहे हैं, जिससे घर बैठे कैंसर का पता चलेगा। इस उपकरण को मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप से जोड़कर जांच का नतीजा देखा जा सकता है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Fri, 20 Apr 2018 12:13 PM (IST)Updated: Fri, 20 Apr 2018 12:13 PM (IST)
घर बैठे चंद सेकेंड में कैंसर की जांच, आइआइटी ने बनाया चिपयुक्त डायग्नोस्टिक प्लेटफार्म
घर बैठे चंद सेकेंड में कैंसर की जांच, आइआइटी ने बनाया चिपयुक्त डायग्नोस्टिक प्लेटफार्म

कानपुर [शशांक शेखर भारद्वाज]। कैंसर को मात देने के लिए इलाज से पहले उसकी पहचान का तरीका आसान किया जा रहा है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के विशेषज्ञ ऐसा उपकरण बना रहे हैं, जिससे घर बैठे कैंसर का पता चलेगा। इस उपकरण को मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप से जोड़कर जांच का नतीजा देखा जा सकता है। डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) और नैनो मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत इस उपकरण को तैयार करने के लिए 4.3 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। इसकी डिजाइन बनकर तैयार हो गई है।

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चिप से होगी कैंसर सेल की पहचान

आइआइटी के विशेषज्ञ चिप आधारित डायग्नोस्टिक प्लेटफार्म तैयार कर रहे हैं। प्लेटफार्म में छोटा सा ट्रे लगा होगा, जिसमें कई डिटेक्टर प्वाइंट होंगे। इन प्वाइंट पर खून, मूत्र, लार, स्पर्म, पसीने की बूंद रखने पर कुछ ही सेकेंड बाद रिपोर्ट आ जाएगी। चिप में कैंसर डिटेक्शन के पूरे आंकड़े पहले से ही अपलोड रहेंगे। अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो प्लेटफार्म में लगा एलईडी जल जाएगा। इससे कैंसर का कुछ ही सेकेंड में पता चल सकेगा।

चार विभाग कर रहे काम

कैंसर डायग्नोस्टिक प्लेटफार्म केमिस्ट्री, केमिकल इंजीनियरिंग, बीएसबीई और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग मिलकर तैयार कर रहे हैं। केमिस्ट्री के प्रो. संदीप वर्मा, केमिकल इंजीनियरिंग के डॉ. निशीत वर्मा, डॉ. शिव कुमार, बीएसबीई के प्रो. अशोक कुमार, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रो. शांतनु भट्टाचार्य के निर्देशन में मॉडल तैयार हो रहा है।

जांच में देरी से इलाज में संकट

कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक बायोप्सी, एफएनएसी और साइटोलॉजी से कैंसर की प्रारंभिक जांच होती है। बायोप्सी में प्रभावित हिस्से का काफी छोटा सा हिस्सा लिया जाता है। एफएनएसी में गांठ वाली जगह सुई से नमूने लिए जाते हैं। साइटोलॉजी में पैथोलॉजी संबंधी जांचे होती हैं। जांच में देरी होने पर इलाज में संकट खड़ा हो जाता है। मरीज का संक्रमण अगली स्टेज में पहुंच जाता है। काफी संख्या में रोगी डॉक्टर के पास उस समय पहुंचता है, जब उसके शरीर में संक्रमण काफी फैल चुका होता है।

जांच में देरी से पड़ता है इलाज पर असर

केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के प्रो. संदीप वर्मा ने बताया कि आइआइटी अपने शोध से कैंसर की जांच को आसान करने जा रहा है। चिपयुक्त डायग्नोस्टिक प्लेटफार्म को ग्लूकोमीटर और प्रेग्नेंसी टेस्ट किट की तरह काफी आसानी से चलाया जा सकेगा। कैंसर की जांच में देरी से इलाज पर असर पड़ता है। 


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