Move to Jagran APP

समाजवादियों के गढ़ इटावा में मतदाताओं की क्या है इच्छा, जानें- कैसी चल रही चुनावी चर्चाएं

यूपी में विधानसभा चुनाव का बिगूल बजते ही राजनीतिक गलियारों की सरगर्मी बढ़ने के साथ मतदाताओं के बीच भी चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। समाजवादियों के गढ़ कहे जाने वाले इटावा में सिर्फ एक ही बात हो रही है- बस विकास हो गुंडागर्दी खत्म हो।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 03:21 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 03:21 PM (IST)
समाजवादियों के गढ़ इटावा में मतदाताओं की क्या है इच्छा, जानें- कैसी चल रही चुनावी चर्चाएं
इटावा में चाय की दुकानों और मोहल्लों के नुक्कड़ पर होती चर्चाएं।

इटावा, चुनाव डेस्क। विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही समाजवादियों के गढ़ और मुलायम सिंह यादव के गृह जिले इटावा में हलचल तेज हो गई है। 20 फरवरी को यहां मतदान होना है। ऐसे में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। यह जिला न केवल समाजवादियों का गढ़ है बल्कि कांग्रेस के संस्थापक एओ ह्यूम की कर्मस्थली भी रहा। चौराहों, चाय की दुकानों और मोहल्ले के नुक्कड़ों पर भी राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा है। यहां लोग चाहते हैं कि विकास व गुंडागर्दी खत्म करने वाली सरकार बने। कैसी चल रहीं चर्चाएं, बाइक से 25 किलोमीटर के सफर के दौरान बता रहे गौरव डुडेजा....

loksabha election banner

मैं आ पहुंचा हो शहर से इटावा-ग्वालियर मार्ग पर, जो उत्तर प्रदेश को पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश से जोड़ता है। कुछ देर चलने के बाद एसएसपी चौराहा होते नुमाइश चौराहे पर पहुंचने पर इटावा महोत्सव के मेले की रौनक दिखती है। कुछ देर के लिए यहीं पर रुकता हूं। इस बीच जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र के बीना गांव के किसान सूर्यपाल अपने परिवार के साथ मिल जाते हैं। वह महोत्सव देखने आए हैं। उनसे बातचीत शुरू होती है। कैसी सरकार चाहिए... यह प्रश्न करने पर सूर्यपाल बोले, ऐसी जो विकास करे। विकास होना चाहिए। उनके पुत्र रवि ने भी यही दोहराया, साथ ही यह भी कहा, अपराध भी कम होने चाहिए। इतने में किसान आरपी सिंह भी इसी बातचीत में शामिल हो जाते हैं। बोले, सरकार ऐसी हो, जहां पर रिश्वत का एक रुपया भी नहीं लगे।

महोत्सव स्थल से आगे बढ़े तो इटावा सफारी पार्क के पास वैदपुरा गांव के 26 वर्षीय किसान सत्यवीर सिंह शेर के कटआउट के साथ सेल्फी लेने में व्यस्त थे। प्रश्न उछालने पर सत्यवीर बोले, सरकार ऐसी हो, जिसमें गुंडागर्दी बिल्कुल न हो। ग्वालियर मार्ग पर आगे बढऩे पर धूमनपुरा गांव के पास किसान अभय सिंह, प्रताप, संजू से मुलाकात हुई। सर्दी में अलाव लगाकर ताप रहे इन किसानों को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से संतोष था, मगर खाद के लिए होने वाली परेशानी का दर्द भी चेहरे पर दिखाई दिया। दिक्कत इस बात की भी थी कि गांव को जाने वाली सड़क पांच साल में नहीं बन सकी जबकि न जाने जनप्रतिनिधियों कितने चक्कर उन्होंने काटे।

यमुना का पुल पार करने पर सड़क के किनारे गुमटी लगाए बैठे राजेश दुबे पराठे सेंक रहे थे। उनसे चुनावी चर्चा की तो पुलिस की तानाशाही का दर्द बयां करने लगे। पास में ही बैठे हविलिया गांव के किसान सोहन सिंह भी गुंडागर्दी खत्म करने वाली सरकार की बात कहने लगे। पुल की मड़ैया पर रहने वाले दाताराम बोले, सरकार सबका ध्यान रखे और क्या चाहिए। राशन पानी सभी तो मिल रहा है, इससे बेहतर और क्या। उदी चौराहे पहुंचने के लिए बाइक बढ़ाई तो सामना ऊबड़-खाबड़ गड्ढों से होता है। इसे पार करके उदी चौराहे पहुंचे, जो गर्म मंगौड़ों की बिक्री के लिए मशहूर माना जाता है। एक दुकान पर शहर के पथवरिया इलाके के रहने वाले युवा हरिओम, साहिल, रौकी, दानिश, समीर मिले। हरिओम पहली बार वोट डालेंगे। बोले, पहली बार वोट डालने को लेकर उत्साहित हूं। विकास को प्राथमिकता दूंगा। जो प्रदेश की तरक्की करे, उसी पार्टी की सरकार आनी चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.